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वैक्सीन की क्षमता पर सवाल: हरियाणा के गृहमंत्री अनिल विज कोरोना संक्रमित, 20 नवंबर को ली थी को-वैक्सीन की पहली डोज

नई दिल्ली.

हरियाणा के गृहमंत्री अनिल विज कोरोना पॉजिटिव हो गए हैं। विज ने 20 नवंबर को कोरोना की को—वैक्सीन की पहली डोज बतौर वॉलिंटियर ली थी। उसके बाद वैक्सीन की क्षमता पर सवाल खड़े होने लगे हैं। हालांकि भारत बायोटेक ने सफाई दी है कि वैक्सीन की दूसरी डोज के 14 दिन बाद ही इम्युनिटी बनती है। दूसरी डोज पहली डोज के 28 दिन पूरे होने के बाद दी जाएगी।

दूसरी ओर, विश्व स्वास्थ्य संगठन ने साफ तौर पर कहा कि वैक्सीन से कोविड को पूरी तरह से खत्म नहीं किया जा सकता है और सभी को 2021 में वैक्सीन मिल जाएगी, इसकी उम्मीद भी कम है।

हरियाणा में 400 वॉलिंटियर ने वैक्सीन की डोज ली थी, जिनमें मंत्री अनिल विज के साथ पीजीआई रोहतक के कुलपति ओपी कालरा ने डोज ली थी। अनिल विज के अलावा हरियाणा में पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला समेत कई नेता अभी कोरोना की चपेट में आए हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के इमरजेंसी डायरेक्टर मायकल रेयान ने कहा, वैक्सीन कोविड को पूरी तरह से खत्म नहीं कर सकता है। वैक्सीन कोविड से लड़ाई में हमारे लिए महत्वपूर्ण पहलू है, लेकिन हमें खुद से भी ध्यान रखना होगा।

क्या है वैक्सीन प्रोटोकॉल
वैक्सीन के प्रोटोकॉल में पहली डोज के 21 से 28 दिन बाद दूसरी डोज दी जा रही है। उसके बाद ही कोरोना के खिलाफ इम्युनिटी मजबूत होती है। इस दौरान लगातार मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग की सलाह दी जा ही है। वैक्सीन कंपनियां लगातार कह रही हैं कि वैक्सीन के साथ मास्क और कोविड नियमों का पालन सबसे जरूरी है।

कोरोना से गुजरात हाईकोर्ट के जज का निधन
कोरोना संक्रमण के चलते गुजरात हाईकोर्ट के जज जस्टिस जी आर उधवानी का शनिवार को अहमदाबाद में निधन हो गया। वे पिछले करीब एक सप्ताह से कोरोना संक्रमण के चलते उपचाराधीन थे। शुक्रवार से वे वेंटिलेटर पर थे। 59 वर्षीय जस्टिस उधवानी हाईकोर्ट के उन तीन जजों में शामिल थे जिनकी कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव पाई गई थी।

अमरीका में ऐसी पहुंचेगी वैक्सीन

  • - 1 माह पहले ही वैक्सीन के वितरण व कोल्ड चेन मेंटेन करने के लिए तैयारियां पूरी
  • - 15 दिन पहले वैक्सीन वितरण से वैक्सीनेशन तक की मॉकड्रिल की जा चुकी है
  • - 10 व 17 दिसंबर को मंजूरी के बाद चार्टर्ड प्लेन से वैक्सीन सीधे राज्यों को भेजेंगे
  • - 2 दिन में सरकार कंपनी से हॉस्पिटल तक वैक्सीन पहुंचाएगी, कोई वितरक नहीं
  • - 12 दिसंबर को फाइजर व 21 दिसंबर को मॉर्डना की वैक्सीन लोगों को लगना शुरू
  • - 80 डिग्री सेल्सियस तापमान के लिए (फाइजर के लिए) ड्राई आइस का इस्तेमाल
  • - 20 डिग्री सेल्सियस तापमान मॉडर्ना के लिए जरूरी होगा, फ्रिजर आदि की व्यवस्था
  • - पहले चरण में डॉक्टर, नर्स, अन्य स्वास्थ्य कर्मी, बुजुर्ग जो ओल्डएज होम में रह रहे हैं, इसके बाद पुलिस-फायरकर्मी को दी जाएगी।

(इस चरण के लिए कोरोना वैक्सीन का खर्च सरकार वहन कर रही है, बाद में इंश्योरेंस में शामिल कर सकते हैं)

देश में ऐसे आएगी वैक्सीन

  • - वैक्सीन निर्माता कंपनियों से सीधे सात मेडिकल डिपो मुंबई, कोलकाता, चेन्नई, करनाल, हैदराबाद, दिल्ली और गुवाहटी पहुंचेगी।
  • - राज्यों के मेडिकल डिपो पहुंचेगी वैक्सीन।
  • - राज्यों के भीतर मेडिकल डिपो से क्षेत्रीय डिपो भेजी जाएगी।
  • - जिला डिपो पहुंचेगी, उन्हें उनके आवंटन के हिसाब से मिलेगी वैक्सीन
  • - सभी ब्लॉक स्तर पर कोल्ड चेन लेकर जाएंगी वैक्सीन
  • - स्वास्थ्यकर्मी या वैक्सीन लगवाने वाले लोगों तक पहुंचेंगे

(देश में वैक्सीन फ्री में मिलने की उम्मीद नहीं है। सरकार अभी दाम तय करने के लिए राज्यों से बात कर रही है।)

लॉजिस्टिक चेन: अमरीका में ऐसी होगी चेन

  • - अमरीकी लॉजिस्टिक दिग्गज कंपनी यूपीएस ने अपने डिपो में एक घंटे में 500 किलो बर्फ का उत्पादन करने वाला पोर्टेबल फ्रीजर बनाया है, जो -112 फ़ारेनहाइट तक के तापमान पर टीकों के भंडारण में सक्षम है।
  • - मीट प्रोसेसिंग की दिग्गज कंपनी स्मिथफील्ड ने रोलआउट ऑपरेशंस के लिए अपने कोल्ड स्टोरेज सरकार और कंपनी को देने की पेशकश की है।
  • - कंटेनर को इन्सुलेट करने में विशेषज्ञता रखने वाली फर्म फाइजर और बायोएनटेक के साथ युद्धस्तर पर काम कर रही हैं। सरकार इन कंपनियों के संपर्क में हैं।

भारत में ऐसी हो सकती है चेन

  • - देश में क्या सरकार नेटवर्क के तौर पर आईसक्रीम कंपनियों का उपयोग ट्रांसपोर्टेशन में कर सकती है, उनके डीप फ्रीजर माइनस 18 डिग्री तापमान नियंत्रित रखते हैं। पहले से मौजूद कोल्ड स्टोरेज की क्षमता है कि वह माइनस 10 डिग्री तक का तापमान नियंत्रित रख सकती हैं।
  • - लग्जमबर्ग और स्पाइसजेट जैसी कंपनियां वैक्सीन के लॉजिस्टिक के लिए तैयार, सरकार से बातचीत जारी।
  • - देश में कई कोल्ड चैन कंपनियां वैक्सीन ट्रांसपोर्टेशन के लिए राज्य सरकारों और केंद्र सरकार के साथ संपर्क में।


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