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क्या आप जानते हैं भारत में तबाही मचा रहे चक्रवाती तूफान 'टाउते' का नाम किस देश ने रखा

नई दिल्ली।

कोरोना महामारी (Coronavirus) और ब्लैक फंगस जैसी जानलेवा बीमारियों से जूझ रहे भारत में एक और खतरा मंडरा रहा है। इस खतरे का नाम टाउते (Tauktae) है। जी हां, टाउते चक्रवाती तूफान और अच्छी बात यह है कि इस संकट के आने का संकेत पहले ही भारतीय मौसम विभाग यानी आईएमडी को मिल गया था, जिससे इससे सुरक्षित रहने के जरूरी उपाय भी किए जा रहे है। यही नहीं, टाउते नाम का यह संकट दो या तीन दिन ही देश के विभिन्न हिस्सों में रहेगा, इसलिए यह लंबे समय वाला संकट भी नहीं है।

वैसे, इस तूफान का नाम टाउते क्यों है और यह नाम इसे किसने तथा किस लिए दिया है, इसके बारे में हम आपको विस्तार से बताने वाले हैं। साथ ही, टाउते भारत में कब और कहां हिट करेगा, इसकी जानकारी भी हम आपको इस रिपोर्ट में देने वाले हैं, तो आइए जानते हैं टाउते और भारत में उसकी होने वाली गतिविधियों के बारे में---

भारतीय मौसम विभाग यानी आईएमडी ने चेतावनी जारी की है कि अरब सागर के ऊपर गहरे दबाव में तब्दील चक्रवाती तूफान टाउते आगामी 18 मई को गुजरात के पोरबंदर और नलिया के बीच अपनी दस्तक दे सकता है। हालांकि, इसका रौद्र रूप 16 मई से ही दिखने लगेगा और आने वाले दिनों में इसकी तबाही बढ़ती जाएगी। मौसम विभाग के मुताबिक, टाउते 16 मई से गंभीर चक्रवाती तूफान के तौर पर देश में अपनी आमद दर्ज कराएगा।

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म्यांमार ने रखा टाउते चक्रवात का नाम
अब आपको बताते हैं कि इस तूफान का नाम टाउते क्यों और किसने रखा। दरअसल, म्यांमार ने इस चक्रवाती तूफान का नामांकरण किया है। टाउते वहां तेज आवाज निकालने वाली एक छिपकली को कहते हैं। यह भारतीय तट पर इस साल का पहला चक्रवाती तूफान है। दरअसल, विश्व मौसम विज्ञान संगठन यानी डब्ल्यूएमओ की देखरेख में ट्रॉपिकल चक्रवाती तूफान को आधिकारिक तौर पर दुनियाभर में फैले इसके चेतावनी केंद्रों की ओर से इनका नामांकरण होता है।

वैज्ञानिकों में भ्रम न रहे, इसलिए नाम रखे जाते हैं
असल में, ट्रॉपिकल चक्रवात एक बार में कहीं एक हफ्ते या उससे अधिक समय तक रह सकते हैं, इसलिए एक समय मे एक से अधिक चक्रवाती तूफान होने की आशंका बनी रहती है। इस तरह तूफान को एक नाम दिया जाता है, जिससे पूर्वानुमान करते समय वैज्ञानिकों में भ्रम की स्थिति नहीं रहे। हालांकि, उष्णकटिबंधीय चक्रवाती तूफानों का क्षेत्रीय स्तर पर नियमानुसार नाम रखा जाता है। हिंद महासागर और दक्षिण प्रशांत क्षेत्र में उष्णकटिबंधीय चक्रवातों के नाम अंग्रेजी के अल्फाबेटिकल और महिलाओं तथा पुरुषों के नाम पर रखे जाते हैं।

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अलग प्रणाली से तय होते हैं चक्रवातों के नाम
वहीं, उत्तर हिंद महासागर में राष्ट्रों ने वर्ष 2000 में उष्णकटिबंधीय चक्रवाती तूफानों के नाम रखने को लेकर एक नई प्रणाली का उपयोग करना शुरू किया था। यह नाम अंग्रेजी में अल्फाबेटिकल के हिसाब से देश के अनुसार सूचीबद्ध होते हैं। सामान्य तौर पर नियम यह है कि नाम सूची एक विशिष्ट क्षेत्र के विश्व मौसम विज्ञान संगठन यानी डब्ल्यूएमओ के केंद्र की ओर से संबंधित देश के राष्ट्रीय मौसम विज्ञान और जल विज्ञान सेवाओं को प्रस्तावित की जाती है। संबंधित उष्णकटिबंधीय चक्रवाती क्षेत्रीय निकायों की ओर से प्रत्येक वर्ष निर्धारित की जाती है।

13 देश मिलकर तय करते हैं नाम
आपको बता दें कि डब्ल्यूएमओ, संयुक्त राष्ट्र आर्थिक और सामाजिक आयोग एशिया तथा प्रशांत पैनल ऑन ट्रॉपिकल चक्रवातों में 13 देशों के सदस्य हैं। इनमें भारत, बांग्लादेश, म्यांमार, पाकिस्तान, मालदीव, ओमान, श्रीलंका, थाईलैंड, ईरान, कतर, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात यानी यूएई और यमन का नाम शामिल है। ये देख्श मिलकर चक्रवाती तूफानों के नाम तय करते हैं।

169 नए नाम की सूची पिछले साल जारी हुई
यही नहीं, आठ सदस्यीय एक पैनल ने वर्ष 2004 में 64 नामों वाली एक सूची जारी की थी। पिछले साल भारत में कहर बरपाने वाले चक्रवात के लिए अम्फान नाम उस सूची का आखिरी नाम था। डब्ल्यूएमओ, संयुक्त राष्ट्र आर्थिक और सामाजिक आयोग एशिया तथा प्रशांत पैनल ऑन ट्रॉपिकल साइक्लोन कमेटी ने वर्ष 2018 में पांच और देशों को शामिल करने के लिए सदस्यों की सूची का विस्तार किया। पिछले साल एक नई सूची जारी हुई, जिसमें आने वाले चक्रवातों के क्रमबद्ध 169 नाम दिए गए हैं। टाउते उसी सूची में दिया गया नाम है।



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