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22 जुलाई से जंतर-मंतर पर 'किसान संसद' का आयोजन

नई दिल्ली। किसान यूनियन ने कहा है कि संसद के मौजूदा मानसून सत्र के दौरान 22 जुलाई से 'किसान संसद' का आयोजन किया जाएगा। इस किसान संसद का आयोजन जंतर-मतर पर किया जाएगा तथा इसमें भाग लेने के लिए प्रतिदिन सिंघू बॉर्डर से 200 प्रदर्शनकारी वहां पहुंचेंगे। इन सभी को पहचान पत्र देकर जंतर-मंतर पर धरना देने भेजा जाएगा। प्रत्येक दिन एक स्पीकर और एक डिप्टी स्पीकर भी चुना जाएगा। किसान संसद के प्रथम दो दिन एपीएमसी अधिनियम पर तथा बाद में अन्य विधेयकों पर चर्चा की जाएगी।

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पुलिस अधिकारियों के साथ बैठक करते हुए एक किसान नेता ने कहा कि कृषि कानूनों को वापस लिए जाने की मांग को लेकर ही जंतर-मंतर पर शांतिपूर्ण प्रदर्शन किया जाएगा और कोई भी प्रदर्शनकारी संसद भवन नहीं जाएगा। उल्लेखनीय है कि पहले सभी किसान संगठनों ने केन्द्रीय कृषि कानूनों के विरुद्ध प्रदर्शन करने के लिए योजना बनाई थी कि हर दिन 22 जुलाई से 200 किसान संसद के बाहर विरोध-प्रदर्शन करेंगे परन्तु बाद में यह योजना बदल दी गई और किसान संसद आयोजित करने पर विचार किया गया।

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इस संबंध में बताते हुए राष्ट्रीय किसान मजदूर महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिव कुमार कक्का ने कहा कि हमने पुलिस को सूचित कर दिया है कि विरोध प्रदर्शन शांतिपूर्ण होगा। सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक हम जंतर-मंतर पर बैठेंगे। न तो किसान संसद जाएंगे और न ही किसी राजनैतिक व्यक्ति को विरोध प्रदर्शन में आने दिया जाएगा।

उल्लेखनीय है कि मोदी सरकार द्वारा गत वर्ष पास किए गए कृषि बिलों के विरोध में देश भर के किसान सितंबर 2020 से दिल्ली में विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। इसी वर्ष 26 जनवरी को उन्होंने ट्रेक्टर रैली निकालते हुए प्रदर्शन किया था जो बाद में हिंसक हो गया और प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर हमला बोलते हुए लाल किले पर अपना झंड़ा फहरा दिया था।



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