दिल्ली में भीषण बाढ़ का खतरा, 1978 के बाद जलस्तर सबसे ज्यादा, कई इलाकों भरा पानी
नई दिल्ली। पिछले चार दशक में दिल्ली के यमुना नदी में जलस्तर सबसे ज्यादा बढ़ने से भीषण बाढ़ का खतरा बरकरार है। 1978 के बाद जलस्तर खतरे के निशान से काफी ऊपर बह रही है।
यमुना का जल स्तर बढ़कर अब 207. 49 मीटर हो गया है। यमुना बाजार इलाके में आने वाले सभी घर बाढ़ की चपेट में आ गए हैं, जिसके बाद प्रशासन हरकत में आया। यमुना से लगे निचले इलाकों में पानी भर गया है। यमुना के पानी से श्मशान घाट और मंदिर तक डूब गए हैं।
निचले इलाके से 10 हजार लोगों को हटाया
बता दें कि सोमवार को नदी का जल स्तर 205.33 मीटर के खतरे के निशान को पार कर गया था, जिसके बाद सरकारी एजेंसियों ने निचले इलाकों में रहने वाले 10 हजार से ज्यादा लोगों को वहां से हटाया। दिल्ली सरकार ने 30 हजार टैंटों की आपात व्यवस्था की है।
जलस्तर 207.49 मीटर के पार
जलस्तर में तेजी से जारी बढ़ोतरी मद्देनजर मंगलवार को यमुना नदी पर बने लोहे के पुराने पुल को सड़क और रेल यातायात के लिए बंद कर दिया गया। नदी के डूबक्षेत्र में रह रहे लोगों को दिल्ली सरकार की विभिन्न एजेंसियों द्वारा बनाए गए 22,000 से अधिक लोगों को तंबुओं में भेजा गया है।
साल 1978 में यमुना का जलस्तर अब तक के सर्वाधिक स्तर 207.49 मीटर तक पहुंच गया था, जिससे दिल्ली में भीषण बाढ़ आ गई थी।
हेल्पलाइन नंबर जारी
दिल्ली सरकार ने बाढ़ पीड़ितों की मदद के लिए टेंट तो बनाए हैं, लेकिन लोगों को पीने का पानी और शौचालय जैसी मूल सुविधाएं नहीं मिल रहीं। राज्य सरकार ने लोगों की मदद के लिए हेल्पलाइन नंबर भी जारी कर दिए हैं. ये हेल्पलाइन नंबर 011-22421656 और 011-21210849 हैं।
नोएडा और ग्रेटर नोएडा के कई गांवों को भी खतरा
हथिनी कुंड बैराज से छोड़े गए पानी की चपेट में नोएडा और ग्रेटर नोएडा के भी कई गांव आ गए हैं। ग्रेटर नोएडा के इलाके में पड़ने वाले गांव तिलवाड़ा घरबरा और मोतीपुर इस समय सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। पानी के अचानक बढ़ने से तिलवाड़ा गांव के 20 से 30 लोग नदी के दूसरे छोर पर फंस गए।
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