अनोखी उलझन: कैसे लागू हो आर्थिक आधार पर 10 फीसदी आरक्षण

नई दिल्ली। केंद्रीय उच्च शिक्षण संस्थानों की नौकरियों में आर्थिक आधार पर कमजोर वर्ग को आरक्षण ( reservation on Economic Basis) देने में व्यवहारिक दिक्कतें आ रही हैं। कई विश्वविद्यालयों ने मानव संसाधन विकास मंत्रालय को इसे लेकर शिकायतें भी की हैं।

विश्वविद्यालयों ने मंत्रालयों को कहा है कि EWS के मौजूदा स्वरूप को लागू करना मुश्किल हो रहा है। केंद्रीय विश्वविद्यालय, आईआईटी और आईआईएम जैसे संस्थानों ने मंत्रालयों को कहा है कि ईडब्ल्यूएस कोटे को सहायक प्रोफेसर के एंट्री लेवल स्तर के ऊपर लागू करना असंभव है।
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दरअसल, एसोसिएट प्रोफेसर की नौकरी के लिए उम्मीदवार को सहायक प्रोफेसर होना चाहिए, जबकि प्रोफेसर के पद के लिए एसोसिएट प्रोफेसर होना चाहिए। ईडब्ल्यूएस ( Reservation on economic basis) बिल कानून के मौजूदा स्वरूप के मुताबिक इसका लाभ लेने के लिए एससी, एसटी और ओबीसी वर्ग के कोटे के तहत लाभ प्राप्त नहीं करने व्यक्ति की कुल परिवारिक आय 8 लाख रुपए से अधिक नहीं होनी चाहिए।
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जबकि सरकार के उच्च शिक्षण संस्थानों और अच्छे निजी संस्थानों में सामान्यत: असिस्टेंट और एसोसिएट प्रोफेसर की आय इस सीमा से काफी ज्यादा होती है। उच्च शिक्षण संस्थानों ने मंत्रालय से कहा है कि मौजूदा नियमों की वजह से ईडब्ल्यूएस ( Reservation on economic basis) कोटा लागू करना असंभव है और उसे जल्द से जल्द इसे लेकर दिशा निर्देश देने चाहिएं। क्योंकि नियुक्तियां लंबे से खाली पड़ी हैं और इसमें देरी नहीं की जा सकती।
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एक उच्च शिक्षण संस्थान के वरिष्ठ अधिकारी कहते हैं कि सरकार लोकसभा चुनाव से पहले जल्दबाजी में कानून ले आई थी और ऐसी परिस्थितियों के बारे में सोचा ही नहीं गया था। दूसरी तरफ मानव संसाधन विकास मंत्रालय के अधिकारी कह रहे हैं कि इस मामले को मंत्री स्तर पर उठाया गया है और कार्मिक मंत्रालय से भी संपर्क किया गया है। जल्दी ही इसकी समीक्षा कर कोई रास्ता निकाला जाएगा।

अधिकारी यह भी कह रहे हैं कि कई निजी संस्थानों में सहायक प्रोफेसरों का वेतन काफी कम है और उनको इन नौकरियों की सख्त जरूरत है। इसलिए उनको ईडब्ल्यूएस कोटे ( Reservation on economic basis) का फायदा मिल सकता है।
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