Coronavirus के बीच आई अच्छी खबर, दवा बनाने में भारत का बड़ा कदम, 11 दिनों में ठीक होने में मिलेगी मदद

नई दिल्ली. कोरोना वायरस (Coronavirus) का कहर पूरी दुनिया में जारी है। इस महामारी के फैलने का सबसे बड़ा कारण ये है कि अब तक इसकी दवा इजाद नहीं हो सकी है। दुनिया भर में मेडिसिन क्षेत्र के वैज्ञानिक इसकी कारगर दवाई बनाने में जुटे हुए हैं लेकिन अभी तक कोई सफलता हासिल नहीं हुई है। इस बीच हैदराबाद स्थित इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ केमिकल टेक्नोलॉजी (CSIR-IICT) ने रेमेडिसविर (Remdesivir) के लिए की स्टार्टिंग मैटेरियल (KSM) को सिन्थिसाइज़ किया है जो एक दवा में सक्रिय फार्मास्युटिकल इन्ग्रीडीअन्ट विकसित करने के लिए पहला कदम है।
कोविड -19 का इलाज करने वाली पहली दवा
IICT ने सिप्ला जैसे दवा निर्माताओं के लिए टेक्नालजी डेमन्स्ट्रैशन भी शुरू किया है ताकि जरूरत पड़ने पर भारत में मैन्यफैक्चरिंग शुरू हो सके। गिलियड साइंसेज द्वारा निर्मित किया गया रीमेड्सविर (Remdesivir) क्लिनिकल डेटा के आधार पर अमेरिका में आपातकालीन उपयोग के लिए कोविड -19 का इलाज करने वाली पहली दवा है।
ट्रायल के लिए दवा की 1000 खुराक प्राप्त की
गिलियड साइंसेज का दवा पर पेटेंट है लेकिन पेटेंट कानून इस दवा को केवल शोध के उद्देश्यों के लिए विकसित करने की अनुमति देता है न कि व्यावसायिक निर्माण के लिए। अमेरिका के क्लिनिकल ट्रायल्स के रिजल्ट्स के अनुसार प्लेसबो पर 15 दिनों की तुलना में, रेमेड्सविर ने रोगियों को 11 दिनों में औसतन ठीक होने में मदद की। भारत कोविड -19 के इलाज के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन की सॉलिडैरिटी ट्रायल का हिस्सा है और ट्रायल के लिए दवा की 1000 खुराक प्राप्त की है।
एक और दवा पर चल रहा काम
विज्ञान और प्रौद्योगिकी और स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने सोमवार को एक बयान में कहा कि 'CSIR-IICT द्वारा की स्टार्टिंग मैटेरियल का सिन्थिसाइज़ेशन हासिल कर लिया गया है और भारतीय उद्योग के लिए टेक्नालजी डेमन्स्ट्रैशन हो रहे हैं। Covid19 के इलाज के लिए एक और संभावित दवा Favipiravir के लिए CSIR क्लिनिकल ट्रायल्स के लिए निजी क्षेत्र के साथ भारत में संभावित लॉन्च पर काम कर रहा है।'
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