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Anupama 13th August written: बच्चों की हरकतों से परेशान हुए अनुपमा-वनराज, तोषो को किंचल देगी एक और बड़ा झटका

नई दिल्ली। शो में दिखाया जा रहा है कि अनुपमा अपने परिवार को संभालने की बहुत कोशिश कर रही है। लेकिन उसके हाथ से चीज़ें निकलती जा रही है। पाखी और तोषो दोनों ही बच्चे बदतमीजियों पर उतर आए हैं। तोषो घर छोड़ने की जिद्द पर अड़ा हुआ है। जिसे गुस्से में वनराज जाने को कह देता है। बच्चों को कंट्रोल ना करने की वजह से अनुपमा और वनराज काफी दुखी है। जानें आज रात अनुपमा के लेटेस्ट एपिसोड में क्या होगा।

बच्चों की हरकतों से परेशान अनुपमा

वनराज और अनुपमा बच्चों को लेकर चिंता में डूबे हुए होते हैं। वनराज कहता है कि उसे बच्चों के बीच भेदभाव नहीं करना चाहिए था। वनराज अनुपमा को कहता है कि समर उस पर गया है। तोषो क्यों नहीं गया उस पर। वो क्यों उस जैसा बन गया। अनुपमा बताती है कि वो उस जैसा नहीं बना अगर वो उस जैसा वो होता होता। तो कभी भी बड़ों का अपमान नहीं करता। अनुपमा वनराज बच्चों को लेकर चितिंत हो जाते हैं।

समर-पाखी ने की तोषो को रोकने की कोशिश

तोषो जाने के लिए तैयार होता है। तभी पाखी तोषो को गले लगाकर कहती है कि वो बेस्ट बेटे और भाईं हैं। साथ ही वो उसे घर ना छोड़ जाने के लिए कहती है। तभी समर भी आ जाता है। वो भी तोषो को रोकता है। समर तोषो से माफी मांगता है। समर कहता है कि चला जाएगा कि पूरा परिवार टूट जाएगा। साथ ही कहता है कि वो ऐसे गुस्से होकर ना जाए। लेकिन तोषो कहता है कि वो उसे जाने दें। पाखी कहती है कि वो उम्मीद करती है कि मां उसे रोक लें।

अनुपमा ने दिया वनराज को हौसला

अनुपमा और तोषो के घर छोड़ने की बात से बहुत दुखी है। अनुपमा वनराज को कहती है कि जितने पल हैं। उतने तो खुशी में बिता सकते हैं। दोनों पीढ़ियों के बीच की कड़ी हैं वो। ऐसे में सभी को उन्हें ही संभालना है। वनराज कहता है कि वो बिल्कुल सही कह रही है।

घर छोड़कर नहीं जाना चाहती किंचल

किंचल नंदनी से अपना दर्द शेयर करती है। किंचल नंदनी से कहती है कि वो बचपन से ऐसी ही फैमिली चाहती थी। किंचल कहती है कि ऐसा लग रहा है कि जैसे अब कोई उसे नींद से उठाकर उसका ये सपना तोड़ने वाला है। किंचल कहती है कि उसे तोषो और परिवार दोनों चाहिए। लेकिन हर बार उसे परिवार और प्यार में एक चुनना पड़ता है। किंचल कहती है कि उसने अपनी मां के खिलाफ जाकर तोषो से शादी की थी। जिसकी वजह ये परिवार भी था।

पाखी को अनुपमा-वनराज की चेतावनी

वनराज और अनुपमा अपनी बेटी पाखी के कमरे में जाते हैं। जहां पाखी ट्रॉफी को गले लगाए सो रही होती है। मम्मी-पापा को कमरे में देख पाखी उठ जाती है। वनराज पूछता है कि ये ट्रॉफी उसका नया टैडी है। तो पाखी मुस्कुरा देती है। अनुपमा और वनराज पाखी को उसके बर्ताव के लिए समझाते हैं। अनुपमा समझाती हैं कि फिर से वो उसकी बदतमीजियां नहीं सहने करेंगे। वनराज कहता है कि वो

