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किसान आंदोलन: केंद्र सरकार ने दोपहर 3 बजे किसान संगठन के प्रतिनिधियों को बातचीत के लिए बुलाया

नई दिल्ली।

नए कृषि कानून के खिलाफ किसान बीते पांच दिन से प्रदर्शन कर रहे हैं। मंगलवार यानी प्रदर्शन के छठें दिन केंद्र सरकार ने किसानों से बिना शर्त बातचीत के लिए उन्हें आमंत्रण भेजा है। यह बैठक दोपहर करीब 3 बजे होगी।
इसमें 32 किसानों संगठन के प्रमुख शामिल होंगे। हालांकि, किसान नेता बलजीत सिंह महल ने कहा कि हम अन्य संगठनों के प्रतिनिधियों से बात कर तय करेंगे कि सरकार का प्रस्ताव स्वीकार किया जाए या नहीं।

हालांकि, बैठक से पहले सरकार अपना होमवर्क करने में जुटी है। किसानों के मुद्दों और उनकी मांगों को लेकर सुबह से भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के घर मंथन बैठक चल रही है। इसमें केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी मौजूद हैं।

बता दें कि केंद्र सरकार नया कृषि कानून लाई है, जिसमें कई बिंदुओं से किसान अपनी असहमति जता रहे हैं। उनकी आशंका है कि नए कानून में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को खत्म कर दिया गया है।

बैठक में सरकार कौन से कदम उठा सकती है
केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के मुताबिक, बैठक मंगलवार को दिल्ली के विज्ञान भवन में दोपहर 3 बजे होगी। इससे पहले कुछ किसान संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ एक बैठक गत 13 नवंबर को हुई थी। इसमें शामिल सभी प्रतिनिधियों को मंगलवार को होने वाली बैठक में शामिल होने के लिए बुलाया गया है। बहरहाल, माना जा रहा है कि बैठक में न्यूनतम समर्थन मूल्य को लेकर किसानों की आशंकाओं को दूर किया जाएगा। इसके अलावा, तीनों नए कानून पर किसानों की जो शंकाएं हैं, उन्हें भी हर स्तर पर दूर कर भरोसे में लेने का प्रयास होगा। सरकार यह विश्वास दिलाने का प्रयास करेगी कि नए कृषि कानून के बाद भी एमएसपी और मंडी व्यवस्था बनी रहेगी।

कानून वापस नहीं लेगी सरकार
माना जा रहा है कि बैठक के बाद सरकार भाजपा-एनडीए शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों की ओर से एमएसपी और मंडी व्यवस्था को लेकर बयान जारी करा सकती है। सरकार यह भी बताना चाहेगी कि वह नए कानून को वापस नहीं ले रही और उनकी शंकाओंं को हर स्तर पर दूर करने के लिए बातचीत का सिलसिला जारी रहेगा। यह किसी समिति या दूसरी व्यवस्थाओं के तहत किया जा सकता है।

दो दिन पहले हो रही बैठक
दरअसल, किसानों के प्रदर्शन को देखते हुए सरकार ने आगामी 3 दिसंबर को बातचीत का प्रस्ताव रखा था। इसके लिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शर्त रखी थी कि किसानों के साथ बातचीत दिल्ली के बुराड़ी स्थित निरंकारी मैदान पर आना होगा। साथ ही, सभी प्रदर्शन स्थल खाली करने होंगे, मगर किसान संगठनों ने इस शर्त को मानने से इनकार कर दिया था।

सर्दी और कोरोना का दिया हवाला
किसानों की ओर से सरकार की किसी भी शर्त को मानने से किए जाने के बाद गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने रविवार देर शाम बैठक की। इसमें ठंड और कोरोना संक्रमण के खतरे को देखते हुए मंगलवार 1 दिसंबर को ही बैठक का आमंत्रण दिया गया।

संजय अग्रवाल ने पत्र लिखकर इन संगठनों को बुलाया
मंगलवार को बैठक के लिए कृषि सचिव संजय अग्रवाल ने 32 किसान संगठनों के प्रतिनिधियों को बातचीत के लिए बुलाया है। अग्रवाल ने जिन संगठनों को पत्र लिखा, उनमें क्रांतिकारी किसान यूनियन, जम्महारी किसान सभा, भारतीय किसान सभा (दकुदा), कुल हिंद किसान सभा और पंजाब किसान यूनियन आदि संगठन शामिल हैं।

समर्थन के लिए दिल्ली पहुंच रहे और किसान
अपनी मांगों के समर्थन में दिल्ली की दो सीमाओं पर धरना दे रहे किसान संगठनों का समर्थन करने के लिए पंजाब और हरियाणा के विभिन्न जिलों से और किसान आ रहे हैं। किसानों का कहना है कि वे गुरु पर्व और दूसरी वजहों से अभी तक रूके हुए थे। अब दिल्ली पहुंचकर दिल्ली प्रवेश के सभी रास्ते बंद करेंगे।

दिल्ली पुलिस ने भी सुरक्षा बढ़ाई
किसानों के प्रदर्शन को देखते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने दिल्ली पुलिस को सुरक्षा-व्यवस्था बढ़ाने के निर्र्देश दिए हैं। इसके साथ ही हरियाणा और यूपी से दिल्ली में प्रवेश के सभी रास्तों पर बैरिकेड लगा दिए गए हैं। वहीं, यूपी से सटे गाजीपुर सीमा पर किसान पहुंच रहे हैं। फिलहाल, किसान सिंधु और टीकरी बॉर्डर पर धरने पर बैठे हैं।

टैक्सी यूनियन ने भी दी हड़ताल की चेतावनी
किसानों के समर्थन में ऑल इंडिया टैक्सी यूनियन ने भी हड़ताल की चेतावनी दी है। यूनियन की ओर से सोमवार को कहा गया था कि अगर नए कृषि कानूनों के खिलाफ सरकार ने किसानों की मांगें नहीं मानी तो वे हड़ताल पर जाएंगे। यूनियन के अध्यक्ष बलवंत सिंह भुल्लर ने कहा, हम किसानों की मांगों को पूरा करने के लिए सरकार को दो दिन का समय दे रहे हैं।

सरकार प्रदर्शन कर रहे किसानों की बात सुने- विजयन
केरल के मुख्यमंत्री पिनरई विजयन ने मंगलवार को केंद्र सरकार से अपील की है कि वह कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों से बात करे और उनकी मांगों पर विचार करे। विजयन ने ट्वीट कर किसानों को देश का जीवन आधार बताते हुए कहा कि यह समय उनके साथ खड़े रहने का है।



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