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Darbhanga Blast Case: एनआईए की पूछताछ में चौंकाने वाले खुलासे, शामली से जुड़े साजिशकर्ताओं के तार

नई दिल्ली। दरभंगा ट्रेन ब्लास्ट ( Darbhanga Train Blast )मामले में जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ रही है, कई चौंकाने वाले खुलासे हो रहे हैं। दरभंगा पार्सल ब्लास्ट मामले में एनआईए ( NIA ) ने अबतक चार संदिग्धों को गिरफ्तार किया है। इनमें नासिर खान उर्फ नासिर मलिक और उसके भाई इमरान मलिक उर्फ इमरान खान को तेलंगाना के सिकंदराबाद से गिरफ्तार किया गया।

दरभंगा, हैदराबाद और शामली से गिरफ्तार लोगों से पूछताछ में कई चौंकाने वाली बातें सामने आ रही है। दरअसल इन साजिश रचनेवाले संदिग्धों का कोडवर्ड सलवार सूट के रंग और डिजाइन में छुपा था।

इसके अलावा पड़ताल में ये बात भी सामने आई है कि साजिश से जुड़े सभी के तार यूपी के शहर शामली से जुड़ रहे हैं। यानी सलीम से लेकर काना तक सभी शामली के ही रहनेवाले हैं।

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पाकिस्तान से काना ने रची साजिश
पाकिस्तान में बैठे हाफिज इकबाल उर्फ काना ने इस साजिश को रचने में अहम भूमिका निभाई है। वहीं जांच में इस बात का भी खुलासा हुआ है कि काना, कैराना के हाजी सलीम और सिकंदराबाद से गिरफ्तार नासिर और इमरान के बीच कोई भी संदेश सलवार सूट की तस्वीर के रूप में एक-दूसरे को भेजते थे।

सलवार सूट का रंग और डिजाइन से वे एक-दूसरे को संदेश पहुंचा देते थे, जो उन्हें बताना होता था।

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पाकिस्तान से मिलना थी मोटी रकम
काना ने सलीम, काफील, नासिर और इमरान को बतौर मोहरा इस्तेमाल किया। यही नहीं इन्हें पाकिस्तान से मोटी रकम देने का वादा भी किया गया था। यही वजह थी कि पैसों के लिए ये चारों देश को बर्बाद करना चाहते थे।

हालांकि इनकी साजिश कामयाब होने से पहले ही पकड़ी गई। इनका आका पाकिस्तान में बैठा है, जिसका नाम इकबाल काना है।

इकबाल काना अपने उत्तर प्रदेश के शामली जिले के कैराना का रहनेवाला है। अब वो पाकिस्तान से हिन्दुस्तान के लिए आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के इशारे पर साजिश रचता है।

सोने की तस्करी करता था काना
इकबाल काना शुरुआत में सोने की तस्करी करता था। बाद में नकली नोटों और असलहे के तस्करी करने के धंधा करने लगा। 1995 में पुलिस का दबाव बढ़ने लगा तो परिवार समेत पाकिस्तान भाग गया।

दिखावे के लिए कपड़े का कारोबार
ब्लास्ट मामले में एनआईए ने अबतक चार संदिग्धों को गिरफ्तार किया है। इनमें नासिर खान उर्फ नासिर मलिक और उसके भाई इमरान मलिक उर्फ इमरान खान को तेलंगाना के सिकंदराबाद से गिरफ्तार किया गया। वहीं मो. सलीम अहमद उर्फ हाजी सलीम और कफिल उत्तर प्रदेश के कैराना से दबोचे गए हैं। आतंकी गतिविधियों में शामिल होने का शक किसी को न हो, इसके लिए इन्होंने दिखावे के तौर पर कपड़ों का कारोबार कर रखा था।

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ऐसे रची गई साजिश
सबसे पहले इकबाल काना ने शामली के सलीम को आतंकी वारदात के लिए रिक्रूट किया। फिर साजिश का प्लान बनाया। लेकिन वारदात को अंजाम देने के लिए सेफ सिटी (सुरक्षित शहर) में रहनेवाले किसी शख्स की तलाश शुरू हुई, जो खासकर कपड़ों का कारोबार रेलवे के जरिए करता हो।

सलीम की तलाश मलिक ब्रदर्स पर जाकर पूरी हुई। नासिर और इमरान मलिक भी शामली के ही रहने वाले हैं, जो हैदराबाद में रहकर कपड़ों का कारोबार करते थे।

इसमें कफील नाम का शख्स भी शामिल है जो सलीम का पिता है। बेटे की पापों की वजह से पिता को हथकड़ी पहननी पड़ी। NIA ने उनको रिमांड पर भी नहीं लिया है। कफील पटना के बेऊर जेल में हैं।

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NIA खंगाल रही शामली कनेक्शन
एनआईए की पूछताछ में साजिश को लेकर कई अहम राज सलीम ने उगले हैं। खुलासे के बाद कई और लोगों की गिरफ्तारी हो सकती है। ब्लास्ट के बाद पाकिस्तान से हवाला के जरिए सलीम को करीब पौने दो लाख रुपए दिए गए। ब्लास्ट में लगातार शामली कनेक्शन मिलने के बाद अब एनआईए देशभर में इसके तार जोड़ने में जुटी है।

पाकिस्तान से लिक्विड बम बनाने की ट्रेनिंग
पाकिस्तान से काना ने मोबाइल के जरिए इमरान को लगातार लिक्विड बम बनाने का वीडियो भेजा और उसी वीडियो को देखकर लिक्विड बम बनाया गया था। साजिश के मुताबिक हैदराबाद और काजीपेट रेलवे स्टेशन के बीच पार्सल बोगी में ब्लास्ट करना था। बम धमाके से पार्सल बोगी में आग लग जाती।

देखते ही देखते सिकंदराबाद-दरभंगा एक्सप्रेस बर्निंग ट्रेन बनकर हजारों यात्रियों की जान ले लेती। लेकिन ये हो न सका। गनीमत यह रही कि पार्सल में ब्लास्ट ट्रेन में न होकर स्टेशन पर उतारते समय हुआ।



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