कुछ समय पहले डिप्रेशन में चली गई थीं, तब उसे डांटना उनके लिए बहुत मुश्किल था। ऐसे में अब वो इस बात का फायदा ना उठाए। वनराज पाखी को समझता है कि जब स्कूल में उसकी टीचर उस पर गुस्सा करती है या फिर उसकी फ्रेंड्स की मम्मी उसे टोक देती है तो क्या वो पलट कर जवाब देती है? तो अपनी घर में क्यों वो ऐसा करती है? अनुपमा पाखी को कहती है कि वो लोगों को रिस्पेक्ट करे। पाखी कहती है कि वो रिस्पेक्ट करती है। तभी पाखी को याद आता है कि कैसे उसने अपनी मां के साथ बदतमीजी की थी।

होस्टल जाने की बात से घबराई पाखी

अनुपमा पाखी से कहती है कि जो उसने अपने एनअुल फंक्शन वाले दिन किया है। ऐसे में कोई और मां होती तो उसके मुंह पर गुजरात का नक्शा बना देती है। अनुपमा पाखी को चेतावनी देती है कि वो फिर कभी ऐसा करेगी तो खुद को कंट्रोल नहीं कर पाएगी। वनराज भी पाखी को कहता है कि उसने अपनी बदतमीजियों पर कंट्रोल नहीं किया तो वो उसे होस्टल भेज देगा। ये सुनकर पाखी घबरा जाती है। अनुपमा और वनराज के जानें के बाद पाखी खुद से कहती है कि वो कितनी गलत थी।

बॉ-बाबू और मामा जी को मनाया अनुपमा ने

वनराज और अनुपमा आपस में बात करते हैं कि कल से फिर लोन के लिए सोचना है, बॉ-बाबू जी को संभलाना है। तोषो के फैसले को देखना है। वनराज अनुपमा से कहता है कि कर लेंगे यार। अनुपमा और वनराज मुस्कुरा कर अपने-अपने कमरे में चले जाते हैं। सुबह उठते ही बॉ और बाबू जी के एक पर्ची है। जिसमें एक कविता लिखी होती है। जिसमें बच्चों की गलतियों को माफ करने की बात कही होती है। अनुपमा चाय लेकर आती है। तो बॉ मज़ाक करते हुए कहती है कि कितनी बुरी कविता थी। अनुपमा, बॉ-बाबू जी और मामा फिर खूब हंसी ठिठोली करते हैं।

खुशी से विदा किया तोषो और किंचल को

बॉ पूछती है कि आज तोषो चला जाएगा। अनुपमा कहती है कि वो जा रहा है तो वो खुशी-खुशी उसे भेजेंगे। तभी तोषो और किंचल अपना सामान लेकर आ जाते हैं। जिसे देख पूरा परिवार इमोशनल हो जाते हैं। अनुपमा तोषो को रोकती है और आरती की थाली लाती है। अनुपमा तोषो और किंचल को तिलक कर उनका मुंह मीठा करवाती है। वनराज भी दोनों बच्चों को मिठाई खिलाते हैं। तोषो और किंचल भी बॉ-बाबू जी, मामा औ माता-पिता के पैर छूकर आशीर्वाद लेते हैं। अनुपमा तोषो को कहती है कि दोनों अपना ध्यान रखें और टाइम पर खाना खा लें। वनराज तोषो और किंचल से कहता है कि कभी मन करे तो वो घर आ जाया करें।

किंचल ने छोड़ा तोषो का साथ

तोषो और किंचल सामान लेकर जा रहे होते हैं। दहलीज पर आते ही किंचल कहती तोषो को बाय कह देती है। ये देख पूरा परिवार हैरान हो जाता है। तोषो किंचल से पूछता है कि वो नहीं जा रही उसके साथ? किंचल तोषो से कहती है कि उस केवल अपना सामान ही नहीं पैक करना है। उसे इस घर से जुड़ी यादों को भी पैक करना होगा। जिसके लिए उसे वक्त चाहिए है। बाबू जी कहते हैं कि जाना है तो दोनों साथ में जाएं, नहीं तो यहीं रोकें। ये सुनकर तोषो कहता है कि आज नहीं रुक पाएगा। किंचल कहती है कि वो आज नहीं जा पाएगा।

( Precap- अनुपमा टैक्स भरने के लिए बैंक में फोन करती है। जहां उन्होंने बताया जाता है कि उसे लोन मिल सकता है। लेकिन उसे लोन के लिए अपने घर के पेपर्स को गिरवी रखना होगा। ये सुनकर अनुपमा हैरान हो जाती है।)



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