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महाराष्ट्र: 50 वर्ष या उससे अधिक आयु वाले वृक्षों को मिलेगा विरासत का दर्जा

नई दिल्ली। महाराष्ट्र में 50 साल या उससे अधिक आयु वाले वृक्षों को विरासत का दर्जा देने के लिए वृक्ष संरक्षण अधिनियम 1975 में संशोधन को मंजूरी दी गई है। अध्यादेश के जरिए इसके लागू होने की उम्मीद है। मंत्रिमंडल ने महाराष्ट्र वृक्ष प्राधिकरण के गठन को भी हरी झंडी दी, जो पेड़ों की सुरक्षा के संबंध में सभी निर्णय लेगा। इसके पास "विरासत के पेड़" सहित पेड़ों के संरक्षण से संबंधित जिम्मेदारी होगी।

विकास में पेड़ों की कटाई पर रहेगा ध्यान

मुंबई में चल रहे बुनियादी ढांचे के विकास, जिसमें मेट्रो कॉरिडोर, तटीय सड़क और अन्य शामिल हैं, इन परियोजनाओं के लिए बड़े पैमाने पर पेड़ों की कटाई पर ध्यान केंद्रित किया गया है। अधिनियम शहरी क्षेत्रों में वृक्षों की तादात को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करेगा।

सांस्कृतिक महत्व रखने वाले वृक्षों को संरक्षित करने के साथ-साथ मौजूदा पेड़ों की रक्षा करना समय की आवश्यकता है। प्रमुख सचिव (पर्यावरण) मनीषा म्हैस्कर के अनुसार यह अहम है कि प्रकृति के संरक्षण को सुनिश्चित करते हुए विकास को स्थायी तरीके से किया जाए। अधिनियम में संशोधन 9 जून को पर्यावरण विभाग द्वारा कैबिनेट की बैठक में प्रस्तावित किया गया था। एक अध्यादेश जारी करने के अनुरोध की अनुमति के साथ संशोधन के प्रस्ताव को कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है।

पेड़ को हेरिटेज ट्री के रूप में परिभाषित किया

संशोधन विरासत वृक्षों की अवधारणा का परिचय देता है। कैबिनेट नोट के अनुसार, 50 वर्ष या उससे अधिक की अनुमानित आयु वाले पेड़ को हेरिटेज ट्री के रूप में परिभाषित किया जाएगा। यह विशिष्ट प्रजातियों से संबंधित हो सकता है, जिसे समय-समय पर अधिसूचित किया जाएगा। पर्यावरण विभाग, वन विभाग के परामर्श से, पेड़ की उम्र निर्धारित करने के लिए दिशा-निर्देश जारी होंगे, जो प्रतिपूरक वनीकरण पर निर्णय लेते समय अहम होगा।

इस अधिनियम के तहत वृक्ष विशेषज्ञ स्थानीय वृक्ष अधिकारियों का हिस्सा होंगे। ये निकाय सुनिश्चित करेंगे कि हर पांच वर्ष के बाद पेड़ों की गणना की जाए। वे हेरिटेज पेड़ों की गिनती,उनका संरक्षण सुनिश्चित करने, वृक्षारोपण पर नजर रखने के साथ पेड़ों की छंटाई और देखभाल करने और 33% सरकारी भूमि का उपयोग वृक्षारोपण के लिए सुनिश्चित करने के लिए जिम्मेदारी भी होंगे।



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