VIKAS DUBEY ENCOUNTER : कैसे मारा गया विकास दूबे, जानिए पूरा घटनाक्रम
नई दिल्ली. कानपुर में एक सप्ताह पहले 8 पुलिसकर्मियों की हत्या का मुख्य आरोपी विकास दुबे उज्जैन से गिरफ्तारी के 24 घंटे के भीतर मारा गया। उज्जैन से कानपुर लाते समय भागने की कोशिश कर रहे मोस्ट वांटेड विकास दुबे को एसटीएफ में मुठभेड़ में ढ़ेर कर दिया। इस दौरान पुलिस के चार जवान भी घायल हुए हैं। जानकारी के मुताबिक जिस गाड़ी से पुलिस विकास दुबे कानपुर ला रही थी, रास्ते में वो दुर्घटनाग्रस्त हो गई। इस दौरान मौके का फायदा उठाकर विकास ने भागने की कोशिश की। साथ ही उसने घायल पुलिसकर्मी से पिस्टल भी छीन ली। मौके पर एसटीएफ के साथ विकास दुबे की मुठभेड़ शुरू हुई और गोली लगने से उसकी मौत हो गई। इससे पहले यूपी पुलिस उसके पांच साथियों को एनकाउंटर में ढेर कर चुकी है।
उज्जैन से गिरफ्तारी के बाद यूं चला घटनाक्रम
- कानपुर हत्याकांड के बाद विकास दुबे को कई राज्यों की पुलिस बीचे 6 दिनों से तलाश कर रही थी। गुरुवार सुबह मध्य प्रदेश पुलिस ने उसे उज्जैन के महाकाल मंदिर से गिरफ्तार किया था।
- मध्य प्रदेश पुलिस ने दुबे के साथ दो वकीलों और शराब कंपनी के मैनेजर के साथ ही चार अन्य को भी हिरासत में लिया।
- विकास दुबे गुरुवार सुबह करीब 7.45 बजे महाकाल मंदिर दर्शन के लिए पहुंचा था और मंदिर में प्रवेश की व्यवस्था के बारे में दुकानदार के जानकारी ली।
- मंदिर दर्शन के लिए उसने 250 रुपये की रसीद भी कटवाई। प्रवेश के दौरान मंदिर के गार्ड को शक होने पर उसे पकडकऱ पुलिस चौकी लाया गया।
- पुलिस की गिरफ्त में आने पर उसने जोर से चिल्लाकर कहा, मैं विकास दुबे हूं..कानपुर वाला।
-यूपी एसटीएफ के अधिकारी गुरुवार शाम को ही उज्जैन पहुंचे थे। इस पर विकास दुबे को कानपुर पुलिस को सौंप दिया।
- गुरुवार रात करीब 9:30 बजे उत्तर प्रदेश पुलिस का काफिला उसे सडक़ मार्ग से ले गया।
- उज्जैन से कानपुर लाते समय सुबह विकास की गाड़ी का एक्सीडेंट हो गया। वह घायल पुलिसकर्मियों की पिस्टर छीनकर भागने लगा। पुलिस ने सरेंडर करने को कहा। नहीं रुका तो पुलिस ने गोली चलाई, जिसके बाद वह ढेर हो गया।
आठ पुलिसकर्मियों का हत्यारा
कानपुर जिला मुख्यालय से करीब 38 किमी दूर चौबेपुर थाना क्षेत्र के गांव बिकरू में गत शुक्रवार की रात को विकास दुबे को पकडऩे के लिए पुलिस टीम पहुंची थी। इस दौरान कुख्यात विकास और उसके साथियों ने हमला कर दिया था, जिसमें सीओ, एसओ सहित आठ पुलिसकर्मी शहीद हो गए थे। सूबे में यह पहली बार था,जब इतनी बड़ी संख्या में पुलिस वाले बलिदान हो गए थे।
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