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पीएम से मुलाकात के बाद बोले उद्धव ठाकरे- मैं नवाज शरीफ से मिलने नहीं गया था.. हमारी पार्टी अलग पर रिश्ता नहीं टूटा

नई दिल्ली। कोरोना संकट के बीच महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण को लेकर सियासी सरगर्मी बढ़ने लगी है। ऐसे में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने राजधानी दिल्ली में मंगलवार दोपहर पीएम नरेंद्र मोदी से उनके आवास पर मुलाकात की और कई अहम मुद्दों पर चर्चा की।

सीएम बनने के बाद उद्धव ठाकरे ने दूसरी बार पीएम मोदी से मुलाकात की है। बैठक में सीएम उद्धव के साथ डिप्टी सीएम अजित पवार और मंत्री अशोक चव्हाण भी मौजूद थे। इस दौरान मराठा आरक्षण समेत वैक्सीनेशन, हाल में आए चक्रवात से हुए नुकसान के लिए वित्तीय सहायता जैसे अहम मुद्दों पर चर्चा की गई।

राज्यों को जल्द मिलेगी वैक्सीन

पीएम मोदी के साथ बैठक करने के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए सीएम उद्धव ठाकरे ने कई बातें बताई। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी ने महाराष्ट्र समेत सभी राज्यों को जल्द से जल्द वैक्सीन उपलब्ध कराने की बात कही है। उन्होंने कहा है कि पीएम मोदी के साथ मराठा आरक्षण, मेट्रो के ‘कार शेड’, जीएसटी मुआवजे से जुड़े कई खास मुद्दों पर बातचीत हुई है।

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उद्धव ठाकरे ने उम्मीद जताई कि मंगलवार को पीएम मोदी द्वारा किए गए ऐलान के बाद वैक्सीन की आपूर्ति में कोई बाधा नहीं आएगी और सभी नागरिकों को वैक्सीन मिल सकेगा।

नवाज शरीफ से मिलने नहीं गया था..

उद्धव ठाकरे ने एक पत्रकार के सवाल का जवाब देते हुए कहा कि वे नवाज शरीफ से मिलने नहीं गए थे, बल्कि अपने देश के प्रधानमंत्री से मिलने गए थे। उन्होंने कहा, 'भले ही राजनीतिक रूप से हम साथ नहीं हैं, लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि हमारा रिश्ता खत्म हो गया है। मैं कोई नवाज शरीफ से मिलने नहीं गया था। इसलिए यदि मैं उनसे व्यक्तिगत मुलाकात करता हूं तो इसमें कुछ भी गलत नहीं है।'

मराठा आरक्षण पर केंद्र से दखल देने की मांग

इस बैठक में सीएम ठाकरे ने पीएम मोदी से मराठा आरक्षण को लेकर चर्चा की। उन्होंने मराठा कोटे पर सुप्रीम कोर्ट की रोक हटाने के लिए केंद्र सरकार के दखल की मांग की। साथ ही ओबीसी आरक्षण, जातिगत जनगणना और मराठी को क्लासिकल भाषा का दर्जा दिए जाने की भी मांग की।

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बैठक में मौजूद डिप्टी सीएम अजित पवार ने कहा कि प्रधानमंत्री से मुलाकात अच्छी रही। केंद्र साथ दे तो मराठा आरक्षण पर फैसला हो सकता है। पिछले महीने उद्धव ठाकरे ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखा और उनसे राज्य में मराठा समुदाय को सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़ी जाति घोषित करने के लिए कदम उठाने का अनुरोध किया ताकि वे शिक्षा (12 प्रतिशत) और नौकरियों (13 प्रतिशत) में आरक्षण का दावा कर सकें।

बता दें कि पिछले हफ्ते सुप्रीम कोर्ट ने अतिरिक्त ओबीसी आरक्षण को “असंवैधानिक” करार देते हुए रद्द कर दिया था। पांच-न्यायाधीशों की पीठ ने कहा कि मराठा आरक्षण के लिए 2018 के कानून ने आरक्षण को मौजूदा 50 प्रतिशत की सीमा से आगे बढ़ा दिया है।

मालूम हो कि महाराष्ट्र सरकार ने 31 मई को मराठा समुदाय के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण सहित ईडब्ल्यूएस (आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग) के लाभों का विस्तार किया था, जिसे देवेंद्र फडणवीस सरकार ने 2018 में मराठों को आरक्षण दिया था। बंबई उच्च न्यायालय ने आरक्षण को बरकरार रखा, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने फैसले पर रोक लगा दी।



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