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कैप्टन की दो टूक- सिद्धू को न तो उप मुख्यमंत्री बना सकते हैं और न ही प्रदेश अध्यक्ष

नई दिल्ली।

पंजाब में मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और नवजोत सिंह सिद्धू के बीच तकरार कम होती नहीं दिख रही। दोनों को समझाने के लिए राहुल गांधी और प्रियंका वाड्रा ने भी पहल कर ली, मगर कैप्टन या सिद्धू के रुख में कोई बदलाव आता नहीं दिख रहा।

पार्टी सूत्रों की मानें तो पिछले हफ्तेे जब दिल्ली में कांग्रेस कमेटी के दफ्तर कैप्टन अमरिंदर सिंह पहुंचे तो उन्होंने वहां स्पष्ट रूप से कह दिया कि नवजोत सिंह सिद्धू को न तो पंजाब का उपमुख्यमंत्री बना सकते हैं और न ही राज्य में पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष। सूत्रों की मानें तो उन्होंने पार्टी आलाकमान को यह जरूर आश्वासन दिया कि बेअदबी मामलों में पुलिस को लेकर विधानसभा चुनाव से पहले जल्द ही कुछ कार्रवाई की जाएगी।

कांग्रेस से जुड़े कुछ लोगों की तो कैप्टन अमरिंदर सिंह अपने नेतृत्व में पार्टी को विधानसभा चुनाव में उतारने की तैयारी कर रहे हैं। माना जा रहा है कि सिद्धू को उप मुख्यमंत्री या प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बनाने से राज्य इकाई में नेतृत्व समीकरण बिगड़ सकते हैं। पार्टी सूत्रों के मुताबिक, कैप्टन ने पार्टी आलाकमान को यह आश्वासन भी दिया है कि सिद्धू को कैबिनेट में शामिल किया जा सकता है। इस बारे में उनके लिए एक पद तैयार भी है।

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सूत्रों के अनुसार, नवजोत सिंह सिद्धू को प्रदेश अध्यक्ष नहीं बनाए जाने के फैसले पर कैप्टन ने आला कमान को बताया कि सिद्धू को अध्यक्ष बनाया तो कई वरिष्ठ नेता न सिर्फ नाराज हो जाएंगे बल्कि, बगावती तेवर भी अपना सकते हैं, जिससे चुनाव में पार्टी को काफी नुकसान होगा। कैप्टन ने कहा कि पार्टी में कई वरिष्ठ नेता इस पद के योग्य हैं, ऐसे में उन्हें नजरअंदाज कर सिद्धू को यह पद देना ठीक नहीं होगा। इसके अलावा, मुख्यमंत्री और पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष जाट सिखों के पास नहीं जा सकते। वैसे कैप्टन ने आलाकमान को यह भी संकेत दे दिया कि सिद्धू सरकार के खिलाफ बयानबाजी कर विद्रोह फैलाना चाहते हैं।

2015 के बेअदबी और 2015 के पुलिस फायरिंग जैसे संवेदनशील मुद्दे में कार्रवाई में देरी राज्य का एक बड़ा मुद्दा है और मुख्यमंत्री ने कमेटी को आश्वासन दिया है कि नई एसआईटी अपना काम कर रही है। इसके आधार पर आठ महीने में होने वाले पंजाब चुनाव से पहले इस पर एक्शन लिया जाएगा। मुख्यमंत्री से समिति को ये बताने के लिए कहा गया था कि उनकी सरकार घटनाओं की एसआईटी की पूर्व की जांच को रद्द करने के उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एक विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) पर भी विचार कर रही है।

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समिति के सामने पेश होने वाले अधिकांश कांग्रेस नेताओं ने कहा कि मामले में कार्रवाई में देरी एक बड़ी चिंता है और आगामी चुनावों में पार्टी को नुकसान हो सकता है, क्योंकि 2017 के पंजाब चुनावों में यह एक बड़ा चुनाव से पहले किया गया वादा था। हाई कोर्ट के दखल देने से पहले ज्यादातर जांच पूरी हो चुकी थी, क्योंकि बादल परिवार ने जांच की पूर्व-कल्पित धारणा पर सवाल उठाया था। पहले एसआईटी का एक पुलिस अधिकारी बहुत मुखर था।



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