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अफगानिस्तान के राजदूत को क्यों पीएम मोदी ने गुजरात के इस इलाके में जाने की दी सलाह ?

नई दिल्ली। भारत में अफगानिस्तान के राजदूत फरीद मामुन्दजई (Farid Mamundzay) का एक ट्वीट वायरल हो रहा है। इस ट्वीट में उन्होंने हिंदी में उस डॉक्टर की तारीफ की, जिसने इलाज के एवज में उनसे एक पैसा नहीं लिया।

अफगानिस्तान के राजदूत द्वारा हिन्दी में किए गए इस ट्वीट पर पीएम नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने गुरुवार को कहा कि भारत में अफगानिस्तान के राजदूत फरीद मामुन्दजई (Farid Mamundzay) का एक भारतीय चिकित्सक के साथ सुखद अनुभव भारत-अफगानिस्तान के रिश्तों की ‘खुशबू की महक’ है।

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‘एक भाई’ से फीस नहीं लूंगा

दरअसल, मामुन्दजई कुछ दिनों पहले एक चिकित्सक के पास इलाज करवाने के लिए पहुंचे थे। चिकित्सक को जब यह पता चला कि मरीज भारत में अफगानिस्तान के राजदूत हैं तो उन्होंने फीस लेने से मना कर दिया। राजदूत ने बताया कि जब उन्होंने इसका कारण पूछा तब चिकित्सक ने कहा कि वह अफगानिस्तान के लिए बहुत कुछ नहीं कर सकते हैं, इसलिए कम से कम ‘एक भाई’ से फीस नहीं लूंगा।

 

राजदूत ने क्या लिखा

अफगानिस्तान के राजदूत ने लिखा, ‘आभार व्यक्त करने के लिए शब्द नहीं थे यह भारत है। प्यार, सम्मान, मूल्य और करुणा। आपके कारण मेरे दोस्त,अफगान थोड़ा कम रोते हैं, थोड़ा और मुस्कुराते हैं और बहुत अच्छा महसूस करते हैं।’ मामुन्दजई द्वारा बुधवार को किया गया ये ट्वीट जब वायरल होने लगा तो बलकौर सिंह ढिल्लन नामक एक शख्स ने उन्हें ने अपने गांव हरिपुरा में आने का न्योता दे दिया।

इस पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए अफगानी राजदूत ने पूछा कि क्या यह हरिपुरा गुजरात के सूरत में स्थित है। इस पर ढिल्लन ने बताया कि उनका गांव हरिपुरा पंजाब की सीमा से सटे राजस्थान के हनुमानगढ़ में है। इस पर पीएम मोदी ने ट्वीट करा और मामुन्दजई से कहा कि वह ढिल्लों के गांव हरिपुरा भी जरूर जाएं और गुजरात में सूरत के हरिपुरा भी जाएं।

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हरिपुरा अपने आप में इतिहास समेटे हुए है

पीएम मोदी ने कहा कि गुजरात का हरिपुरा अपने आप में इतिहास समेटे हुए है। 'मेरे भारत के एक डॉक्टर के साथ आपने जो अपना अनुभव साझा किया है, वह भारत-अफगानिस्तान के रिश्तों की खुशबू की एक महक है।’ गुजरात के हरिपुरा का नेताजी सुभाष चंद्र बोस से गहरा नाता है। बोस की अध्यक्षता में 19 से 22 फरवरी 1938 के दौरान हरिपुरा में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की बैठक हुई। ये हरिपुरा अधिवेशन के नाम से व्यख्यात है। इसी अधिवेशन में नेताजी को कांग्रेस का अध्यक्ष चुना गया था।

 



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