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शोध: पिछली शताब्दी में लगभग 50 फीसदी सूखे की वजह उत्तरी अटलांटिक से चली वायु धाराएं रहीं

नई दिल्ली।

भारतीय विज्ञान संस्थान (आइआइएससी) के शोध का दावा है कि देश में मानसून विफलता की वजह केवल अल नीनो नहीं है। पिछली शताब्दी में मानसून विफलता और सूखे का बड़ा कारण उत्तरी अटलांटिक वायु धाराएं भी रही हैं।

शोध के अनुसार पिछली शताब्दी 23 बार के सूखे में 10 बार अल नीनो का प्रभाव नहीं था। अमूमन इसका कारण अल नीनो को माना जाता है जो कि एक गर्म जलधारा है और भारतीय उपमहाद्वीप में नमी से भरे मानसूनी बादलों को खींच लेती है।

आइआइएससी का शोध

  • - पिछली शताब्दी में लगभग 50 फीसदी सूखे की वजह उत्तरी अटलांटिक वायु धाराएं।
  • - उत्तरी अटलांटिक वायु मंडलीय विक्षोभ भी वजह।
  • - अल नीनो की तरह ही उत्तरी अटलांटिक वायुमंडलीय विक्षोभ में एक पैटर्न होता है।
  • - इस दौरान जून महीने में औसत से काफी कम बारिश होती है।
  • - इसके बाद मध्य जुलाई से मध्य अगस्त के बीच ऐसा लगता है कि मानसून रिकवर कर रहा है, क्योंकि इस दौरान बारिश बढ़ जाती है।
  • - अगस्त के तीसरे सप्ताह में अचानक बारिश में गिरावट आती है और अंतत: देश में सूखे के हालात पैदा हो जाते हैं।

लाहौल में रास्तों ने ओढ़ी बर्फ की चादर

उत्तर भारत पश्चिमी विक्षोभ से प्रभावित हो रहा है। मुंबई और अहमदाबाद में बारिश हुई। उत्तरप्रदेश, राजस्थान व उत्तराखंड में कई जगह कोहरा छाया रहा। हिमाचल का लाहौल क्षेत्र हिमपात के बाद बर्फ की चादर से ढक गया। शनिवार को पंजाब, हरियाणा, यूपी, दिल्ली, मध्यप्रदेश व राजस्थान में बारिश होने का अनुमान है।



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