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दिल्ली में जलाया गया प्लास्टिक कचरे से बना रावण, आखिर क्या थी वजह?

नई दिल्ली। दशहरा के मौके पर यहां के रामलीला मैदान में पहली बार प्लास्टिक कचरों से बने रावण के पुतले को एक भट्ठी में जलाया गया। सांकेतिक रूप से दर्शाया गया कि प्लास्टिक की राख का उपयोग सीमेंट बनाने में किया जा सकता है।

35 फुट ऊंचे रावण के पुतले को अन्य पुतलों के बीच खड़ा किया गया, जिस तरह दशहरा त्योहार के मौके पर पारंपरिक रूप से रावण, मेघनाद, कुंभकर्ण के पुतलों को खड़ा किया जाता है। इस चौथे पुतले को गोली मारी गई और जलने के बाद इसकी राख का निस्तारण यांत्रिक तरीके से किया गया। यह अनोखी पहल सीमेंट मैन्युफ्रैक्चर्स एसोसिएशन (सीएमए) की ओर से केंद्रीय आवास एवं नगर विकास मंत्रालय की साझेदारी में की गई।

डालमिया सीमेंट भारत लिमिटेड ग्रुप के सीईओ और सीएमए के अध्यक्ष महेंद्र सिंघी ने आईएएनएस से कहा, "यदि सही तरीके से उपयोग किया जाए तो प्लास्टिक कोयले की जगह ले लेगा। जब आप प्लास्टिक को जलाते हैं तो उससे अशुद्ध गैसें उत्सर्जित होती हैं। जब इसे 1,400 डग्री सेल्सियस तापमान पर जलाया जाता है तो इसमें मौजूद हाइड्रोकार्बन पूरी तरह जल जाती है, जिससे यह पर्यावरण-अनुकूल बन जाता है।"

उन्होंने कहा, "हम यह सामाजिक संदेश देने का प्रयास कर रहे हैं कि कचरे का यदि सही तरीके से निपटान किया जाए तो वह प्रदूषण नहीं फैलाएगा।"

इस आयोजन में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद विजय गोयल शामिल हुए। उन्होंने इस पहल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस आह्वान से जोड़ा कि सिंगल-यूज प्लास्टिक का कम उपयोग किया जाए।

सीएमए के अनुसार, प्लास्टिक कचरों के निपटान के मकसद से इसी तरह बनाए गए रावण के पुतलों का दहन दिल्ली सहित देश के पांच शहरों नोएडा, लखनऊ, रायपुर और अहमदाबाद में जलाए गए।



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