तीन तलाक बिल को लेकर मोदी सरकार 2.0 गंभीर नहीं!

नई दिल्ली। लगता है कि पीएम मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र की एनडीए सरकार ने तीन तलाक बिल ( triple talaq Bill ) को अपनी प्राथमिकता सूची से हटा दिया है। सरकार के उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक अब यह बिल सरकार की 'टॉप प्रॉयरिटी लिस्ट' में शामिल नहीं है।
दरअसल, शुक्रवार को संसदीय कार्य मंत्री प्रहलाद जोशी ने आने वाले दिनों के एजेंडा की सूची घोषित की। इसमें 17वीं लोकसभा में पेश किए गए पहले बिल (तीन तलाक बिल) को उन 17 विधेयकों में शामिल किया गया है, जिन्हें मौजूदा सत्र के शेष पांच दिनों में पेश करने के बाद उन पर बहस और पास कराना शामिल है।
हालांकि कुछ ऐसी संभावनाएं सामने आ रही हैं कि मौजूदा सत्र के दिन बढ़ सकते हैं। वैसे इस बारे में कोई पुख्ता जानकारी नहीं है, लेकिन मौजूदा सत्र का समापन आगामी 26 जुलाई को हो रहा है।
आंकड़ों की कमी
मीडिया रिपोर्ट्स में सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि सरकार तीन तलाक बिल ( Modi Government on Triple Talaq Bill ) को राज्य सभा में पेश करने से पहले इसके समर्थन में जरूरी आंकड़े जुटाना चाहती है।
दरअसल, अगर मौजूदा सत्र के भीतर यह बिल लोक सभा और राज्य सभा में पास नहीं हुआ और इसे राष्ट्रपति की सहमति नहीं मिली, तो पहले से ही मौजूद एक अध्यादेश भी निरस्त हो जाएगा।
विवादों में रहा बिल
मुस्लिम महिलाओं को तीन तलाक से मुक्ति दिलाने और ऐसा करने पर अपराध की श्रेणी में लाने वाला यह बिल वर्ष 2017 में सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले के बाद शुरुआत से ही विवादों में रहा है।
मौजूदा संसद सत्र में इस बिल को पिछले माह लोक सभा में पेश किया गया था, लेकिन विपक्ष के भारी विरोध के बाद इसे बहस और प्रस्तावित कराने के लिए आगे नहीं ले जाया गया।
इस बार लोक सभा में पेश
हालांकि विरोध के बावजूद सरकार को लोक सभा में इसे पेश किए जाने को लेकर उस वक्त सफलता मिल गई थी, जब इसे पेश किए जाने को लेकर बहुमत मिला। उस दौरान लोकसभा में इस इस बिल को पेश करने के समर्थन में 186 सांसदों का समर्थन मिला था, जबकि 74 ने इसका विरोध किया था।
अध्यादेश का रास्ता चुन सकती है सरकार
लेकिन अब राज्य सभा में सरकार के सामने इसे पास कराने में मुश्किल हैै। सूत्रों के मुताबिक अगर इस बिल को राज्य सभा में पास कराने में सरकार को अनिश्चितता नजर आती है तो शायद वह फिर से अध्यादेश लाने का रास्ता चुन सकती है।
राज्य सभा में एनडीए के पास संख्याबल नहीं है। जेडीयू को हटाकर बीजद, स्वतंत्र और अन्य को मिलाकर एनडीए के पास 109 की संख्या है, जबकि विपक्ष के पास 108 की।
एनडीए की टेंशन
इस बिल का भविष्य इस पर तय होता है कि राज्य सभा में 6-6 सीटों वाली जेडीयू और दो सीटों वाली जेडीएस किस ओर जाती हैं। 241 सदस्यों वाली राज्य सभा में भाजपा के 78 सदस्य हैं और एनडीए के 115, जबकि कांग्रेस के नेतृत्व वाले विपक्ष में 107 सदस्य हैं। अगर एआईएडीएमके और जेडीयू, एनडीए के साथ नहीं जाते हैं, तो एनडीए के पास केवल 100 मत ही रहेंगे।
गौरतलब है कि वर्ष 2017 में कानून मंत्रालय के तीन तलाक बिल ( Triple Talaq Bill Clause ) के अंतर्गत किसी मुस्लिम महिला को तीन तलाक बोलना अपराध की श्रेणी में था, जिसमें तीन साल की जेल थी। हालांकि यह बिल राज्य सभा में एकजुट विपक्ष के चलते पास नहीं हो पाया।
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