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जामिया में हुई हिंसा एक सुनियोजित योजना, दिल्ली पुलिस ने हाई कोर्ट में दायर किया हलफनामा

नई दिल्ली। राजधानी दिल्ली ( Delhi ) में हुई जामिया हिंसा ( Jamia Voilence ) मामले में बड़ा खुलासा हुआ है। दरअसल पुलिस ने दिल्ली हाईकोर्ट ( Delhi High Court ) में हलफनामा ( Affidevit ) दायर किया है। अपने इस हलफनामे में दिल्ली पुलिस ने कहा है कि जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय ( Jamia Milia Islamia University ) पिछले वर्ष दिसंबर में हुई हिंसा सोची समझी योजना के तहत की गई थी।

पुलिस का कहना है कि ये घटना कोई छोटी-मोटी घटना नहीं थी बल्कि इसे सुनियोजित ढंग से अंजाम दिया गया था। जामिया हिंसा मामले में जांच की मांग करने वाली याचिका पर जल्द सुनवाई की मांग करनेवाली याचिका पर दिल्ली पुलिस ने अपना हलफनामा कोर्ट में दायर किया था। इस मामले पर शुक्रवार 5 जून को सुनवाई होने वाली है।

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दिल्ली पुलिस ने कहा है कि जामिया हिंसा की इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्यों से साफ पता चलता है कि छात्र आंदोलन की आड़ में स्थानीय लोगों की मदद से हिंसा को अंजाम दिया गया। पुलिस ने कहा कि दंगाई वहां अच्छी तरह से पत्थरों, लाठियों, पेट्रोल बम, ट्यूब-लाइट जैसे दंगा भड़काने के सामानों से लैस थे। उनकी ये मंशा साफ जाहिर करती है कि वे इलाके में कानून व्यवस्था बाधित करना चाहते थे।

दिल्ली पुलिस ने कहा है कि 13 और 15 दिसंबर 2019 को हुई हिंसा के मामले में तीन FIR दर्ज किए गए हैं। हिंसा में कई पुलिसकर्मी घायल हुए थे।

दिल्ली पुलिस ने कहा है कि ये आरोप सही नहीं है कि यूनिवर्सिटी प्रशासन की बिना अनुमति के पुलिस परिसर में घुसी और छात्रों के खिलाफ कार्रवाई की।

दिल्ली पुलिस ने अपने हलफनामे में सार्वजनिक संपत्ति को हुए नुकसान और आरोपियों की पूरी लिस्ट हाईकोर्ट को सौंपी है।

दिल्ली पुलिस ने कहा है कि विरोध करना सबका अधिकार है लेकिन विरोध करने की आड़ में कानून का उल्लंघन और हिंसा या दंगे में शामिल होना ठी नहीं है।

कोरोना संकट में पुलिस कर रही परेशान
आपको बातदें कि पिछले 22 मई को हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार और दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया था। दरअसल नबीला हसन ने एक याचिका दायर की थी। इसमें उनकी वकील स्नेहा मुखर्जी ने कहा था कि जामिया यूनिवर्सिटी के कई छात्रों को पुलिस ने बुलाया और जांच के नाम पर घंटों बैठाए रखा।
यहां तक कि कोरोना के संकट के दौरान भी छात्रों को पुलिस परेशान कर रही है।

याचिका में कहा गया था कि जामिया यूनिवर्सिटी की हालत आज भी वैसी ही है जैसी पहले थी। इसलिए इस मामले पर जल्द सुनवाई की जाए। हालांकि दिल्ली पुलिस का कहना है कि इस याचिका को खारिज किया जाए।



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