Om Puri And Naseeruddin Shah Friendship: जब ओम पुरी ने नसीरुद्दीन शाह की जान बचाई

नई दिल्ली। Om Puri And Naseeruddin Shah Friendship: हिंदी सिनेमा के बेहतरीन कलाकार और हर मुद्दे पर खुलकर विचार रखने वाले एक्टर नसीरुद्दीन शाह के नाम और काम दोनों से दुनिया वाकिफ़ है। सरफरोश, त्रिदेव, मोहरा, इश्किया, जाने भी दो यारों,कर्मा और रामप्रसाद की तेरहवीं जैसी ना जाने कितनी ही फिल्मों में उन्होंने अपने दमदार किरदारों से दर्शकों को लुभाया है। इतना ही नहीं सिनेमा में नसीरुद्दीन के बेहतर योगदान के कारण भारत सरकार ने उन्हें पद्म श्री और पद्म भूषण पुरस्कारों से सम्मानित भी किया है। वैसे तो इन सभी बातों से आप वाकिफ होंगे ही, परंतु आज हम आपको उनकी जिंदगी से जुड़ा एक ऐसा अहम किस्सा बताने जा रहे हैं जिसमें उनकी जान पर बन आई थी...
दरअसल हुआ यूं था कि, एक बार अभिनेता नसीरुद्दीन पर उनके ही एक खास मित्र ने चाकू से जानलेवा हमला किया था। लेकिन उस वक्त बॉलीवुड के ही एक दूसरे दिग्गज ने उनकी जान बचाकर देश को नसीरुद्दीन जैसा बड़ा अभिनेता खोने से बचा लिया। क्या आप उस दिग्गज का नाम नहीं जानना चाहेंगे जिसने नसीरुद्दीन की जान बचाई? तो चलिए विस्तार से आपको इस बारे में बताते हैं...

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वर्ष 1977 में श्याम बेनेगल की 'भूमिका' फ़िल्म की शूटिंग चल रही थी। नसीरुद्दीन शूटिंग सेट के पास ही एक ढाबे पर बैठकर अपने एक मित्र के साथ खाना खा रहे थे। तब ही नसीरुद्दीन के साथ राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (एनएसडी) और एफटीआईआई में पढ़ने वाला एक दूसरा दोस्त जसपाल वहां आया और नसीरुद्दीन के पीछे बैठ गया। ऐसे में जैसे ही नसीरुद्दीन का ध्यान हटा, वैसे ही पीछे बैठे जसपाल ने उन पर छुरी से हमला कर दिया। हमले के बाद जैसे ही नसीरुद्दीन ने उठने की कोशिश की, तो जसपाल ने दोबारा उन पर हमला करना चाहा। लेकिन इस बार नसीरुद्दीन के साथ खाना खा रहे उस दोस्त ने जसपाल को रोक दिया। अब आपके मन में जिज्ञासा हो रही होगी कि आखिर कौन था वह अन्य दोस्त।

तो चलिए आपको बता देते हैं कि, वह दूसरा दोस्त कोई और नहीं, बल्कि नसीरुद्दीन शाह के काफी निजी माने जाने वाले ओम पुरी ही थे। दरअसल नसीरुद्दीन शाह तथा ओम पुरी ने साथ में 4 साल तक एनएसडी में एक्टिंग की पढ़ाई की थी। और दोनों साथ में एफटीआईआई, पुणे में भी पढ़े थे। जानकारी के लिए आपको बता दें कि, अभिनेता नसीरुद्दीन ने अपनी ऑटोबायोग्राफी 'एंड देन वन डेः अ मेमोयर' में अपने साथ हुए इस हादसे का जिक्र किया है। उन्होंने लिखा कि, वह जसपाल को अपना अच्छा दोस्त मानते थे, परंतु वो उनकी सफ़लता से जलने लगा था।

हमले वाले दिन जसपाल को काबू करने के चक्कर में ओम और जसपाल में काफी झड़प भी हुई। अपने दोस्त नसीरुद्दीन की जान बचाने के लिए ओम ने जसपाल को छोड़ा नहीं।
और दूसरी तरफ नसीरुद्दीन शाह दर्द से कराह रहे थे। तब ओम पुरी जसपाल से जूझते हुए ढाबे वाले से शाह को हॉस्पिटल ले जाने के लिए बहस कर रहे थे। लेकिन पुलिस के आने तक ढाबे वाले ने उन्हें वहां से जाने नहीं दिया।
इसके अलावा नसीरुद्दीन ने किताब में यह भी लिखा है कि, उनकी पीठ में बहुत दर्द हो रहा था, उनकी पूरी कमीज खून से लथपथ हो चुकी थी। हालांकि, उसके कुछ समय बाद ही पुलिस वहां पहुंच गई और आते ही सवाल जवाब करने लगी। शाह ने बताया कि, उन्हें दर्द में कराहते हुए ओम पुरी से देखा नहीं गया और वह बिना किसी की अनुमति लिए पुलिस की गाड़ी में उन्हें अस्पताल ले गए। और इस प्रकार ओम पुरी ने अपने सबसे क़रीबी मित्र नसीरुद्दीन शाह की जान बचाई थी।

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