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US Capitol Violence: लोकतंत्र की चूलें हिलीं, श्वेतों और अल्पसंख्यकों में खाई बढ़ी

वाशिंगटन.

डॉ. जितेंद्र सिंह सोढ़ी, एनआरआई राजनीतिक विश्लेषक

अमरीकी राष्ट्रपति चुनाव में डेमोक्रेटिक पार्टी के पास दोनों सदनों में स्पष्ट बहुमत है। डोनल्ड ट्रंप का जो बाइडेन की जीत स्वीकार नहीं करना सच से मुंह फेरने के समान है। ट्रंप ने चुनावी नतीतों पर विरोध जताने के लिए अपने समर्थकों से एकत्र हाने की आह्वान किया था। तब कैपिटल हिल में उग्र भीड़ के हंगामे और हिंसा के कारण विश्व का सबसे पुराना लोकतंत्र बहुत रोया। राष्ट््रपति चुनाव के नतीजे अनुकूल न आने पर डोनल्ड ट्रंप ने जो रास्ता अपनाया है, वह शर्मनाक है।

ट्रंप के समर्थकों की हिंसक श्वेत भीड़ द्वारा संसद के संयुक्त सत्र के दौरान यूएस कैपिटल हिल पर धावा बोलने के कारण सभी प्रतिनिधि ग्राउंड यूएस कैपिटल बिल्डिंग के बंकर में जाने के लिए मजबूर होना यह दिखाता है कि दुनिया के पुराने लोकतंत्र और सुरक्षा तंत्र की चूलें हिल गई हैं। दरअसल अमरीका में श्वेत-अश्वेत समुदाय में दरार तो पहले ही पड़ चुकी थी। जब भीड़ ने इमारत में प्रवेश किया और पुलिस ने एक श्वेत महिला को गोली मार दी। इस घटनाक्रम का एक पहलू यह है कि श्वेतों और अल्पसंख्यकों के बीच की खाई और चौड़ी हो गई है।

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पेंस ने बाइडेन की जीत की घोषणा की

लोकतांत्रिक सच यह है कि इलेक्टोरल कॉलेज पहले ही डेमोक्रेट बाइडेन को मिले 306 और रिपब्लिकन ट्रंप को 232 अंक के साथ परिणाम घोषित कर चुका है। आखिर वीपी पेंस ने बाइडेन की जीत की घोषणा की। ट्रंप ने बिना किसी ठोस सुबूत के चुनाव में धोखाधड़ी होने का दावा किया, तभी ये हालात बने। स्थितियां इतनी बिगड़ीं कि लगभग 1000 नेशनल गाड्र्स को बुलाना पड़ा। अब बाइडेन 20 जनवरी को राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेंगे।



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