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सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एमएम शांतनागोदर का निधन, फेफड़े में था संक्रमण

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस मोहन एम शांतनागोदर का शनिवार देर रात निधन हो गया। 62 वर्षीय जस्टिस मोहन गुरुग्राम के एक निजी अस्पताल में अंतिम सांस ली। बताया जा रहा है कि जस्टिस शांतनागोदर को फेफड़े में संक्रमण हो गया था। जिसके चलते उनको मेदांता अस्पताल में भर्ती कराया गया था। तबीयत ज्यादा खराब होने के कारण आईसीयू में शिफ्ट किया गया था। हालांकि अभी तक इस बात की पुष्टि नहीं हो पाई है कि न्यायाधीश कोरोना वायरस से संक्रमित थे या नहीं। बता दें कि सीबीआई के अंतरिम निदेशक के रूप में एम नागेश्वर राव की नियुक्ति से जुड़े मामले की सुनवाई करने वाली पीठ में न्यायमूर्ति मोहन एम शांतनागोदर भी शामिल थे।

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कई दिनों से थे बीमार
शीर्ष कोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस मोहन शांतनागोदर के एक अधिकारी ने जानकारी दी कि शनिवार देर रात तक उनकी हालत स्थिर बताई गई थी। अधिकारी ने बताया कि देर रात करीब 12: 30 बजे उनका इलाज कर रहे डॉक्टरों ने कहा कि वे न्यायाधीश को नहीं बचा सके। यह दुखद समाचार मिलने के बाद उनके परिवार में शौक की लहर फैल गई। सूत्रों के अनुसार, बताया जा रहा है कि जस्टिस शांतनागोदर पिछले कुछ दिनों से बीमार चल रहे थे। उनके फेफड़े में संक्रमण के कारण निधन हो गया।

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कर्नाटक में हुआ था जन्म
न्यायमूर्ति शांतनागोदर का जन्म पांच मई, 1958 को कर्नाटक में हुआ था। जस्टिस शांतनागौदर कर्नाटक के हावेरी जिले के रहने वाले थे। उन्होंने धारवाड़ के युनिवर्सिटी लॉ कालेज से कानूनी शिक्षा ग्रहण की थी। उन्होंने पांच सितंबर, 1980 को एक वकील के तौर पर अपना पंजीकरण कराया। सुप्रीम कोर्ट में पदोन्नत किए जाने से पहले न्यायमूर्ति शांतनागोदर केरल हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के रूप में काम किया। इसके बाद 17 फरवरी 2017 को सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के तौर पर पदोन्नत किया गया था।



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