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चमोली त्रासदी: सुरंग के भीतर एक और सुरंग, सुरक्षाकर्मियों को इसलिए हो रही परेशानी

नई दिल्ली।
बीते 7 फरवरी को उत्तराखंड के चमोली जिले में ग्लेशियर फटने से जो तबाही हुई, उससे लोग अब भी उबर नहीं पाए हैं। सूत्रों की मानें तो इस त्रासदी में अब भी बहुत से लोग गायब है, जिनका पता लगाने के लिए सुरक्षाकर्मी रात-दिन एक किए हुए हैं। इनमें तपोवन-विष्णुगढ़ हाइड्रो पॉवर प्रोजेक्ट में बनी सुरंग में फंसे लोग भी शामिल हैं।

तपोवन सुरंग में बचाव दल लगातार काम में जुटे हुए हैं। सुरंग से मलबा हटाने का काम दिन-रात जारी है। ड्रिलिंग की जा रही है। ड्रिलिंग के बाद कैमरों से सुरंग में फंसे लोगों की तलाश की जाएगी। ऋषिगंगा में आई बाढ़ के बाद सुरंग में गाद भर गई थी

राहत और बचाव कार्य में लगे अधिकारियों का कहना है कि गाद से भरी तपोवन सुरंग में करीब तीन दर्जन लोग फंसे है। इन लोगों तक पहुंचने के लिए सुरंग को खोदने का काम शुरू कर दिया गया है। मगर मुसीबत यह है कि सुरंग के भीतर 12 मीटर की एक और छोटी सुरंग है। यहां तक पहुंचने में राहतकर्मियों को ज्यादा परेशानी हो रही है। आशंका जताई जा रही है कि इस जगह ही ज्यादा लोग फंसे हैं। इस हिस्से में ड्रिलिंग की जा रही है।

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उत्तराखंड में ग्लेशियर ढहने के बाद तपोवन इलाके में रैणी गांव के ऊपर झील आकार ले रही है। उपग्रह से मिली हाई रेजोल्यूशन तस्वीरों में ऋषिगंगा में मलबे का अवरोध आने से इस झील के बनने का पता चला है। झील लगभग 400 मीटर लंबी है, लेकिन इसकी गहराई का अभी अनुमान नहीं है। हेलिकॉह्रश्वटरों ने झील के ऊपर उड़ानभरी और ड्रोन के जरिए भी एजेंसियां हालात का जायजा ले रही हैं। तस्वीरों से पता चला है कि ऋषिगंगा झील का ये पानी खतरनाक हो सकता है। पानी को निकालने का रास्ता खोजा जा रहा है।

चमोली की जिलाधिकारी स्वाति भदोरिया ने बताया कि लापता 206 में से अभी तक 38 लोगों के शव मिले हैं। दो लोगों के जिंदा मिलने के बाद अब 166 लोग लापता हैं। शुक्रवार को चमोली घाट पर 11 शवों का नियमानुसार 72 घंटे बाद अंतिम संस्कार किया गया।



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