तो इस बार हरियाणा में रिपीट होगा कर्नाटक का सियासी इतिहास!
नई दिल्ली। हरियाणा में मतगणना के प्रारंभिक रुझान आने के बाद से सियासी ड्रामा नाटकीय मोड़ पर पहुंच गया है। सत्ताधारी पार्टी को बीजेपी को नेक टू नेक फाइट देने के बाद से इस बात की चर्चा जोरों पर है कि क्या कर्नाटक का इतिहास हरियाणा में रिपीट होगा।
फिलहाल हरियाणा में मतगणना के शुरुआती रुझानों में बीजेपी 41 सीटों पर तो कांग्रेस को 35 सीटों पर बढ़त बनाए हुए हैं। जेजेपी को 7 और अन्य को 6 सीटों पर बढ़त मिली है। ऐसे में साफ हो गया है कि हरियाणा में गेम बदल सकता है। अगर ऐसा हुआ तो एक बार फिर यह सिद्ध हो जाएगा कि हरियाणा में जाट समुदाय के लोग जिसे चाहेंगे सरकार भी उसी की बनेगी।
बता दें कि हरियाणा में 21 अक्टूबर को वोट डाले गए थे। हरियाणा में इस बार मुख्य तौर पर भाजपा, कांग्रेस, इनेलो और जेजेपी चुनावी मैदान में हैं। शिरोमणी अकाली दल भी हरियाणा में बीजेपी से अलग चुनाव लड़ रहा है। 2014 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने यहां पीएम मोदी के चेहरे पर चुनाव लड़ा था। 2014 में 90 में से 47 सीटें जीतने के बाद भाजपा ने गैर जाट मनोहर लाल खट्टर को सीएम बनाया था।
मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के नेतृत्व में भाजपा हरियाणा में सत्ता वापसी की कोशिश में लगी है और उसने इस बार 90 में से 75 सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है।
2019 में बीजेपी ने पीएम मोदी और सीएम खट्टर के नाम पर हरियाणा में चुनाव लड़ा है। इस बार हरियाणा में विधानसभा चुनाव के लिए हुए मतदान में करीब 65 प्रतिशत मतदान हुआ।
बता दें कि इस बार हरियाणा की 90 विधानसभा सीटों पर कुल 1169 उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं। राज्य में पिछले विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव की तुलना में शाम मतदान का प्रतिशत कम रहा। 2014 के लोकसभा चुनाव में हरियाणा में 71.86 प्रतिशत और 2019 के लोकसभा चुनाव में 70.35 प्रतिशत मतदान हुआ था।
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