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निजी कोविड टीकाकरण सेंटर्स पर इस वजह से धीमी पड़ी रफ्तार, केंद्र ने 15 राज्यों को किया आगाह

नई दिल्ली। कोरोना महामारी से निपटने के लिए तेजी के साथ टीकाकरण अभियान को आगे बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है। लेकिन, हाल के दिनों में कई ऐसी रिपोर्ट सामने आई हैं जो चिंता बढ़ाने वाली है। दरअसल, 21 जून को दर्ज रिकॉर्ड टीकाकरण के बाद लगातार देश में टीकाकरण की रफ्तार धीमी पड़ती जा रही है। खासकर निजी टीकाकरण सेंटर्स पर लगातार टीकाकर की गति धीमी पड़ रही है। इसके कई कारण हैं। देश के कई जगहों से वैक्सीन की कमी की खबरें सामने आई हैं। वहीं, कई मीडिया रिपोर्ट्स में वैक्सीन की कमी की वजह से सैंकड़ों वैक्सीनेशन सेंटर (Corona Vaccination Center) के बंद होने की बात भी कही गई है।

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निजी वैक्सीनेशन सेंटर्स पर टीकाकरण की रफ्तार धीमी पड़ने को लेकर केंद्र सरकार भी चिंतित है। सरकार की ओर से चिंता जाहिर करने पर निजी अस्पतालों की संस्था एसोसिशन ऑफ हेल्थकेयर प्रोवाइडर्स ऑफ इंडिया (AHPI) ने एक सर्वे का हवाला देते हुए बताया है कि वैक्सीन की शॉर्टेज (वैक्सीन की कमी) और नोडल ऑफिसर वैक्सीनेशन की धीमी रफ्तार का कारण है। इस संबंध में सरकार ने 15 राज्यों को आगाह किया है। वहीं, दूसरी तरफ एक सर्वे के माध्यम से AHPI ने राज्य सरकारों से मदद न मिलने की बात कही है।

केंद्र सरकार ने जताई चिंता

बता दें कि भारत सरकार ने कोरोना संक्रमण के खिलाफ लड़ाई के लिए 16 जनवरी से टीकाकरण अभियान की शुरुआत की थी। लेकिन समय बीतने के साथ अभियान की रफ्तार बढ़ने के बजाए धीमी पड़ने लगी। इस पर सरकार ने एक बार फिर से टीकाकरण नीति में बदलाव किया और 21 जून से दोबारा नई टीकाकरण नीति को लागू किया।

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21 जून को पूरे देश में रिकॉर्ड स्तर पर (90 लाख के करीब) टीका लगाया गया। लेकिन इसके बाद अचानक से फिर टीकाकरण की दर घटने लगी और औसतन 60 लाख के करीब पहुंच गया। ऐसे में अब केंद्र सरकार ने चिंता जाहिर की है। नई टीकाकरण नीति लागू करने के बाद भी वैक्सीनएशन की रफ्तार धीमी पड़ने को लेकर केंद्र सरकार ने समीक्षा की तो पाया कि 15 राज्यों में प्राइवेट वैक्सीनेशन सेंटर्स पर लोगों को वैक्सीन देने की रफ्तार बहुत धीमी है।

जिन 15 राज्यों में निजी सेंटर्स पर टीकाकरण की रफ्तार धीमी है उनमें उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, ओडिशा, तेलंगाना, अरुणाचल प्रदेश, कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, गुजरात, पश्चिम बंगाल, दिल्ली, पंजाब और हरिय़ाणा शामिल हैं। सरकार ने इन सभी राज्यों को आगाह किया है।

इस वजह से धीमी पड़ी रफ्तार

केंद्र सरकार की तरफ से चिंता जाहिर करने पर AHPI ने अपनी तफ्तीश शुरू की और 70 प्राइवेट अस्पतालों का सर्वे किया। इस दौरान AHPI ने पाया कि छोटे अस्पतालों के पास पर्याप्त मात्रा में वैक्सीन उपलब्ध नहीं है। उन्हें वैक्सीन मिल ही नहीं पा रहा है। सर्वे में दावा किया गया है कि 77 फीसदी अस्पतालों ने कहा कि उन्हें सही समय पर वैक्सीन ही नहीं मिल पा रहा है। वहीं 41 फीसदी अस्पतालों ने कहा कि उनके इलाके में राज्य सरकार की तरफ से नोडल ऑफिसर की नियुक्ति ही नहीं की गई है। इसके अलावा 39 फीसदी अस्पतालों ने कहा कि नोडल ऑफिसर तो है लेकिन उनसे कोई मदद नहीं मिल रही है।

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AHPI के महानिदेशक डॉ. गिरिधर ग्यानी ने इस पूरे मामले पर कहा कि वैक्सीनेशन की रफ्तार की गति धीमी होने के पीछे स्टेट गवर्नमेंट दिक्कत कर रही है या वैक्सीन की उपलब्ध नहीं हो पा रही है। यदि में वैक्सीन मुहैया कराई जाए तो हम टीकाकरण करने के लिए सदैव तत्पर हैं।

अब तक करीब 40 करोड़ डोज लगाई गई

आपको बता दें कि 16 जनवरी से अब तक पूरे देश में करीब 40 करोड़ खुराक लगाई गई है। स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, पूरे देश में अब तक कुल 39 करोड़ 53 लाख 43 हजार 767 डोज लगाई जा चुकी है। उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक 3 करोड़ 95 लाख 20 हजार 85 डोज लगाई गई है, जबकि 3 करोड़ 82 लाख 68 हजार 323 टीके लगाकर लगाकर महाराष्ट्र दूसरे नंबर पर है। गुजरात में अब तक 2 करोड़ 87 लाख 62 हजार 502 डोज लगाए गए हैं। वहीं राजस्थान में 2 करोड़ 75 लाख 622 टीके लगाए गए हैं। इसके अलावा कर्नाटक 2 करोड़ 66 लाख 14 हजार 608 खुराक दी गई है।



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