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'रामायण' की शूटिंग में जलसमाधि वाले सीन में गुरमीत को हुआ अलौकिक अनुभव, सामने नजर आ रहे थे...

बॉलीवुड अभिनेता गुरमीत चौधरी टीवी की दुनिया के भी मशहूर सितारे रहे हैं। उन्होंने वर्ष 2008 में टीवी पर 'रामायण' सीरियल में 'राम' की भूमिका निभाई थी। यह शो काफी पॉपुलर हुआ था और इससे गुरमीत की पहचान भी बनी। अब लॉकडाउन में यह शो फिर से दंगल टीवी चैनल पर प्रसारित किया जा रहा है। अभिनेता ने पत्रिका एंटरटेमेंट से खास बातचीत में शो से जुड़े अपने पुराने अनुभव शेयर किए।

'रामायण' की शूटिंग में जलसमाधि वाले सीन में गुरमीत को हुआ अलौकिक अनुभव, सामने नजर आ रहे थे...

दस साल बाद भी पसंद कर रहे दर्शक
गुरमीत का कहना है कि उन्हें गर्व है कि कॅरियर के शुरुआती दौर में ही उन्हें 'रामायण' जैसा शो करने का अवसर मिला। इसने मुझे बहुत कुछ दिया है। इससे मुझे प्रसिद्धी और सम्मान मिला। यह शो मेरे दिल के बहुत करीब है। खुशी है कि यह दोबारा से प्रसारित हो रहा है। पहले भी लोगों ने इसे बहुत प्यार दिया था और 10 साल के बाद भी दर्शक इसे पसंद कर रहे ह

'रामायण' ने ही दिलाई फिल्म
गुरमीत ने बताया कि इस शो की वजह से ही मुझे बॉलीवुड फिल्म मिली। जब मैं टीवी से बॉलीवुड में आया और 'खामोशियां' फिल्म रिलीज हुई। उस वक्त मेरे बर्थडे पर मुकेश भट्ट भी आए थे। साथ ही 'रामायण' के मेकर्स भी मौजूद थे। भट्ट साहब ने उन्हें कहा कि थैंक्यू आपकी 'रामायण' की वजह से ही हमें गुरमीत मिला।

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संयोग से मिला था राम का रोल
मेरे दोस्त और एक्टर गणेश साउथ में एक सीरीज कर रहे थे। उसमें मैं विलेन बना था। गणेश अपनी स्टोरी लेकर आनंद सागर के ऑफिस गए थे। वहां उनके बेटे शक्ति सागर ने उस स्टोरी में मेरी छोटी सी क्लिप देखी। इसके बाद उन्होंने मुझसे मिलने की इच्छा जाहिर की। मेरा लुक टेस्ट हुआ और राम के रोल के लिए फाइनल हो गया।

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अलग ही ऊर्जा महसूस हुई
गुरमीत ने बताया कि शो के आखिरी सीन में मुझे जलसमाधि लेनी थी। हम वास्तव में नदी में शूट कर रहे थे। सीन एक ही टेक में शूट करना था। नदी में पूरा अंदर जाकर थोड़ी देर पानी में ही रूकना था। मैं पानी में खुद को रोक रहा था। अचानक मुझे लगा कि उसी कॉस्ट्यूम में कोई मेरे सामने आ गया। एक अलग ही ऊर्जा और ताकत महसूस होने लगी। इसे कभी नहीं भूल सकता।

किरदार ने बना दिया और अच्छा इंसान
गुरमीत ने कहा, 'पहला काम दिल के काफी करीब होता है। मैं खुशकिस्मत हूं कि पहला ही शो मुझे 'रामायण' मिला। मैं रोजाना 12 घंटे उसी गेटअप में रहता था और मैंने राम का किरदार जिया। इस किरदार से मुझमें इंसानियत का गुण विकसित हुआ। मैं वहां से और अच्छा इंसान बनकर निकला।'



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