कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह बोले- शिवराज सिंह नेहरू जी के पैरों की धूल भी नहीं हैं

नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाने के मसले पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा नेता शिवराज सिंह चौहान आमने-सामने आ गए हैं। कश्मीर मुद्दे पर भाजपा नेता शिवराज सिंह चौहान ने शनिवार को पं. जवाहरलाल नेहरू को अपराधी बताया था।
शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि जनता ने वंशवाद की राजनीति नकार दी लेकिन कांग्रेस ने इससे अभी तक कोई सीख नहीं ली है।
Digvijaya Singh, Congress on BJP leader Shivraj Singh Chouhan's remark "Nehru was a criminal": Nehru ji ke pairon ki dhool bhi nahi hain Shivraj, sharam aani chahiye unko. (11.8.19) https://t.co/qqZlf6ZX8K
— ANI (@ANI) August 12, 2019
शिवराज को शर्म आनी चाहिए
शिवराज सिंह के इस बयान के जवाब में कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह मध्य प्रदेश के सीहोर में शिवराज सिंह चौहान के बयान की भर्त्सना की है। उन्होंने कहा कि शिवराज नेहरू जी के पैरों की धूल भी नहीं हैं। उन्हें इस तरह का बयान देते हुए शर्म आनी चाहिए।
मोदी, शाह और डोभाल को चेताया
कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने जम्मू-कश्मीर को लेकर अंतर्राष्ट्रीय मीडिया द्वारा प्रकाशित खबरों का हवाला देते हुए कहा कि शिवराज सिंह चौहान इस बात की चिंता करें कि कश्मीर में क्या हो रहा है। केंद्र सरकार ने आग में हाथ डालने का काम किया है।
कश्मीर को बचाना हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए। मैं मोदी जी, अमित शाह जी और अजीत डोभाल जी से कश्मीर मुद्दे पर सावधान रहने की अपील करता हूं। अन्यथा हम कश्मीर को खो देंगे।
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शिवराज का बयान निंदनीय
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने ट्वीट कर कहा है कि देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू को आधुनिक भारत का निर्माता कहा जाता है।
उन्होंने देश की आजादी के लिए संघर्ष किया। नेहरू जी के किए गए कार्य व देशहित में उनका योगदान अविस्मरणीय है। शिवराज सिंह चौहान द्वारा नेहरू जी के मृत्यु के 55 वर्ष बाद उन्हें अपराधी बताना बेहद आपत्तिजनक और निंदनीय है।
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भाजपा नेता ने नेहरू के निर्णय पर उठाए सवाल
ओडिशा में शनिवार को एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए शिवराज सिंह चौहान ने कश्मीर का हवाला देते हुए जवाहरलाल नेहरू को अपराधी बताया था। ने इसकी दो वजहें बताईं थी।
चौहान ने कहा था कि जब भारतीय फौज कश्मीर से पाकिस्तानी कबायलियों को खदेड़ते हुए आगे बढ़ रही थी, ठीक उसी वक्त नेहरू ने संघर्ष विराम का ऐलान कर दिया।
नेहरू जी के इस निर्णय की वजह से कश्मीर का एक-तिहाई हिस्सा पाकिस्तान के कब्जे में रह गया। यदि कुछ दिन और संघर्षविराम की घोषणा नहीं होती, तो पूरा कश्मीर भारत का होता।
इसके अलावा उन्होंने कहा था कि जवाहर लाल नेहरू का दूसरा अपराध अनुच्छेद 370 था। भला एक देश में कैसे दो निशान, दो विधान (संविधान) और दो प्रधान अस्तित्व में हो सकते हैं? यह केवल देश के साथ अन्याय नहीं बल्कि अपराध भी है।
तो जम्मू-कश्मीर में मोदी सरकार के फैसले से इसलिए वहां के लोग नहीं हुए नाराज!
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