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पहले Lockdown को ना करने वाली ममता ने अब प. बंगाल में इसे सख्ती से क्यों लागू किया?

नई दिल्ली। पूरा देश इन दिनों कोरोना वायरस ( coronavirus ) की चपेट में है। इस खतरनाक वायरस से लड़ने के लिए देश में 14 मार्च से लॉकडाउन ( Lockdown ) लागू है। वहीं, चार मई से लॉकडाउन पार्ट-3 (Lockdown 3.0 ) का आगाज हो चुका है। इसके बावजूद देश में कोरोना संक्रमितों का आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है। हालांकि, इस बार देश को तीन जोन ग्रीन ( Green ), रेड ( Red ) और ऑरेंज जोन ( Orange Zone ) में बांटा गया है। जोन के हिसाब से लॉकडाउन में छूट दी गई है। हालांकि, कुछ राज्य इसे सख्ती से पालन करवा रहे हैं, तो कुछ राज्यों से लॉकडाउन के नियमों की धज्जियां उड़ाने की खबरें भी सामने आती रहती हैं। इसी कड़ी में कभी लॉकडाउन को ना-ना कहने वाली पश्चिम बंगाल ( West Bengal ) की ममता सरकार ( Mamta Government ) ने अब राज्य में काफी सख्ती बढ़ा दी है।

IMCTS के आने से बदलाव

दरअसल, 21 अप्रैल को जब IMCTS की टीम पश्चिम बंगाल पहुंची थी तो कोरोना वायरस को लेकर केन्द्र और राज्य के बीच एक बार फिर बहस छिड़ गई। उस वक्त कहा गया है कि ममता सरकार कोरोना वायरस को लेकर लापरवाही बरत रही हैं। राज्य में लॉकडाउन का सही से पालन नहीं हो रहा है। साथ कोरोना टेस्ट, मरीजों की संख्या और व्यवस्था पर भी सवाल उठाए गए। लेकिन, अब खबर आ रही है कि राज्य में काफी बदलाव हुए हैं। जमीनी स्तर पर इस महामारी से लड़ने के लिए काफी कारगर कदम उठाए गए है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, IMCTS के पश्चिम बंगाल पहुंचने के बाद नियमों को कड़ाई से लागू करवाए गए हैं। टेस्ट में वृद्धि हुई है। साथ ही हॉस्पिटल के अंदर भी व्यवस्था में बदलाव हुआ है और डॉक्टर्स को नियमित बुलेटिन जारी करने का आदेश दिया गया है।

दो रेड जोन में सबसे ज्यादा मरीज

राज्य में दो रेड जोन के अंदर कोरोना वायरस के कुल पचास प्रतिशत मरीज हैं। इनमें बेलगछिया, नारकेलडांगा, राजाबाजार, पार्क सर्कस, मेटियाब्रुज, टांग्रा, बेल्टला शामिल हैं। इसके अलावा कोलकाता में पटुली के कुछ हिस्सों में , हावड़ा मैदान, काजीपारा, शिबपुर, टिकियापारा, साल्किया जैसे इलाकों में कोरोना के ज्यादा मरीज हैं। आलम ये है कि जिस तरह से अचानक राज्य में हालात बिगड़ने लगे IMCTS की ओर से गंभीर आरोप लगाए जाने के बाद ममता सरकार ने राज्य में अब सख्ती बढ़ानी शुरू कर दी है। कई भीड़भाड़ वाले बाजारों को राज्य के विभिन्न हिस्सों में खुले मैदानों में शिफ्ट कर दिया गया। वहीं, उसके आस-पास के इलाकों को बंद कर दिया गया था।

ममता ने लोगों से घरों में रहने का किया आग्रह

इतना ही नहीं 21 अप्रैल से खुद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कोलकाता की सड़कों पर लोगों से सीधे बात करते हुए उन्हें घर के अंदर रहने का आग्रह किया। इसी बीच 24 अप्रैल को मुख्य सचिव राजीव सिन्हा ने कोरोना वायरस को लेकर बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा कि राज्य में 57 मौतें हुई हैं। इनमें कोरोना वायरस से 18 लोगों की जान गई, जबकि बचे हुए लोगों की कॉमरेडिटी से मौत हुई है। इसके बाद राज्यों में कोरोना की जांच बढ़ा दी गई। पहले 400-500 लोगों का प्रतिदिन टेस्ट किया जा रहा था। वहीं, 21 अप्रैल को इसकी संख्या 800 पहुंच गई है। जबकि, चार मई को एक दिन में 2201 लोगों की कोरोना जांच की गई। कोविड-19 से निपटने के लिए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने 29 अप्रैल को एक कैबिनेट समिति का गठन किया। इस कमेटी में राज्य के शीर्ष अधिकारियों को पैनल में शामिल किया गया है।

पश्चिम बंगाल में मृत्यु दर सबसे ज्यादा

30 अप्रैल को राज्य के सभी अस्पतालों ( प्राइवेट और सरकारी ) को एक एडवाइजरी जारी की गई थी, जिसमें स्पष्ट किया गया था कि किसी भी स्वास्थ्य देखभाल सुविधा में किसी भी मरीज को भर्ती करने और उसके इलाज के लिए ICMR प्रोटोकॉल के अनुसार कोविड जांच के लिए किसी व्यक्ति का परीक्षण करने के लिए कोई सरकारी मंजूरी की आवश्यकता नहीं है। उसी 30 अप्रैल को मुख्य सचिव ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि राज्य में 105 मौतें हुई हैं, लेकिन केवल 33 लोग ही कोरोना वायरस से मरे हैं। वहीं, ममता बनर्जी ने अपने एक बयान में कहा कि लोग इस बात पर रो रहे हैं कि कौन किस तरह का आदेश जारी कर रहा है। उन्होंने कहा कि हमें खुद को सुधारना होगा, क्योंकि हम गलतियां करते हैं। लिहाजा, सरकार ने अब राज्य में सख्ती बढ़ा दी है। गौरतलब है कि बंगाल में कोरोना मरीजों की संख्या 1259 हो गई है, जबकि 133 लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं, 218 लोग अब तक ठीक हो चुके हैं। इधर, इंटर मिनिस्ट्रियल सेंटर टीम (IMCT) ने कहा है कि Covid-19 से होने वाली मौतों के मामले में पश्चिम बंगाल में मृत्यु दर देश में सबसे अधिक 12.8 प्रतिशत है। आईएमसीटी के सदस्य अपूर्व चंद्रा ने राज्य के मुख्य सचिव राजीव सिन्हा को इस बारे में जानकारी दी है।



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