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राजस्थान ईज ऑफ डुइंग बिजनेस रिफॉर्म करने वाला देश का 6वां राज्य बना

नई दिल्ली.

ईज ऑफ डुइंग बिजनेस में राज्यों की संयुक्त प्रयासों का असर दिखाई देने लगा है। हाल के दिनों में जहां देश की रैंकिंग 14 स्थान उछलकर 63वें नंबर पर आई तो अब राजस्थान देश का 6वां राज्य हो गया है, जिसने ईज ऑफ डुइंग बिजनेस रिफॉर्म को राज्य के भीतर पूरी तरह से लागू किया है। इसके साथ ही राजस्थान को अब ओपन मार्केट से 2,731 करोड़ रुपए अतिरिक्त कर्ज लेने की सहूलियत मिलेगी। केंद्रीय वित्त मंत्रालय द्वारा दी गई व्यवस्था के तहत इस उपलब्धि के बाद राजस्थान अपने वित्तीय जरूरतों को पूरा करने में अधिक सक्षम हो पाएगा। इससे पहले रिफॉर्म को लागू करने वाले पांच राज्यों को 19,459 करोड़ रुपए का अतिरिक्त कर्ज लेने की सुविधा मिली हुई थी।

इन राज्यों के कतार में हुआ खड़ा
अब तक कुल छह राज्यों ने ईज ऑफ डुइंग रिफॉर्म की प्रक्रिया को पूरा किया है। राजस्थान से पहले आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु और तेलंगाना ही वे राज्य हैं, जिन्होंने इस मुकाम को हासिल किया है। इस उपलब्धि को हासिल करने के बाद ये राज्य ओपन मार्केट से 19,459 करोड़ रुपए का अतिरिक्त कर्ज ले सकेंगे।

GST के दो फीसदी का कर्ज लेने की सुविधा
कोविड 19 और लॉकडाउन की वजह से देश के सभी राज्यों की वित्तीय हालात खस्ता हो गई थी। राज्यों के पास अपने प्रशासनिक खर्च उठाने तक के लिए वित्त की कमी पड़ गई थी। इन परिस्थितियों को देखते हुए केंद्र सरकार ने 17 मई 2020 को इस व्यवस्था की शुरूआत की थी। जिसके तहत ईज ऑफ डुइंग बिजनेस प्रक्रिया को पूरा करने वाले राज्यों को ओपन मार्केट से अतिरिक्त कर्ज लेने की अनुमति होगी। राज्यों को अपने जीएसटी का दो फीसदी तक का कर्ज लेने की अनुमति होगी।

नागरिक हितों में सुधार पर भी बल
नागरिकों के हितों के मद्देनजर भी सुधार करने पर भी बल दिया गया है। जिसके तहत वन नेशन वन राशन कार्ड को लागू करना, ईज ऑफ डुइंग बिजनेस रिफॉर्म, अर्बन लोकल बॉडी या यूटिलिटी रिफॉर्म और ऊर्जा क्षेत्र में रिफॉर्म करने का प्रावधान किया गया है। अब तक 10 राज्यों ने वन नेशन वन राशन कार्ड सिस्टम को लागू किया है। 6 राज्यों ने ईज ऑफ डूइंग बिजनेस रिफॉर्म को लागू किया है, वहीं महज दो राज्यों ने ही लोकल बॉडी रिफॉर्म करने में सफलता पाई है। इन मापदंडों के तहत राज्यों को कुल 50,253 करोड़ रुपए का कर्ज लेने की अनुमति दी जा चुकी है।

इन मापदंडों पर आंक रहे
केंद्र सरकार द्वारा दी गई इस व्यवस्था के तहत राज्यों के लिए कुछ मापदंड तय किए गए हैं। राज्यों को सबसे पहले जिला स्तर पर बिजनेस रिफॉर्म एक्शन प्लान को पूरा करना होगा। विभिन्न अधिनियमों के तहत कारोबार करने के लिए जरूरी लाइसेंस, मंजूरी, पंजीकरण प्रमाण-पत्र का रिन्यूअबल जैसे व्यवस्था को समाप्त करना होगा। कानून के तहत कंप्यूटराइज्ड सेंट्रल रेंडम इंस्पेक्शन सिस्टम को लागू करना होगा। साल में एक ही इंस्पेक्टर को जांच के लिए बार-बार एसाइन नहीं किया जाएगा। इंस्पेक्शन से पहले कारोबारियों को इंस्पेक्शन नोटिस दिया जाएगा। 48 घंटों के भीतर इंस्पेक्शन रिपोर्ट्स को अपलोड करना होगा।

क्या है ईज ऑफ डूइंग बिजनेस
ईज ऑफ डूइंग बिजनेस एक तरह का इंडेक्स है। इसमें कारोबार सुगमता के लिए कई तरह के पैमाने रखे गए हैं। इनमें लेबर रेगुलेशन, ऑनलाइन सिंगल विंडो, सूचनाओं तक पहुंच, पारदर्शिता इत्यादि शामिल हैं। देश में इसे उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्द्धन विभाग (डीपीआइआइटी) तैयार करता है। डीपीआइआइटी विश्व बैंक के सहयोग से सभी राज्यों और संघ शासित प्रदेशों के लिए बिजनेस रिफॉर्म एक्शन प्लान (बीआरएपी) के तहत इसमें कई सुधार संबंधी प्रक्रियाओं का सुझाव देता है।

ऐसे मिलती है रैंकिंग
राज्यों और संघ शासित प्रदेशों को यह रैंकिंग बिजनेस रिफॉर्म एक्शन प्लान-2019 के क्रियान्वयन के आधार पर दी जाती है. इस पूरी प्रक्रिया का मकसद राज्यों के बीच प्रतिस्पर्धा बढ़ाना है। केंद्र सरकार चाहती है कि राज्य घरेलू के साथ विदेशी निवेश भी आकर्षित कर सकें। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विश्व बैंक इस इंडेक्स को जारी करता है। विश्व बैंक की ईज ऑफ डूइंग बिजनेस में भारत 63वें स्थान पर है।

Fact and Figure

— 63वें नंबर पर देश, 2020 में भारत 14 स्थान उछलकर आगे आया भारत
— 6वें नंबर का राज्य बना राजस्थान, ईज ऑफ डुइंग बिजनेस रिफॉर्म में
— 2 फीसदी जीएसटी का अतिरिक्त कर्ज बाजार से उठाने की पात्रता मिलेगी
— 19,459 करोड़ रुपए बाजार से कर्ज लेने की पात्रता है पांच राज्यों को
— कोविड के दौर में शुरू हुई थी सरकार की यह स्कीम



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