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vijay diwas - जानिए कब-कब हुए भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध, कब लड़ी गई पहली लड़ाई

Vijay Diwas, indo-pak war, ग्रेट ब्रिटेन के अधीन रहने के बाद वर्ष 1947 में भारत को आजादी मिलने के साथ ही देश दो मुल्कों में बंट गया । भारत की सीमाओं को बांट कर पाकिस्तान नाम का एक अलग देश बना दिया गया । भारत के दो टुकड़े करना ब्रिटेन की एक सोची-समझी साजिश थी। धर्म के आधार पर बने दो मुल्क हिन्दुओं का भारत और मुस्लिमों का पाकिस्तान आजादी का अहम आधार थे। दोनों देशों में बांटबारे के दौरान हिंदू, मुस्लिम और सिखों के बीच भयंकर कत्ले-ए-आम, लूटपाट, आगजनी और बलात्कार जैसी जघन्य घटानाएं हुईं। दोनों देश एक-दूसरे के कट्टर दुश्मन बन गए। जिस का नुकसान 1947 से लेकर आजतक दोनों देश उठाते आ रहे हैं। बंटबारे के बाद से अबतक दोनों देशों के बीच समय-समय पर युद्ध होते रहे हैं । भारत और पाकिस्तान के बीच 1947-48, 1965, 1971 और 1999 में युद्ध हुए। इन युद्ध का कारण सीमा विवाद, कश्मीर समस्या, जल विवाद और आतंकवाद के मुद्दे पर विवाद रहे हैं। आइये जानते हैं भारत और पाकिस्तान के बीच सबसे पहला युद्ध कब और क्यों हुआ था, इसके अलावा बाकी युद्ध कब हुए और उसके क्या परिणाम थे। आज 16 दिसंबर को हम विजय दिवस vijay diwas दिन आपको बता रहे हैं भारत-पाक के बीच हुआ युद्धों के बारे में । विजय दिवस 1971 में हुए भारत-पाक युद्ध में भारत की जीत के रूप में मनाया जाता है।

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1947-48 मे भारत पाकिस्तान के बीच पहला युद्ध हुआ-
1947-48 में भारत-पाक के बीच पहला युद्ध हुआ था, इस युद्ध का कारण कश्मीर था। वर्ष 1947 में जब भारत का विभाजन हुआ था, मुस्लिम बहुल कश्मीर के हिन्दू शासक महाराजा हरि सिंह ने स्वतंत्र कश्मीर राज्य का सपना देखा था। हालांकि सितंबर 1947 में जब कश्मीर के पश्चिमी हिस्से में मुसलमानों की हत्या की गई, तब कश्मीर में दंगे भड़क गए। इसकी वजह से राज्य की जनता ने महाराजा के खिलाफ विद्रोह कर दिया और खुद के आजाद कश्मीर सरकार की घोषणा कर दी। इस विद्रोह का फायदे उठाने के लिए पाकिस्तान ने कश्मीर में पाकिस्तानी कबायली सेनाओं को भेजा जो राज्य की राजधानी श्रीनगर से सिर्फ पंद्रह मील दूर थी । इस घुसपैठ को रोकने के लिए महाराजा ने भारत से सहायता मांगी। भारत ने उन्हें भारत में विलय करने के संबंधी दस्तावेज पर हस्ताक्षर करने को कहा। महाराजा हरि सिंह ने उस पर हस्ताक्षर किए और भारत में जम्मू-कश्मीर का विलय हो गया। तब भारत ने कश्मीर में अपनी सेना भेजी । भारतीय सेना ने पाकिस्तान के लड़ाकों को पीछे खदेड़ दिया। लेकिन कुछ राजनैतिक कारणों की वजह से सेना कबाइली लड़ाकों को कश्मीर से बाहर नहीं कर सकी। जिस कारण पाकिस्तान के नियंत्रण में भारत के जम्मू और कश्मीर का एक हिस्सा रह गया जिसे "पाक अधिकृत कश्मीर (पीओके)" कहते हैं । कश्मीर विभाजन की समस्या दोनों देशों के बीच टकराव का आज भी एक अहम मुद्दा बनी हुई है।

