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अमरीकी स्कूलों पर Donald Trump ने निशाना साधा, बोले- बच्चों को कट्टर वामपंथ की सीख दी जा रही

वॉशिंगटन। अमरीका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) ने अमरीकी स्कूलों की शिक्षा पद्धति पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि अमरीका (America) में बहुत से स्कूलों में कट्टर वामपंथी की भावना सिखाई जा रही है। अमरीका के मिनियापोलिस में एक अश्वेत नागरिक जॉर्ज फ्लॉयर्ड (George Floyd) की मौत के बाद से भड़के आंदोलन के लिए ट्रंप ने वामपंथ विचारधारा को जिम्मेदार बताया था। उन्होंने कहा था कि इसको लेकर हो रही हिंसा के पीछे वामपंथी विचारधारा को मानने वाली एंटीफा काम कर रही है।

ट्रंप ने किया यह ट्वीट

ट्रंप ने अपने ट्वीट में कहा कि बहुत सारी यूनिवर्सिटी और स्कूली शिक्षा रेडिकल लेफ्ट भावना प्रसारित कर रहे हैं। इसलिए, उन्होंने ट्रेजरी विभाग से कह दिया है कि वे अपनी कर-मुक्त स्थिति या फंडिंग की फिर से जांच करें। जो इस विचारधारा का प्रचार कर रहा हो उसकी फंडिंग पर रोक लगाई जानी चाहिए। हमारे बच्चों को शिक्षित होना चाहिए,न कि उन्हें प्रेरित करना चाहिए।

क्या है Antifa

दरअसल, अमरीका में फासीवाद के विरोधी लोगों को Antifa (anti-fascists) कहा जाता है। अमरीका में Antifa आंदोलन उग्रवादी और फासीवादी विरोधी आंदोलन के लिए इस्तेमाल होता है। ये लोग नव-नाजी, नव-फासीवाद, श्वेत सुपीरियॉरिटी और रंगभेद के खिलाफ होते हैं। इस आंदोलन से जुड़े लोग आमतौर पर शांतिपूर्ण प्रदर्शन करते हैं। हालांकि, विरोध के दौरान हिंसा का सहारा लेते हैं।

कब बना यह संगठन

बताया जाता है कि एंटीफा का गठन 1920 और 1930 के दशक में यूरोपीय फासीवादियों के विरोध में हुआ है। हालांकि एंटीफा की गतिविधियों पर नजर रखने वाले जानकारों का कहना है कि आंदोलन 1980 के दशक में एंटी-रेसिस्ट एक्शन नामक एक समूह के साथ शुरू हुआ था। 2000 तक यह आंदोलन बिल्कुल सुस्त था लेकिन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के सत्ता संभालने के बाद से ये दोबारा सक्रिय हुआ है।

अश्वेत का वीडियो वायरल होने के बाद से बढ़ा था प्रदर्शन

गौरतलब है कि इस साल मई माह में अश्वेत शख्त जॉर्ज फ्लॉयड की मौत का वीडियो वायरल होने के बाद से ही अमरीका के कई शहरों में हिंसक प्रदर्शनों का दौर शुरू हो गया। इनमें से कुछ प्रदर्शनों ने उग्र रूप ले लिया और पुलिस के साथ प्रदर्शनकारियों की झड़प हुई। फिनिक्स, डेनवर, लास वेगास, लॉस एंजिलिस और कई अन्य शहरों में हजारों प्रदर्शनकारियों के हाथों में पोस्टर थे जिनपर लिखा था कि उसने कहां, मैं सांस नहीं ले पा रहा हूं। दरअसल अश्वेत जार्ज की मौत दम घुटने के कारण हुई थी। पुलिस हिरासत में एक श्वेत पुलिसकर्मी ने जॉर्ज को अपने घुटनों से करीब आठ मिनट तक दबाए रखा। इस दौरान वह चिल्लाता रहा कि उसे सांस लेने में समस्या हो रही है। मगर पुलिसकर्मी ने उसकी एक नहीं सुनी और घुटना उसकी पीठ से नहीं हटाया। इसके परिणामस्वरूम वह बेहोश हो गया और अस्पताल ले जाते वक्त उसकी जान चली गई।



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