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CDS बिपिन रावत का बड़ा बयान, चीन से बातचीत विफल हुई तो सैन्य विकल्प हैं तैयार

नई दिल्ली। चीन से रिश्तों को लेकर भारत के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत ने स्पष्ट रूप से कहा कि भारत अपनी संप्रभुता से कोई समझौता नहीं करने वाला है। रावत ने कहा कि अगर बातचीत फेल होती है तो सैन्‍य विकल्‍पों पर विचार किया जा रहा है। लद्दाख में चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी द्वारा किए गए बदलावों से निपटने को सैन्य विकल्प मौजूद हैं।

'हम शांति से सुलझाना चाहते हैं विवाद'

जनरल रावत ने कहा कि सरकार शांतिपूर्ण ढंग से मामलों को सुलझाने का प्रयास कर रही है। उन्‍होंने संकेत दिया कि पूर्वी लद्दाख में सेनाएं पूरी तरह से तैयार हैं उन्‍होंने कहा कि LAC पर अतिक्रमण अलग-अलग नजरिये के कारण होता है। इसका उद्देश्य रक्षा सेवाओं के काम को निगरानी रखना और ऐसे अतिक्रमण को घुसपैठ में तब्‍दील होने से रोकने का है। सरकार का मानना है कि शांतिपूर्ण तरीके से मामले का हल निकाला जाए। अगर LAC पर पहले जैसी स्थिति को बहाल की कोशिशें सफल नहीं होती हैं तो सैन्‍य कार्रवाई के लिए रक्षा सेवाएं हमेशा तैयार रहती हैं।

रोज मिल रही हैं खुफिया एजेंसियां

2017 में जब चीन ने डोकलाम में अपनी चालबाजी दिखाई थी, तब जनरल रावत सेना प्रमुख थे। इस दौरान उन्‍होंने खुफिया एजेंसियों के बीच तालमेल की कमी को नाकार दिया है। जनरल रावत के अनुसार भारत की इतनी लंबी सीमा है कि उसकी लगातार निगरानी की जरूरत है। उन्‍होंने कहा कि इस मामले को लेकर रोज बैठकें हो रही हैं।

बातचीत जारी, तनाव नहीं हो रहा कम

चीन और भारत के बीच तनाव कम होने का नाम नहीं ले रहा है। भारत की मांग है कि चीन को अप्रैल से पहले वाली स्थिति बहाल करनी चाहिए। इसे लेकर सैन्‍य स्‍तर पर बातचीत के अलावा विदेश मंत्रालय और दोनों देशों के वर्किंग मकैनिज्म फॉर कंसल्टेशन ऐंड को-ऑर्डिनेशन ने भी चर्चा की है। दोनों देशों के बीच आम सहमति तो बनी है मगर धरातल पर कोई असर नहीं हुआ।

सीमा पर आर्मी हाई अलर्ट पर

सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे का कहना है कि आर्मी हाई अलर्ट पर अभी भी है। LAC के साथ ऊंचाई वाले कुछ क्षेत्रों में तापमान ठंड में गिरने लगता है। यहां पर तापमान शून्य से 25 डिग्री सेल्सियस तक कम हो जाता है। 15 जून को गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प के बाद दोनों पक्षों के बीच तनाव कई गुना बढ़ा था। इस झड़प में 20 भारतीय जवान शहीद हो गए। वहीं चीन के भी कई जवानों हताहत हुए थे।



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