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India-China Tension: भारत के खिलाफ साजिश रच रहा चीन, ऐसे रख रहा हर हरकत पर नजर

नई दिल्ली। भारत और चीन ( India China Tension ) के बीच तनाव कम होने का नाम नहीं ले रहा है। सीमा पर चल रही टेंशन के बीच एक बार फिर बड़ी खबर सामने आई है। दरअसल ड्रैगन भारत के खिलाफ बड़ी साजिश रचने में जुटा है। हिंद महासागर ( Indian Ocean ) में इसको लेकर कुछ संकेत भी मिले हैं।

चीन ने हिंद महासागर में जासूसी के लिए अंडरवॉटर ड्रोन तैनात कर दिए हैं। अमरीकी रक्षा विश्लेषक के मुताबिक चीन हिंद महासागर में बड़े स्तर पर 'अंडरवॉटर ड्रोन्स' को तैनात कर रहा है। इन ड्रोन्स के जरिए चीन भारत की हर हरकत पर नजर रखना चाहता है, साथ ही किसी बड़ी साजिश को अंजाम भी दे सकता है।

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अमरीकी रक्षा विश्वलेषकों के मुताबिक चीन ने हिंद महासागर में बड़े स्तर पर अंडरवाटर ड्रोन तैनात किए हैं और ये प्रक्रिया अब भी जारी है। चीन इन अंडरवॉटर ड्रोन्स का इस्तेमाल भारत के खिलाफ खुफिया निगरानी के लिए कर सकता है।

ड्रैगन ऐसे कर रहा डेयरिंग
पूर्वी लद्दाख में वास्तिविक नियंत्रण रेखा पर भारत और चीन के बीच तनाव लगातार जारी है। कई दौर की वार्ताओं के बात भी अब तक इसका हल नहीं निकला है। वहीं भारत चीन को दो टूक कह चुका है कि वे चीन की नापाक हरकतों का जल, थल और नभ तीनों मोर्चों पर मुंहतोड़ जवाब दे सकता है।

इसके बाद भी चीन साजिश रचने से बाज नहीं आ रहा है। इस बार चीन ने भारत के खिलाफ हिंद महासागर में साजिश रची है। रक्षा मामलों के विश्लेषक एचआई सटन ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि चीन ने हिंद महासागर में सी विंग (हेयी) ग्लाइडर्स नाम से जाने जाने वाले अंडरवॉटर ड्रोन्स का एक बेड़ा तैनात किया है।

महीनों तक काम कर सकते हैं ये ड्रोन
रक्षा एक्सपर्ट के मुताबिक चीन ने जिस तरह के अंडरवायर ड्रोन तैनात किए हैं वो कई महीनों तक ठीक ढंग से काम कर सकते हैं। ऐसे में वो इनका इस्तेमाल लंबे समय तक भारतीय हरकतों पर नजर बनाए रखने में कर सकता है। चीन इसके जरिए भारतीय नौसेना की खुफिया हरकतों पर निगरानी रख सकता है।

3400 जानकारियां जुटा चुका चीन
रिपोर्ट पर गौर करें तो चीन अब तक इन ड्रोन की मदद से 3400 से ज्यादा जानकारियां जुटा चुका है। चीन इन ग्लाइडर्स को बड़े स्तर पर तैनात कर रहा है। ये ग्लाइडर्स भूमिगत जल वाहन बेड़े यानि अनक्रूड अंडरवॉटर व्हीकल का ही एक स्वरूप हैं।

सटन के मुताबिक चीन ने इन्हें 2019 दिसंबर के मध्य में लॉन्च किया गया था। फरवरी 2020 में चीन ने अंडरवॉटर ड्रोन वापस ले लिए थे, लेकिन तब तक काफी जानकारी जुटा लीं थीं।

ऐसे काम करते हैं ये ड्रोन
इन व्हीकल में प्रॉपेलिंग के लिए कोई ईंधन प्रणाली नहीं है। ये बड़े विंग्स के सहारे समुद्र में नीचे ग्लाइड करते रहते हैं। ये तेज नहीं होते लेकिन लंबे मिशन पर काम करने में कारगर साबित होते हैं।

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चीन जब्त कर चुका अमरीकी ड्रोन
चीन ने 2016 में अमरीकी नौसेना के इसी तरह के एक ड्रोन को जब्त किया था। इसके लिए जहाजों के लिए सुरक्षित नेविगेशन सुनिश्चित करने का हवाला दिया गया था। चीन के ये ग्लाइडर्स वैसे ही हैं, जैसे अमरीकी नौसेना ने तैनात किए थे।

दरअसल हिंद महासागर में ये चीनी ग्लाइडर्स कथित रूप से समुद्र विज्ञान से जुड़ी जानकारी एकत्रित कर रहे हैं। समुद्र विज्ञान डाटा का इस्तेमाल नौसेना के खुफिया मकसद के लिए भी किया जाता है। यही वजह है कि चीन की इन हरकतों से किसी बड़ी साजिश की आशंका पैदा हो रही है।



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