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कोविड प्रबंधन को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई, सोशल मीडिया पर न दबाए जाएं कोरोना SOS मैसेज

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने आज यानी 30 अप्रैल को दश्ेा में कोरोना संकट और चरमराई स्वास्थ्य व्यवस्था पर सुनवाई की। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि नागरिकों को सोशल मीडिया पर अपनी शिकायत और परेशानियों को बताने पर किसी भी राज्य को सूचना दबाना नहीं चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि सोशल मीडिया पर अगर कोई नागरिक अपनी शिकायत के बारे में लिख रहा है तो उसको गलत जानकारी नहीं बताया जा सकता।

जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, नागेश्वर राव और एस रवींद्र भट की खंडपीठ दोपहर में इस मामले की सुनवाई की।
आपको बता दें कि 27 अप्रैल को अपनी अंतिम सुनवाई में, पीठ ने राज्य सरकारों से उनके स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे पर रिपोर्ट दाखिल करने के लिए कहा था और कहा था कि कोविड पर किसी भी आदेश को पारित करने से उच्च न्यायालयों को प्रतिबंधित नहीं किया जाएगा क्योंकि वे अपने संबंधित राज्यों के मामले की सुनवाई कर रहे हैं और वे जमीनी हकीकत को अच्छी तरह जानते हैं।

शीर्ष अदालत ने राज्य सरकारों से उनके स्वास्थ्य ढांचे के संबंध में गुरुवार तक अपनी प्रतिक्रियाएं दर्ज करने को कहा था। पीठ ने केंद्र सरकार से कहा था कि वह कोविड टीकों और अन्य आवश्यक वस्तुओं के मूल्य निर्धारण के पीछे आधार और औचित्य की व्याख्या करे।

अब शुक्रवार को सुनवाई के दौरान जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि अगर ऐसी शिकायत पर कार्रवाई के लिए विचार किया जाता है तो इसको कोर्ट की अवमानना समझा जाएगा। इसके साथ ही सभी राज्यों और उनके पुलिस महानिदेशकों को यह संदेश पहुंच जाना चाहिए। इसके साथ ही कोर्ट ने राजधानी दिल्ली में ऑक्सीजन की आपूर्ति पर केंद्र सरकार को फटकार भी लगाई है। बेंच ने सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि दिल्ली में ऑक्सीजन मौजूद नहीं है। जबकि महाराष्ट्र और गुजरात का भी यही हाल है।



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