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Coronavirus : हल्के लक्षण वाले मरीजों पर भी छोड़ता है खतरनाक असर, दिल, किडनी व दिमाग कर देता है डैमेज

नई दिल्ली. कोरोना वायरस (Coronavirus In India) का कहर लगातार बढ़ता ही जा रहा है। 24 घंटों में 26 हजार से अधिक नए संक्रमित मिले हैं। यह आंकड़ा आठ लाख के पार हो गया है। कोरोना वायरस (Coronavirus Outbreak) को लेकर हर दिन नए शोध, नए अध्ययन सामने आ रहे हैं। इस बीच ब्रिटिश न्यूरोलॉजिस्ट (British Neurologist) ने एक दावा किया है। उन्होंने बताया है कि SARS-CoV-2 हल्के लक्षण (Symptoms of coronavirus) वाले या ठीक हो रहे मरीजों के दिमाग को गंभीर रूप से डैमेज कर सकता है। आमतौर पर इस तरह के डैमेज काफी वक्त बाद या कभी पता नहीं लगता है।

सेंट्रल नर्वस सिस्टम को पहुंचाती है नुकसान

यूनिवर्सिटी ऑफ लंदन में न्यूरोलॉजिस्ट्स (University of london) ने 40 ब्रिटिश मरीजों में एक्यूट डीमायलिनेटिंग एंसेफैलोमायलिटिस (Acute demyelinating encephalomyelitis) (ADEM) की पहचान की। यह बीमारी स्पाइनल कॉर्ड और दिमाग की नसों की मायलिन शीथ्स को प्रभावित करती हैं और सेंट्रल नर्वस सिस्टम को नुकसान पहुंचाती हैं।

इस तरह करता है प्रभावित

जांच किए गए मरीजों में से 12 सेंट्रल नर्वस सिस्टम में इंफ्लेमेशन, 10 डिलिरियम या साइकोसिस के साथ ट्रांजिएंट एंसीफैलोपैथी(दिमागी बीमारी), 8 स्ट्रोस और 8 पैरिफैरल नर्व्स की परेशानियों से जूझ रहे थे। ज्यादातर गिलियन-बार सिंड्रोम का शिकार थे। यह एक तरह का इम्यून रिएक्शन है जो नर्व्स को प्रभावित करता है और लकवा का कारण होता है। 5 प्रतिशत मामलों में यह घातक होता है।

हल्के लक्षण में भी दिखाता है असर

स्टडी के प्रमुख और यूसीएल अस्पतालों में कंस्लटेंट डॉक्टर माइकल जैंडी के मुताबिक, वैज्ञानिकों ने इससे पहले ऐसा कोई वायरस नहीं देखा जो दिमाग पर इस तरह हमला कर रहा है, जैसे कोविड 19 करता है। अनोखी बात यह है कि यह हल्के लक्षण वाले मरीजों के दिमाग को भी गंभीर रूप से डैमेज कर सकता है।

याद्दाश्त की परेशानियों से जूझ रहे मरीज

प्रकाशित हो चुके मामले इस डर की पुष्टि करते हैं कि कोविड 19 कुछ मरीजों में लंबे वक्त के लिए स्वास्थ्य समस्या का कारण बन रहा है। कई मरीज ठीक होने के बाद सांस की दिक्कत और थकान से परेशान रहते हैं। वहीं ठीक हो रहे मरीज सुन्न, कमजोरी और याद्दाश्त की परेशानियों से जूझ रहे हैं।

कुछ मरीज हो जाते है ठीक

डॉक्टर माइकल के मुताबिक बायोलॉजिकली ADEM में मल्टिपल स्क्लेरोसिस की कुछ समानताएं हैं, लेकिन यह काफी ज्यादा घातक है और आमतौर पर केवल एकबार होता है। कुछ मरीज लंबे समय के लिए मजबूर हो जाते हैं, कुछ ठीक हो जाते हैं।

इन समस्याओं से जूझ रहे मरीजों को लेनी चाहिए न्यूरोलॉजिस्ट से सलाह

कभी-कभी न्यूरोलॉजिकल डैमेज और लेट इफेक्ट्स का पता नहीं चल पाता है या ओवरलोड के कारण पता लगने में काफी वक्त लगता है। डॉक्टर माइकल ने एक बयान जारी करते हुए कहा कि "हम कोरोनावायरस की कॉम्प्लिकेशन्स को लेकर दुनियाभर के फिजीशियन्स का ध्यान खींचना चाहेंगे। फिजीशियन्स और स्टाफ को याद्दाश्त की परेशानी, थकान, सुन्न होना और कमजोरी से जूझ रहे मरीजों को लेकर न्यूरोलॉजिस्ट से सलाह लेनी चाहिए।"



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