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भारत- पाक के बीच दूसरा युद्ध 1965 में हुआ-
1965 का भारत पाक युद्ध जल विवाद को लेकर हुआ । भारत के विभाजन में नदी जल बंटवारे को लेकर भी विवाद हुआ था । लगभग सभी नदियों – सिंधु, चिनाब, सतलुज, ब्यास और रावी का पानी भारत से होकर गुजरता है। वर्ष 1948 में भारत ने इन नदियों के पानी को बंद कर दिया था। वर्ष 1960 में नेहरू और अयूब खान के बीच हुए सिंधु जल समझौता हुआ। इसके बाद पाकिस्तान झेलम, चेनाब और सिंधु नदी का पानी इस्तेमाल कर सकता था जबकि भारत सतलुज, ब्यास और रावी नदियों का। वर्ष 1965 में पाकिस्तान के कच्छ सीमा के पास हमला किया जिससे विवाद शुरु हो गया। भारत ने यह मामला संयुक्त राष्ट्र में उठाया। इसे भारत की कमजोरी समझते हुए पाकिस्तान ने कश्मीर में उपद्रव मचाने की कोशिश की। 5 अगस्त 1965 को पाकिस्तान ने नियंत्रण रेखा (LOC) पर सेना को तैनात कर दिया था।

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1971 में भारत पाकिस्तान के बीच हुआ तीसरा युद्ध -
ये युद्ध 1971 पूर्वी पाकिस्तान के हिस्से को अलग करके बांग्ला देश बनाने के लिए हुआ। भारत-पाक युद्ध में पूर्वी पाकिस्तान आजाद हो गया और बांग्लादेश के रूप में एक नए देश बन गया । भारत विभाजन के बाद पश्चिम बंगाल का पूर्वी हिस्सा, पूर्वी पाकिस्तान के तौर पर पाकिस्तान मे शामिल कर दिया गया था। पाकिस्तान के इन दो हिस्सों के बीच भारत की 1200 मीलों की सीमा पड़ती थी । इसके अलावा पाकिस्तान की सैन्य सरकार ने पूर्वी पाकिस्तान पर अधिक ध्यान नहीं दिया और बांग्ला भाषी लोगों पर उर्दू भाषा को थोप जाने लगी। पूर्व बंगाल के शेख मुजीबुर रहमान को राज्य का प्रमुख नहीं बनाया गया । रहमान की पार्टी ने 1970 में हुए चुनावों में 300 सीटों में से 160 सीटें जीती थीं। पाकिस्तानी नेता जेड.ए. भुट्टो और राष्ट्रपति याहया खान ने पूर्व बंगाल को अधिकार देने से इनकार कर दिया था। इस कारण भारत को बीच में हस्ताक्षेप करना पड़ा। जब पाकिस्तान ने कश्मीर में भारतीय हवाईअड्डों पर हमला किया, तब भारत ने पूर्व और पश्चिम दोनों ही पाकिस्तान पर हमला बोल दिया। भारत ने पूर्वी हिस्से पर कब्जा कर लिया जिसे 6 दिसंबर 1971 को बांग्लादेश नाम के नए देश के नाम से स्वतंत्र घोषित किया गया। दोनों ही देश संघर्ष विराम के लिए सहमत हुए और 1972 में जेड.ए.भुट्टो पाकिस्तान के नेता के तौर पर उभरे और मुजीबुर रहमान बांग्लादेश के पहले राष्ट्रपति बने। बातचीत भारत की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और पाकिस्तान के राष्ट्रपति जेड.ए. भुट्टो के बीच हुई। परिणामस्वरूप जून 1972 में दोनों देशों के बीच शांति और व्यवस्था बहाली हेतु शिमला समझौते पर हस्ताक्षर किया गया।

1999 का कारगिल युद्ध -
भारत-पाक के बीच 1999 में एक और युद्ध हुआ जिसे कारगिल युद्ध के नाम से जाना गया। 1999 में जम्मू और कश्मीर के कारगिल इलाके में नियंत्रण रेखा के पास पाकिस्तान के सैनिकों और कश्मीरी आतंकवादियों की घुसपैठ इस युद्ध की वजह थी। 2 महीने चले इस युद्ध में भारतीय सेना ने उग्रवादियों और पाक सेना को खदेड़ दिया। लद्दाख की भारतीय सीमा को राज्य के उत्तरी इलाके से अलग करने वाले कारगिल में पाकिस्तानी घुसपैठ ने भारतीय सेना को चौंका दिया और कारगिल क्षेत्र से दुश्मनों को निकाल बाहर करने के लिए तत्काल ऑपरेशन विजय चलाया गया। राज्य के द्रास–कारगिल क्षेत्र की सबसे उंची चोटियों में से एक टाइगर हिल युद्ध का केंद्र बिन्दु बना था । भारतीय वायु सेना ने अभियान में हिस्सा लिया और भारत ने टाइगर हिल पर अपना कब्जा जमाया और पाकिस्तानी सेना को उनकी सीमा में वापस भेज दिया। दोनों देशों के बीच शांति और स्थिरता बनाए रखने एवं अपनी जनता की उन्नति एवं समृद्धि के लिए भारत के प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के साथ 21 फरवरी 1999 को लाहौर घोषणापत्र पर हस्ताक्षर किया।



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