बच्चों में कुपोषण रोकने के लिए RUTF कारगरः CMAM

नई दिल्ली। भारत में बच्चों में गंभीर कुपोषण के मामलों से निपटने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है। देश में इसके लिए एक नए औद्योगिक समूह कम्यूनिटी बेस्ड मैनेजमेंट ऑफ एक्यूट मैलन्यूट्रिशन ( CMAM ) एसोसिएशन ऑफ इंडिया का गठन किया गया है। एसोसिएशन का लक्ष्य सामुदायिक स्तर पर रेडी टू यूज़ थेरेप्युटिक फूड ( RUTF ) को प्रोत्साहित करने के साथ ही गंभीर रूप से कुपोषित बच्चों को खतरे से बाहर निकालने की प्रक्रिया को तेज करना है।
CMAM के मुताबिक घर के खाने के साथ ही आपातकालीन कदम के तौर पर चिकित्सकीय सप्लीमेंट देने से अस्पताल में भर्ती किए जाने वाले कुपोषित बच्चों की संख्या में काफी कमी लाई जा सकती है। एसोसिएशन का मानना है कि इससे 90 प्रतिशत गंभीर कुपोषित बच्चों को समुदायिक स्तर पर ही ठीक किया जा सकता है।
दुनिया में सर्वाधिक गंभीर स्थिति भारत में
UNICEF और देश के केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ( MoHFW ) द्वारा वर्ष 2016-18 के दौरान आयोजित एक व्यापक राष्ट्रीय पोषण सर्वे में पता चला कि बच्चों में गंभीर रूप से कुपोषित होने की आशंका 4.9 प्रतिशत है। इसका मतलब कि भारत में 5 साल से कम आयुवर्ग में प्रत्येक 20 में से एक बच्चा गंभीर रूप से कुपोषित है।
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इस आंकड़ों के हिसाब से देश में 60 लाख से ज्यादा बच्चे गंभीर कुपोषित हैं। यह दुनिया में संभवतः सबसे ज्यादा गंभीर स्थिति है। हालांकि इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स के हिसाब से ऐसे बच्चों की संख्या 80 लाख है, जो स्थिति की भयावहता को सामने लाने के लिए काफी है।
RUTF बेहतर जरिया
RUTF के प्रमुख विनिर्माता और निर्यातकों द्वारा गठित CMAM एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष अक्षत खंडेलवाल के मुताबिक भारत ने कई मोर्चों पर शानदार प्रगति की है। हालांकि बच्चों में गंभीर कुपोषण की समस्या दूर करने के लिए कोई महत्वपूर्ण विकास नहीं हुआ है। WHO और UNICEF के मानकों पर तैयार RUTF का इस्तेमाल छह माह से 5 साल तक के बच्चों में गंभीर कुपोषण के इलाज के लिए बेहतर आपातकालीन जरिया है।
खंडेलवाल की मानें तो पोषण अभियान सही दिशा में उठाया गया कदम है और कुपोषण रोकने के लिए बच्चों तक पोषक भोजन पहुंचाना होगा। लेकिन ऐसे हालात में जब किसी कारण से बचाव का तरीका काम नहीं कर पाता है और बच्चा गंभीर रूप से कुपोषित हो जाता है, तब बच्चे की जान बचाने के लिए आपातकालीन कदम उठाने की जरूरत होती है। राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश समेत कई राज्यों में कई कम्यूनिटी बेस्ड पायलट प्रोजेक्ट के दौरान गंभीर कुपोषण से निपटने में RUTF का इस्तेमाल सफल साबित हुआ है।
राष्ट्रीय अभियान की योजना
एसोसिएशन ने कहा कि कुछ लोगों में यह भ्रम है कि RUTF को घर के बने स्वस्थ खाने के बदले देने के लिए निर्मित किया गया है। हालांकि यह वास्तव में एक आपातकालीन कदम की तरह है। वैसे ही जैसे गंभीर स्थिति में बच्चे को ORS दिया जाता है।
एसोसिएशन अब गंभीर कुपोषण को खत्म करने की दिशा में एक राष्ट्रीय अभियान के लिए मंच देने की योजना बना रहा है।
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