Breaking News

राजनीति और समाजसेवा पर भी तकनीकी हावी, मोबाइल ऐप कर रहा मदद

गुरुग्राम। वर्तमान समय डिजिटलीकरण का युग है। राजनीति व व्यवसाय आदि के कार्य क्षेत्र में भी इसका बोलबाला है। पहले राजनीतिक व सामाजिक संगठन अपने विचारों, कार्यक्रमों, सदस्यता व चुनावी अभियान तथा व्यवसायिक कंपनियां अपने प्रोडक्ट्स को लॉन्च करने के लिए लोगों के बीच सर्वें, प्रचार आदि का कार्य ऑफलाइन यानी कागज पर कराया करती थीं।

यह प्रक्रिया जहां लंबी व जटिल होती थी वहीं ज्यादा मैनपावर व अन्य संसाधनों की भी जरूरत होती थी। मगर अब सबकुछ डिजिटल होने लगा है। सोशल मीडिया व ऐप की मदद लेकर ये सब करना आसान हो गया है। इससे समय व संसाधन दोनों की बचत हो रही है।

अब राजनीतिक व सामाजिक संगठनों का ‘वर्क मोड’ ज्यादार डिजिटल हो गया है। चुनाव और सदस्यता अभियान मिस्ड कॉल और ऐप के सहारे चल रहा है। इससे कम समय में अधिक लोगों के साथ संपर्क साधना संभव हो गया है।

‘कुटुंब’ ऐप ने बनाया आसान

इस संबंध में आईआईटी कानपुर के पासआउट व भारतीय कम्युनिटी कुटुंब ऐप के बिजनेस हेड स्वतंत्र वर्मा का कहना है कि कोई ग्रुप चाहे राजनीतिक हों, व्यवसायिक हों अथवा सामाजिक, सभी डिजिटल माध्यम से ही अपने आप को प्रासंगिक रख सकते हैं। देश व समाज में अपना यथोचित प्रसार व प्रभाव को कायम रख सकते हैं। स्वतंत्र वर्मा ने बताया कि उनका डिजिटल ऐप ‘कुटुंब’ खासकर भारत जैसे लोकतांत्रिक देश के राजनीतिक दलों के स्वरूप व क्रिया-कलापों को ध्यान में रखकर बनाया गया है। यह ऐप सदस्यता अभियान या किसी सर्वे को बिना किसी त्रृटि के सटिकता के साथ करा सकता है।

ब्राह्मण विकास संगठन के सुरेंद्र शर्मा का कहना है कि वर्तमान आधुनिक समाज में डिजिटल माध्यम के बिना संगठन का काम करना मुश्किल है। इस माध्यम से लोगों को जोड़ना, संस्था के विचार व नीतियों का प्रसार करना आसान हो जाता है।

डिजिटल माध्यम के अलावा कोई विकल्प नहीं

बीजेपी नेता व गुरुग्राम के पूर्व डिप्टी मेयर परमिंदर कटारिया का कहना है कि समाज में राजनीति और राजनीतिक गतिविधियों को लेकर सक्रियता बढ़ी है। बड़ी आबादी को पार्टी से जोड़ने व उसकी नीतियों व विचारों को लोगों तक पहुंचाने के लिए डिजिटल माध्यम के अलावा कोई विकल्प नहीं है। वे कहते हैं, पहले सदस्यता अभियान चलाने के लिए लोगों के घर-घर जना होता था। रजिस्टर में एंट्री होती थी और इसे पार्टी कार्यालय में जमा करना होता था। इसमें लंबा समय लगता था और यह आर्थिक तौर पर भी खर्चीली प्रणाली थी। कई बार अभियान में खामियां और आर्थिक गड़बड़ी भी सामने आती थी। अब तो मिस्ड कॉल या कम्युनिटी कुटुंब ऐप के माध्यम से यह काम आसान हो गया है।

गतिविधियों को चलाना आसान हुआ

गुरुग्राम महिला जनसेवा समिति की अध्यक्षा रूपा पटेल के अनुसार कम्युनिटी कुटुंब ऐप के माध्यम से संस्था की गतिविधियों को चलाना आसान हुआ है। समिति में जितनी महिला सदस्य बीते एक साल में नहीं जुड़ीं, उससे ज्यादा एक माह में ही इस ऐप के माध्यम से जुड़ी हैं।



from Patrika : India's Leading Hindi News Portal
Read The Rest:patrika...

No comments