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उद्धव सरकार का नया फरमान : सरकारी कामकाज में मराठी का करें इस्तेमाल नहीं तो इंक्रीमेंट से धोना पड़ेगा हाथ

नई दिल्ली। महाराष्ट्र में शिवसेना ( Shiv Sena ) नेतृत्व वाली उद्धव सरकार ने नया फरमान जारी किया है। प्रदेश सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग ने स्पष्ट कर दिया है कि सभी कर्मचारी सरकारी कामकाज ( Government works ) में मराठी भाषा का इस्तेमाल करें। सरकार के आदेश का पालन नहीं करने वाले कर्मचारियों को इंक्रीमेंट ( Increment ) से हाथ धोना पड़ सकता है।

माना जा रहा है कि मराठी मानुष ( Marathi Manush ) की विचारधारा को प्रमोट करने वाली शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ( Shiv Sena Chief Uddhav Thackeray ) नेतृत्व वाली सरकार अब इस मुद्दे को नए सिरे से तूल देना चाहती है।

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सिर्फ मराठी का हो इस्तेमाल

महाराष्ट्र सरकार के सर्कुलर ( Maharashtra Government Order ) में साफ तौर पर कहा गया है कि सभी सरकारी दफ्तरों, मंत्रालयों, डिविनजल दफ्तर और निकाय कार्यालयों में आधिकारिक इस्तेमाल के लिए लिखे जाने वाले पत्रों और अन्य संचार तरीकों में सिर्फ मराठी भाषा का इस्तेमाल किया जाए। ऐसा न करने पर कर्मचारियों को या तो चेतावनी दी जाएगी या फिर उसकी कॉन्फिडेन्शियल रिपोर्ट ( Confidential Report ) में इसकी एंट्री कर दी जाएगी। फिर उसका इन्क्रीमेंट एक साल के लिए रोक दिया जाएगा।

ठोस वजह के बाद ही राहत की करें उम्मीद

सामान्य प्रशासन मंत्रालय के सर्कुलर में कहा गया है कि इस मामले में दोषी पाए जाने पर छूट तभी दी जाएगी, जब मराठी इस्तेमाल न कर पाने के पीछे कोई ठोस वजह दी जा सके। सर्कुलर में कुछ सरकारी योजनाओं के विज्ञापनों और स्लोगन्स को हिंदी और अंग्रेजी में लिखे जाने की बात को संज्ञान में लाया गया है। कहा गया है कि इस संदर्भ में पहले भी सर्कुलर जारी किए गए हैं लेकिन इसका पालन नहीं किया जा रहा है। सरकारी आदेश का ( Governments Orders ) पालन न करना एक तरह से अनुशासनहीनता का प्रतीक है।

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सरकार पर लगा इस मुद्दे को गंभीरता से न लेने का आरोप

एक बार फिर कैबिनेट मीटिंग ( Cabinet Meeting ) के दौरान उठने के बाद अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए गए कि वे संबंधित विभागों में इसका पालन करवाएं। पूर्व प्रमुख सचिव महेश जागड़े ने इस फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि आप महाराष्ट्र में काम कर रहे हैं तो आपको मराठी में ही संचार करना चाहिए। पिछली सरकारों ने भी चेतावनी दी थी लेकिन कोई फर्क नहीं हुआ। ऐसा लगता है कि इस सरकार ने इसे गंभीरता से ले लिया है।



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