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Seer Kesavananda Bharati का निधन, मौलिक अधिकारों की रक्षा के लिए लड़ी थी ऐतिहासिक जंग

नई दिल्ली। दक्षिण भारतीय राज्य केरल के संत केशवानंद भारती (Seer Kesavananda Bharati) का आज निधन हो गया है। 79 वर्षीय संत केशवानंद 47 साल पहले केरल सरकार के खिलाफ मठ की संपत्ति को लेकर सुप्रीम कोर्ट में ऐतिहासिक जंग लड़ी थी। उस वक्त 13 जजों की बेंच ने संत केशवानंद के पक्ष में फैसला सुनाया था।

इस फैसले के बाद भारतीय न्याय प्रणाली के इतिहास में यह केस नजीर बन गया। साथ ही सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला केशवानंद भारती केस के नाम से जाना गया।

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संत केशवानंद भारती केरल के कासरगोड़ में एडनीर मठ के प्रमुख थे। उन्हें केरल सहित देशभर के लोग संविधान को बचाने वाले संत व महान शख्स के रूप में याद रखेंगे।

दरअसल, 1973 में संत केशवानंद भारती ने केरल सरकार के खिलाफ मठ की संपत्ति को लेकर सुप्रीम कोर्ट में ऐतिहासिक कानूनी जंग लड़ी थी। उस समय सुप्रीम कोर्ट के 13 जजों की पीठ ने केशवानंद के पक्ष में फैसला सुनाया था। यह मामला सुप्रीम कोर्ट तब पहुंचा जब तत्कालीन केरल सरकार ने एडनीर मठ की संपत्ति पर कई तरह की पाबंदियां लगा दी थी।

केशवानंद भारती ( Seer Kesavananda Bharati ) को कुछ दिनों पहले सांस लेने की तकलीफ और हृदय की शिकायत के बाद मैंगलुरु के एक प्राइवेट अस्पताल में भर्ती कराया गया था। वहीं पर इलाज के दौरान उनका निधन हो गया।

मौलिक अधिकारों की संरक्षा में ऐतिहासिक जंग लड़ने वाले संत केशवानंद भारती 1961 से मठ के प्रमुथ थे। वह संत होने के साथ-साथ शास्त्रीय संगीत के गायक भी थे। उन्होंने लगातार 15 साल तक यक्षगाना मेला में गायक और डायरेक्टर के तौर पर भाग लिया।

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संत केशवानंद ने एडनीर मठ में कई साहित्यिक कार्यक्रम भी चलाया। उन्होंने यक्षगान को अलग पहचान दी थी। साथ ही उन्हें वो प्रमुखता मिली जिसके वे हकदार थे।

केरल सरकार के खिलाफ कानूनी जंग लड़ने के बाद लोकप्रिय हुए संत केशवानंद भारती ( Seer Kesavananda Bharati ) ने 19 साल की उम्र में ही संन्यास लेे लिया था। कुछ साल बाद अपने गुरु के निधन की वजह से एडनीर मठ के मुखिया बने। एडनीर मठ का इतिहास 1200 साल पुराना है।

इस मठ को केरल और कर्नाटक के लोग काफी सम्मान देते हैं। इस मठ का भारत की नाट्य और नृत्य परंपरा को बढ़ावा देने के भी अग्रणी माना जाता है।



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