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नीतू कपूर ने बताई रणबीर-रिद्धिमा से अलग रहने की वजह

नई दिल्ली। बॉलीवुड इंडस्ट्री की बात करें तो इसमें कई जाने-माने परिवार हैं। जिसमें से एक है कपूर खानदान। यह कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा कि हिंदी सिनेमा जगत में कपूर परिवार ने बहुत बड़ा योगदान दिया है। यही वजह है कि लोगों को जितनी रूचि कपूर परिवार से जुड़े लोगों के कामों में है। उतनी ही उनकी पर्सनल लाइफ से जुड़े मुद्दों में भी है। इस बीच आज हम आपको गुज़रे जमाने की मशहूर अदाकारा नीतू कपूर और उनके बेटे रणबीर कपूर को लेकर एक किस्सा बताने जा रहे हैं। जिसकी वजह से दोनों ने ही सोशल मीडिया पर खूब ट्रेंड कर रहे हैं।

रिद्धिमा कपूर के विदेश जानें से हुईं थीं काफी दुखी

नीतू कपूर अपनी बेटी रिद्धिमा कपूर और बेटे रणबीर कपूर से बेहद ही प्यार करती हैं। अक्सर सोशल मीडिया पर वह बच्चों के साथ कई खूबसूरत और इमोशनल तस्वीरें पोस्ट करती ही रहती हैं। हाल ही में नीतू कपूर ने इंटरव्यू में अपने बच्चों को लेकर खुलकर बात की। जिसमें उन्होंने कई चौंकाने वाले खुलासे किए। इस इंटरव्यू में नीतू ने बताया कि आखिर वह क्यों बच्चों के साथ नहीं रहती हैं। नीतू ने बताया कि जब उनकी बेटी रिद्धिमा पढ़ाई करने के लिए बाहर चलीं गई थीं। उस वक्त वह काफी रोईं थीं। रिद्धिमा की उन्हें काफी याद आती थी।

नीतू बतातीं हैं कि जब उस वक्त रिद्धिमा का कोई दोस्त भी आता था और उन्हें बाय कहता था। तो वह सुनकर भी रोने लगती थीं। कुछ समय तक ऐसा ही चलता रहा और बाद में वह धीरे-धीरे स्ट्रॉन्ग बनने लगी। वहीं जब पढ़ाई के लिए रणबीर को बाहर भेजा जाने लगा था। तो नीतू कपूर बिल्कुल नहीं रोईं। जिसे देख रणबीर ने कहा कि 'आप मुझसे प्यार नहीं करतीं'।

अकेले रहना आने लगा पसंद


नीतू कपूर ने बताया कि 'जिसके बाद उन्हें महसूस होने लगा कि उन्हें अकेले रहने की आदत हो चुकी है। ऐसे में जब भी वह अपने बच्चों के साथ भी रहती हैं तो उन्हें ऐसा लगने लगा कि जैसे उनकी प्रिवेसी में कोई दखल दे रहा है। नीतू मानती हैं कि उनकी खुद की लाइफ है, जिसे वह अपने तरीके से जीना पसंद करती हैं। एक्ट्रेस आगे कहती हैं कि बाहर विदेशों में यह चलन काफी आम माना जाता है।

बच्चे जैसे-जैसे बड़े हो जाते हैं वह अपना घर छोड़कर खुद की दुनिया बसा लेते हैं, लेकिन इसका यह मतलब है कि वह अपने घरवालों से या माता-पिता से अपने सारे रिश्तें तोड़ देते हैं। बच्चे घर छोड़कर बस अपनी जिंदगी अपने हिसाब से जीना चाहते थे। वहीं अधिकतर बच्चे किसी न किसी प्रकार की नौकरी कर रहे होते हैं, जिससे वे अपनी जरूरतों को पूरा करते हैं।'



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