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स्वीडन का दावा: लंबे वक्त तक पाबंदियों में ढील कोरोना से लड़ने के लिए कारगर, कड़े नियमों पर जोर

स्टॉकहोम। स्वीडन (Sweden) एक ऐसा देश है, जिसने लॉकडाउन (Lockdown) का रास्ता अपनाने के उलट पाबंदियों में ढील देने की कोशिश की है। कोरोना वायरस (Coronavirus) के संक्रमण की बढ़ती तादात के बावजूद यहां के बाजार, बार रेस्तरां, स्कूल से लेकर सार्वजनिक परिवहन तक को खुला रखा गया है। सरकार ने यहां पर पाबंदियों को लगाने के बजाय कड़े नियमों के पालन पर जोर दिया है। गौरतलब है कि स्वीडन में अब तक 22,721 लोग संक्रमित पाए गए हैं। वहीं 2,769 लोगों की मौत हो चुकी है।

कोरोना संक्रमण की वैक्सीन अब तक दुनिया में नहीं है। ऐसे में उसने 65 साल से कम आयु वर्ग वाले स्वस्थ लोगों को कोरोना के संपर्क में आने से रोका नहीं। वहीं दूसरी तरफ 65 साल से ज्यादा आयु वालों को घरों में रहने को कहा गया। उसका मानना है कि अन्य आयुवर्ग में यह संक्रमण अपने आप थम जाएगा। एक करोड़ की आबादी वाले स्वीडन में गंभीर रोगियों की संभावना कम ही होगी। इतने लोगों के लिए सरकार के पास आईसीयू बेड और वेंटिलेटर की पर्याप्त सुविधा होगी।

स्वीडिश महामारी विशेषज्ञ डॉ एंडर्स टेग्नेल के मुताबिक, कोरोना वायरस का असर आबादी के एक हिस्से पर पड़ना तय था। ये पहले से ही तय था कि संक्रमितों में हल्के लक्षण रहेंगे। इससे प्रतिरक्षा बन जाएगी। ऐसे में कम सख्त सामाजिक दूरी के नियमों को अपनाने की कोशिश की गई। नौवीं कक्षा तक के स्कूल खुले रहे, ताकि बच्चों के माता-पिता कामकाज जारी रख सकें। कॉलेज और हाईस्कूल बंद रखे गए, लेकिन रेस्तरां, किराना स्टोर और व्यापारिक जगहों को खोले रखा गया। यहां पर सोशल डिस्टेंसिंग के आदेश दिए गए। 50 से अधिक लोगों के एक साथ एकत्र होने और वृद्धाश्रमों में जाने पर रोक लगाई गई। 65 वर्ष से ज्यादा उम्र वालों को घर में रहने के लिए प्रोत्साहित किया गया। वहीं सामान्य बीमारियों के लिए अस्पताल न जाने की हिदायत दी गई है।



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