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किसान आंदोलन में तीन और नाम चर्चित, टूलकिट, खालिस्तान और पीटर फे्रडरिक, जानिए क्या है इन तीनों का आपसी कनेक्शन

नई दिल्ली।

तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन बीते करीब तीन महीने से जारी है, मगर गत 3 फरवरी को एक शब्द सामने आया टूलकिट। यानी करीब 20 दिन पहले सामने आया यह टूलकिट शब्द तब से लगातार ट्रेंड में बना हुआ है।

जी हां, गत 3 फरवरी को स्वीडन की पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग ने अपने ट्विटर अकाउंट पर एक टूलकिट शेयर किया था। विवाद बढ़ा तो इसे हटा लिया। मगर 4 फरवरी को एक बार फिर टूलकिट को पोस्ट करते हुए संदेश लिखा कि यह अपडेटेड टूलकिट है और इसी का इस्तेमाल किया जाए।

संघ का आलोचक और खालिस्तान का करीबी है पीटर
पता चला कि इस टूलकिट से निकिता जैकब, दिशा रवि और शांतनु मुलुक काफी करीब से जुड़े हैं। वहीं, एक विदेशी नाम पीटर फ्रेडरिक का भी इससे लगातार जुड़ाव रहा है। पीटर आरएसएस यानी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के आलोचक माने जाते हैं। वह पेशे से पत्रकार और लेखक हैं, मगर आतंकी संगठन खालिस्तान से भी उनका जुड़ाव माना जाता है। टूलकिट मामले में बाकी नामों की तरह पीटर भी इन दिनों खासे चर्चा में हैं।

टूलकिट को सुरक्षा एजेंसियों ने माना प्रॉक्सी वॉर!
दरअसल, ग्रेटा थनबर्ग ने जिस टूलकिट को अपने ट्विटर अकाउंट से शेयर किया, उसे भारत के खिलाफ प्रॉक्सी वॉर माना जा रहा है और सुरक्षा एजेंसियां पीटर के खालिस्तानी कनेक्शन को लेकर काफी गहनता से जांच कर रही हैं। वहीं, पीटर सोशल मीडिया पर अपने इस कनेक्शन को लेकर लगातार बचाव करते दिख रहे हैं। इसके साथ ही वह भारत के मौजूदा हालात पर भी लगातार टिप्पणी कर रहे हैं।

खालिस्तानी संगठन से जुड़ा है पीटर
बहरहाल, दिल्ली पुलिस का दावा है कि पीटर खालिस्तानी संगठन से जुड़ा है और यह आतंकी संगठन उसे मोहरे की तरह इस्तेमाल कर रहा है। पुलिस ने यह भी दावा किया है कि पीटर को भारतीय सुरक्षा एजेंसियां वर्ष 2006 से अपने रडार पर रखे हुए हैं। वहीं, बेंगलुरु की कार्यकर्ता दिशा रवि की गिरफ्तारी और निकिता जैकब तथा शांतनु से अब तक हुई पूछताछ के बाद पीटर का नाम टूलकिट केस में स्पष्ट रूप से सामने आ गया है।

पीटर का नाम इसमें कैसे आया
पुलिस का यह भी दावा है कि ग्रेटा की ओर से जो टूलकिट शेयर किया गया था, वह खालिस्तान को समर्थन देता दस्तावेज है। इसे एक रणनीति के तहत शेयर किया गया। पुलिस के अनुसार, दिशा रवि, निकिता जैकब, शांतनु मुलुक पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन की संचालक और खालिस्तान की हमदर्द मो धालीवाल के जरिए एकदूसरे से जुड़े हुए हैं। इन्होंने जिस टूलकिट को शेयर किया, उसमें कुछ बदलाव किए जाने का दावा किया गया। इस टूलकिट को ग्रेटा थनबर्ग ने शेयर किया। गूगल डाक्युमेंट के हू टू बी फॉलोड सेक्शन में पीटर फ्रेडरिक का नाम लिखा था और यही से पीटर का नाम इस पूरे मामले में जुड़ता है।

अमरीकी नागरिक है पीटर
पुलिस के अनुसार, खालिस्तान संगठन को चलाने वाले भजन सिंह भिंडर उर्फ इकबाल चौधरी का पीटर से सीधा कनेक्शन है। भिंडर पाकिस्तानी एजेंसी आईएसआई की कश्मीर प्लस खालिस्तान डेस्क से जुड़ा है। भिंडर के साथ न सिर्फ पीटर बल्कि, दिशा, निकिता और शांतनु के भी संबंध की जांच हो रही है। पीटर खुद को फ्रीलॉन्स जर्नलिस्ट बताता है। वह खुद का अमरीकी नागरिक बताते हैं और उन्होंने सैफ्रान फासिस्ट नाम की किताब लिखी है।

पीटर का क्या कहना है
पीटर के अनुसार, मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रीय स्वयं संघ का आलोचक हूं, इसलिए भारतीय सुरक्षा एजेंसियां मुझे निशाना बना रही हैं। खालिस्तान को मुद्दा बनाकर मोदी सरकार अपनी नाकामी छिपाना चाहती है। यह एक तरह का मजाक है कि मुझे और रिहाना को अलगाववादी सिख आंदोलन के साथ जोड़ा जा रहा है।



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