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जीत ट्रंप की हो या बाइडेन की, रिश्तों का कारवां आगे बढ़ता रहेगा

नई दिल्ली।

दुनिया के सबसे ताकतवर अमरीका के राष्ट्रपति चुनाव का शोर-शराबा तीन नवंबर को मतदान के बाद भी रुकने का नाम नहीं ले रहा है। चाहे ट्रंप हों या बाइडेन, जो भी विजयी होंगे, दुनिया को हांकने की कोशिश होगी। अभी मामला आखिरी कुछ राज्यों की गिनती में फंसा है, जिनमें नॉर्थ करोलीना, जॉर्जिया और पेंसिलवेनिया में ट्रंप अच्छी बढ़त बनाए हुए हैं।

कांटे की टक्कर नेवाडा में है, जहां वोटों का फासला 12 हजार के आसपास है। बाइडेन वहां बढ़त बनाए हुए हैं। जो भी नेवाडा में जीतेगा, उसकी जीत तय है। बाइडेन जीत से केवल 6 वोट दूर हैं और नेवादा में 6 ही इलेक्टोरल वोट हैं। ट्रंप के लिए बचे सारे राज्य जीतना होगा। नेवाडा के अलावा वे सभी जगह बढ़त बनाए हैं। अगर बाइडेन नेवाडा जीत जाते हैं तो व्हाइट हाउस पहुंच जाएंगे।

आक्रामक तैयारी के साथ चुनाव अभियान में ‘ट्रंप’ ने ‘अमरीकी फर्स्ट’ और ‘अमरीका की अस्मिता’ को आगे कर राष्ट्रवाद के मुद्दे को अमरीकी जनमानस के केंद्र में ला दिया। ट्रंप का प्रचार-प्रसार इतना आक्रामक था कि न सिर्फ उनके खुद के वोटरों ने, बल्कि विरोधी वोटरों ने भी चुनाव में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया। पूरे चुनाव का केंद्र ट्रंप बने रहे, तो डेमोक्रेटिक पार्टी ने भी अपना एजेंडा यही रखा कि ट्रम्प को हराना है।

बाइडेन की पार्टी सहित कई लोग ऐसे भी हैं, जो इस सोच से इत्तेफाक नहीं रखते कि अमरीका पर पहला और आखिरी हक अमरीकियों का ही है। वे अमरीका को ’लैंड ऑफ इमीग्रेंट्स’ मानते हैं। उनका कोरोना महामारी की रोकथाम, बेहतर स्वास्थ्य, रोजगार, अर्थव्यवस्था में सुधार तथा नस्लीय तनाव कम करने पर जोर है।

एक संदेश दुनिया तक जाएगा

अमरीकी राष्ट्रपति का चुनाव अमरीका ही नहीं, पूरी दुनिया के लिए अहम है। जो भी फैसला अमरीका की जनता करती है, उससे एक संदेश दुनिया तक जाएगा। अगर ट्रंप हारते हैं तो पूरी दुनिया में यह संदेश होगा कि दुनिया का सबसे ताकतवर देश नफ रत और भेदभाव की राजनीति को नकार रहा है और दुनिया में अमन की आशा रखता है। यदि ट्रंप जीते तो साफ है कि उनकी प्राथमिकता केवल अमरीका रहेगी, फिर भले उसके लिए दुनिया को कोई भी कीमत चुकानी पड़े। ट्रंप का विरोध करने वाला एक बड़ा तबका नौजवानों का है। अब अमरीका अपना नया राष्ट्रपति चुनने के बहुत करीब है।

यूनाइटेड कम डिवाइडेट ज्यादा

‘द यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ अमरीका’ इस बार चुनाव में ‘यूनाइटेड’ कम, ‘डिवाइडेड’ ज्यादा लग रहा है। नॉर्थ कैरोलीना ने ट्रंप की मुश्किलें बढ़ा दी हैं, क्योंकि वहां मेल इन बैलेट्स को गिनने की तारीख बढ़ा कर 12 नवंबर कर दी गई है। बाइडेन की राह आसान होती नजर आ रही है। बशर्ते ट्रंप अपनी हार स्वीकार करें।

120 साल में सबसे ज्यादा वोटिंग

अमरीका के 120 साल के इतिहास में इस बार सबसे ज्यादा 67त्न मतदान हुआ। यह इसलिए महत्त्वपूर्ण है कि दुनिया में कोरोना की सबसे ज्यादा मार अमरीका झेल रहा है। इसके बावजूद करीब 160 मिलियन लोगों ने मतदान में हिस्सा लिया।



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