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देश में मोटापे से जूझ रहे डेढ़ करोड़ बच्चे, नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे में सामने आई बड़ी वजह

नई दिल्ली। बच्चों में बढ़ता मोटापा ( Obesity ) नई परेशानी बन कर सामने खड़ा है। 22 राज्यों में किए गए नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (NFHS-5) के मुताबिक 20 राज्यों में पांच साल से कम उम्र के बच्चों में मोटापा तेजी से बढ़ा है। 2015-16 में किए गए एनएफएचएस-4 की तुलना में एनएफएचएस-5 में स्थिति ज्यादा तेजी से बिगड़ी है।

महाराष्ट्र, गुजरात, मिजोरम, त्रिपुरा, लक्षद्वीप, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में मोटापे की समस्या विकराल होती दिख रही है। लद्दाख में सबसे ज्यादा करीब 13.4 फीसदी बच्चे मोटापे का शिकार पाए गए।

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लक्षद्वीप में 10.5 फीसदी, मिजोरम में 10 फीसदी और जम्मू-कश्मीर और सिक्किम में 9.6 फीसदी बच्चों में मोटापा देखा गया। हालांकि बच्चों में बढ़ते मोटापा के लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार उनकी बदलती खाने-पीने की आदतें हैं।

आहार का बड़ा रोल
शारीरिक गतिविधियों में कमी के साथ मोटापा बढ़ाने में सबसे बड़ा रोल आहार का होता है। अमरीका में टेक्सास के बेयलर विश्वविद्यालय द्वारा की गई एक रिसर्च के मुताबिक कोरोना महामारी के दौर में पारंपरिक भोजन के बजाय बाजारू भोजन की अधिक खपत और कैलोरी खर्च करने में कमी ने बच्चों में मोटापा बढ़ाने में भूमिका निभाई है।

भारत में करीब 1.44 करोड़ बच्चे मोटापे के शिकार हैं और यह आंकड़ा दिनों-दिन बढ़ता ही जा रहा है। विश्व में चीन के बाद सर्वाधिक मोटे बच्चे भारत में ही हैं।

वैश्विक रूप से मोटापा मृत्यु के सबसे बड़े कारणों में से है। हर साल 2.8 प्रतिशत लोगों की मौत का कारण मोटापा ही बनता है।

आंकड़ों पर एक नजर
- 65 प्रतिशत अधिक मोटे बच्चे हैं नगरीय क्षेत्रों में गांवों की अपेक्षा
- 4 गुना अधिक बाजारू खाना खाते हैं शहरी बच्चे ग्रामीण बच्चों के मुकाबले
- 108 कैलोरी कम खर्च करते हैं शहरी बच्चे
- 1.44 करोड़ बच्चे हैं मोटापे का शिकार भारत में

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आ रहे कई विकार
जर्नल ऑफ न्यूट्रीशिन में प्रकाशित विवि की रिपोर्ट के मुताबिक मोटापे के कारण बच्चों में कम उम्र में ही जोड़ों का दर्द, कमर दर्द, कब्ज आदि की समस्याएं बढ़ रही हैं।

वहीं, वजन बढऩे से बच्चों की नर्म हड्डियों में आकार बदलना, टेड़ापन जैसी समस्याएं भी सामने आ रही हैं।

यह करने होंगे उपाय
स्टडी ने उपाय सुझाते हुए कहा है, मोटापे से बचने के लिए बच्चों के खाने में कार्बोहाइड्रेट और फैट को घटाएं और पानी, फल, सब्जी की मात्रा बढ़ाएं।

खाने-पीने की अच्छी आदत को बढ़ावा दें। पिकनिक, ट्रैकिंग जैसी आउटडोर एक्टिविटी अधिक करनी चाहिए। बच्चों से किचन, घर के काम में मदद करने को कहकर उनमें अनुशासन और उत्तरदायित्व लेना सिखाएं।
साथ ही नियमित रूप से शारीरिक श्रम, खेलकूद को बच्चों के दैनिक जीवन का हिस्सा बनाएं।



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