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क्यों दुबई है इतना रईस शहर? हकीकत जानकर रह जाएंगे हैरान

नई दिल्ली। दुनिया में जब सुविधाओं और संपन्नता के साथ विलासिता की बात आती है, तो दुबई ( Dubai ) का जिक्र ना हो ऐसा नहीं हो सकता। दुनिया भर में रईसों के बीच मशहूर दुबई में हर बड़ा ब्रांड और महंगी से महंगी चीजें उपलब्ध हैं। लेकिन क्या कारण क्या है जो दुबई इतना रईस मुल्क है, बेहद दिलचस्प है।

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अगर आपको लगता है कि दुबई तेल की वजह से अमीर है, तो आपको बता दें कि दुबई में तेल की खोज 50 साल पहले की गई थी, लेकिन यह इसकी कमाई का केवल एक प्रतिशत ही है।

अगर इतिहास में पीछे जाएं तो वर्ष 1770 से 1930 के दशक के अंत तक यहां की आय का मुख्य स्रोत था मोती उद्योग था, जो मौजूदा संयुक्त अरब अमीरात के पीछे की असल कहानी है। फारस की खाड़ी के मछुआरों के गांवों के निवासी मोती की खोज में समुद्र में गोता लगाकर अंदर जाते थे और शुरुआती व्यापार का यह तरीका था। हालांकि इसने बाद में कुछ बड़ा करने के लिए अलग ही तरीका निर्धारित किया।

दुबई

दुबई ने 1985 में अपना पहला मुक्त क्षेत्र (फ्री जोन) स्थापित किया। इसका नाम जाफजा यानी जेबेल अली फ्री जोन रखा गया। यह 52 वर्ग किलोमीटर (20 वर्ग मील) में फैला दुनिया में सबसे बड़ा मुक्त क्षेत्र है। इसके चलते यह वैश्विक व्यवसायों के लिए एक बड़ा आकर्षण बन गया। यह वैश्विक व्यवसाय आज अमीरात के उन 30 मुक्त क्षेत्रों का लाभ उठाते हैं, जो टैक्स में छूट, कस्टम ड्यूटी के लाभ और विदेशी मालिकों के लिए प्रतिबंधों की कमी की पेशकश करते हैं। 

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जाफजा की हजारों कंपनियां दुबई में 20 फीसदी विदेशी निवेश करती हैं और अनुमानित रूप से 1.44 लाख कर्मचारी गैर-तेल व्यवसायों में 80 अरब डॉलर से ज्यादा की कमाई कर रहे हैं। यह शहर के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 21 फीसदी है।

यूएई दुनिया में तीसरा सबसे अमीर देश है। इस सूची में पहले नंबर पर कतर और नंबर दो पर लक्ज़मबर्ग का नाम है। दुबई की प्रति व्यक्ति जीडीपी 57,744 अमरीकी डॉलर है। इसके पैसे का ज्यादातर हिस्सा माल के उत्पादन और पेट्रोलियम, पेट्रोकेमिकल, एल्यूमीनियम और सीमेंट से संबंधित सेवाओं के प्रावधान से आता है।

दुबई

1950 के दशक के आखिरी में तेल की तलाश में दुबई और अबू धाबी सीमाओं को लेकर भिड़ गए। इसके चलते कई लोग दुबई से निकलकर खाड़ी के अन्य स्थानों पर चले गए क्योंकि यह शहर संघर्ष के अधीन रहा और अबू धाबी पनप गया। वर्ष 1958 में दुबई के शासक शेख राशिद बिन सईद अल मकतूम ने यहां के बुनियादी ढांचे में निवेश करना शुरू किया और अरबों डॉलर के ऋण से पूरा 1960 में अपना पहला हवाई अड्डा बनाया।

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तेल से दूर जाने से यहां पर्यटन को बढ़ावा मिला और कम तेल वाले दुबई को आखिरकार 1966 में खोजा गया। जो उस वक्त भविष्य को लेकर निर्माण के कार्य में जुट गया और नतीजा आज हमारे सामने है। दुबई ने 1969 में तेल की शिपिंग शुरू की और 1971 में ब्रिटेन से स्वतंत्रता प्राप्त करने से पहले, यह संयुक्त अरब अमीरात के सात अमीरात में से एक बन गया।

अमीरात के हिस्से के रूप में, लेकिन अपनी अर्थव्यवस्था की आजादी के साथ दुबई ने 1980 के दशक में अपनी कमाई के की रास्ते खोलने के लिए तमाम रास्ते खोले। और इसकी एक प्रमुख वजह अबू धाबी से प्रतिस्पर्धा थी, जो तेल उद्योग का बढ़ता लाभ उठा रहा था।

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