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PM नरेंद्र मोदी ने गिरीश कर्नाड के निधन पर जताया दुख, कहा- 'उनके कामों को हमेशा याद किया जाएगा'

नई दिल्‍ली। दक्षिण भारतीय रंगमंच के पितामह गिरीश कर्नाड के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित फिल्‍म, राजनीति और अन्‍य विधाओं के लोग उन्‍हें सोशल मीडिया पर श्रद्धांजलि दे रहे हैं। पीए मोदी ने अभिनेता, लेखक, डायरेक्‍ट और रंगकर्मी गिरीश कर्नाड के निधन पर दुख जताया है। उन्‍होंने ट्वीट में लिखा है कि गिरीश कर्नाड को सभी माध्यमों में उनकी बहुमुखी प्रतिभा के लिए याद किया जाएगा। उनके कामों को आने वाले वक्त में याद किया जाएगा। मुझे उनके निधन से दुख हुआ है। उनकी आत्मा को शांति मिले।

पीएम मोदी ने अपने ट्वीट में लिखा है कि गिरीश कर्नाड को सभी माध्यमों में उनकी बहुमुखी प्रतिभा के लिए याद किया जाएगा। उनके कामों को आने वाले वक्त में याद किया जाएगा। मुझे उनके निधन से दुख हुआ है। उनकी आत्मा को शांति मिले।

जावड़ेकर ने जताई संवेदना

केंद्रीय सूचना प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने लिखा है कि फ़िल्म कलाकार गिरीश कर्नाड के निधन से दुख पहुंचा है। उनके परिवार के सदस्यों और प्रशंसकों के प्रति मेरी संवेदनाएं हैं।

 

कर्नाड की कमी खलेगी

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी महान लेखक और कलाकार के निधन पर लिखा कि उनकी कमी हमेशा खलेगी। गिरीश कर्नाड हमेशा याद किए जाएंगे।

 

मिजाज और बुद्धि की कमी खेलेगी

जानी मानी फिल्‍म अभिनेत्री श्रुति हसन ने लिखा है कि आपकी प्रतिभा, मिजाज और आपके तेज बुद्धि की कमी खलेगी।

 

पद्म श्री और पद्म भूषण से भी नवाजे गए

आपको बता दें कि मशहूर लेखक, अभिनेता, डायरेक्‍टर और रंगगर्मी गिरीश कर्नाड का सोमवार को बेंगलूरु स्थिति निवास पर 81 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। वो बॉलीवुड में आखिरी बार टाइगर जिंदा है में अभिनेता सलमान खान के साथ नजर आए थे। जाने माने लेखक और दक्षिण भारतीय रंगमंच के पुरोधा गिरीश काफी समय से बीमार चल रहे थे। उन्हें कई बार अस्पताल में भर्ती कराया गया था। वह 10 बार राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से नवाजे गए। उन्‍हें साहित्‍य, कला, रंगमंच के क्षेत्र में विशेष योगदान के लिए पद्म श्री और पद्म भूषण से भी नवाजा गया था। उन्‍हें दक्षिण भारतीय रंगमंच और फिल्मों का पितामह माना जाता था।

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1963 में ऑक्‍सफोर्ड यूनियन के प्रेजिडेंट भी रहे

गिरीश कर्नाड का जन्म 1938 में माथेरन में हुआ था। माथेरन अब महाराष्ट्र में है। उनकी शुरुआती पढ़ाई मराठी भाषा में हुई। पढ़ाई के दौरान ही उनका झुकाव थियेटर की तरफ बढ़ गया। जब वह 14 साल के थे तो उनका परिवार कर्नाटक के धारवाड़ शिफ्ट हो गया। उन्होंने धारवाड़ के कर्नाटक आर्ट्स कॉलेज से गणित और सांख्यिकी में ग्रैजुएट की पढ़ाई की। ग्रैजुएशन के बाद वह इंग्लैंड में ऑक्सफर्ड से फिलॉस्फी, पॉलिटिक्स और इकनॉमिक्स की पढ़ाई के लिए पहुंचे। वह 1963 में ऑक्सफर्ड यूनियन के प्रेजिडेंट भी चुने गए। ऑक्सफर्ड में वह करीब सात साल तक रहे और थियेटर से भी जुड़े रहे।

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अध्‍यापन में मन नहीं लगा तो भारत लौट आए भारत

ऑक्‍सफोर्ड में अध्‍ययन पूरा होने के बाद वह अमेरिका चले गए और यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो में पढ़ाने लगे। अध्यापन में उनका मन नहीं लगा तो वह भारत लौट आए। भारत लौटने के बाद वह पूरी तरह से साहित्य, फिल्म और रंगमंच से जुड़ गए। उनकी रचनाओं में इतिहास और मिथॉलजी का संगम होता था। उनकी ज्यादातर साहित्यिक रचनाएं कन्नड़ में हैं।



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