उद्धव के सामने तीन विकल्प, फिर क्यों किया पीएम मोदी को फोन

नई दिल्ली। महाराष्ट्र में सत्ता पर काबिज मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के सामने सत्ता का संकट आ गया है। इसी के चलते ठाकरे ने मंगलवार शाम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को फोन किया। ठाकरे की फिलहाल पहली कोशिश उन्हें विधान परिषद में नामित किए जाने की राज्य मंत्रिमंडल की सिफारिश पर महाराष्ट्र के राज्यपाल की हरी झंडी पाना है। हालांकि यह इतना आसान ना होने पर ही मुंबई से दिल्ली को फोन लगाया गया।
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इंडियन एक्सप्रेस में छपी रिपोर्ट के मुताबिक नई दिल्ली के सूत्रों ने बताया कि ठाकरे ने मौजूदा संकट के समाधान में प्रधानमंत्री से सहयोग मांगा। वहीं, मुंबई में महाराष्ट्र सरकार के सूत्रों ने कहा कि मुख्यमंत्री ने राज्य विधानसभा के उच्च सदन के लिए उनके नामांकन पर "खेली जा रही राजनीति" पर नाखुशी व्यक्त की है।
पिछले साल 28 नवंबर को महाराष्ट्र मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने वाले शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने संविधान के अनुच्छेद 164 (4) के तहत राज्य विधायिका का सदस्य बनने के लिए छह महीने का समय लिया था। हालांकि कोरोना महामारी के कारण उपचुनाव नहीं हो सकता है, और इसे पूरा करने का एकमात्र तरीका राज्यपाल द्वारा उन्हें उच्च सदन के लिए नामित किया जाना है।
सूत्रों ने कहा कि राज्यपाल महाराष्ट्र विकास अघाड़ी के नेताओं के साथ मुलाकात के दौरान टाल-मटोल कर रहे थे। सूत्रों ने कहा कि हो सकता है कि इस बात ने ही ठाकरे को प्रधानमंत्री से बात करने के लिए "मजबूर" किया हो। सत्तारूढ़ गठबंधन के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि सोमवार रात को ठाकरे ने राकांपा नेता शरद पवार के साथ तीन विकल्पों पर चर्चा की।
“पहला चुनाव आयोग को पत्र लिखकर अनुरोध किया जाए कि इस महीने की शुरुआत में लॉकडाउन के कारण टाल दिए गए विधान परिषद चुनाव आयोजित कराए जाएं। चूंकि चुनाव निर्विरोध होगा, इसलिए हम यह भी चाहते हैं कि चुनाव आयोग चुनाव कराने के लिए आवश्यक 21 दिनों की अवधि को कम करे। दूसरा विकल्प यह है कि चुनाव आयोग को चुनाव कराने का निर्देश देने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया जाए।”
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उस नेता ने कहा कि तीसरे और आखिरी विकल्प के लिए ठाकरे को मुख्यमंत्री के रूप में पद से इस्तीफा देना होगा, फिर गठबंधन के तीनों दल, विधायक दल की बैठक बुलाकर उन्हें नेता के रूप में चुनेंगे, और एक बार फिर सरकार बनाएंगे। "लेकिन, हमें नहीं लगता कि ऐसा होगा। हमें उम्मीद है कि राज्यपाल जल्द ही ठाकरे को परिषद में नामित करेंगे।"
सेना से जुड़े एक मंत्री ने कहा कि मुख्य सचिव जल्द चुनाव आयोग से अनुरोध कर सकते हैं कि संवैधानिक संकट से बचने के लिए जल्द से जल्द मतदान हो। मुद्दा किसी एक राजनीतिक दल का नहीं है, बल्कि सरकार का है।

इधर नई दिल्ली में, एक भाजपा नेता ने कहा कि ठाकरे ने मोदी से सीधे संपर्क इसलिए किया था क्योंकि वह जानते हैं कि "वह प्रधानमंत्री ही हैं जो पार्टी के निर्णय पर अंतिम फैसला करेंगे।" इस नेता के अनुसार, ठाकरे चाहते हैं कि "महाराष्ट्र में जो भाजपा नेता शिवसेना का सहयोग करने के लिए तैयार नहीं हैं, को इसके लिए मोदीजी द्वारा निर्देशित किया जाए।"
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नेता ने कहा, "न केवल शिवसेना और उसके नेतृत्व ने भाजपा को धोखा दिया (सरकार बनाने से इनकार कर दिया) बल्कि सत्ता में आने के बाद से ये पार्टी के नेताओं से दुश्मनी कर रहे हैं।" COVID संकट के दौरान भी सरकार ने स्थानीय इकाई (भाजपा की) या केंद्र के साथ सहयोग नहीं किया है।
"भाजपा को उद्धव ठाकरे की मदद क्यों करनी चाहिए?" के सवाल पर महाराष्ट्र के भाजपा नेता ने कहा, "उनकी पार्टी पहले हमसे पूछ रही थी कि, 'हमारा विधायक मुख्यमंत्री कब बनेगा?" अब वे चाहते हैं कि हम उन्हें बताएं कि उनका मुख्यमंत्री कब एमएलसी बनेगा!”
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