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Bihar Election 2020 : बड़ी पार्टियों ने जिन्हें नहीं दी तवज्जो, अब वही नेता बिगाड़ेंगे सियासी खेल

नई दिल्ली। इस बार बिहार विधानसभा चुनाव 2020 ( Bihar Assembly Election 2020 ) में सभी प्रमुख दलों के बागी प्रत्याशी चुनावी मैदान में ताल ठोक रहे हैं। एक ओर जहां बीजेपी और जेडीयू में मतभेद चरम पर है तो दूसरी ओर आरजेडी और कांग्रेस में बड़े भाई को लेकर तकरार जारी है। इस बीच अपने दल से निराश कुछ नेताओं ने किसी और दल का दामन थाम लिया तो कुछ बागी नेता ऐसे भी हैं जिनकी विरोधी दल में भी बात नहीं बनी तो निर्दलीय अपने पार्टी के उम्मीदवार के खिलाफ ही मैदान में उतर गए हैं।

 इस तरह के बागी सभी बड़े दलों में हैं। इनमें सबसे ज्यादा संख्या बीजेपी ( BJP ) नेताओं की है। अपनी ही पार्टी के खिलाफ विद्रोह का झंडा बुलंद करने वाले ये बागी विधानसभा चुनाव में जीत-हार का गणित बिगाड़ सकते हैं।

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 JDU के बागियों ने नीतीश को जता दी है अपनी मंशा

अगर हम सीएम नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू ( JDU ) की बात करें तो एक दर्जन से अधिक नेता पार्टी से टिकट न मिलने पर बगावत कर चुके हैं। आधा दर्जन ऐसे हैं जो पहले चरण में ही एनडीए प्रत्याशियों के जीत की राह को हार में बदल सकते हैं। ददन सिंह पहलवान डुमरांव से निर्दलीय उतर कर जेडीयू प्रत्याशी अंजुम आरा के सामने चुनौती पेश कर रहे हैं। कांग्रेस से जेडीयू में सुदर्शन को टिकट मिलने से जेडीयू नेता डा. राकेश रंजन भी बागी हो गए हैं। पूर्व मंत्री भगवान सिंह कुशवाहा जगदीशपुर से जेडीयू द्वारा कुसुमलता कुशवाहा को टिकट देने से मैदान में हैं। इसके अलावा पूर्व मंत्री रामेश्वर पासवान ने सिंकदरा से, डा. रणविजय सिंह गोह से, कंचन गुप्ता, शिवशंकर चौधरी, पूर्व विधायक सुमित सिंह ने टिकट नहीं मिलने पर जेडीयू नेतृत्व के फैसले पर नाराजगी जताते हुए निर्दलीय मैदान में कूद गए हैं। इन प्रत्याशियों ने ऐसा कर नीतीश कुमार को अपनी मंशा से अवगत करा दिया है।

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 बीजेपी में सबसे ज्यादा बागी

वहीं बीजेपी की नीतियों से नाराज होकर पार्टी के विरोध चुनाव लड़ने वाले नेताओं की संख्या में इजाफा जारी है। 9 नेताओं को 6 साल के लिए पार्टी से निष्कासित किया जा चुका है। इसके बावजूद पार्टी के बागी नेता मैदान में डटे हैं। बीजेपी के बागी नेताओं में रामेश्वर चौरसिया सासाराम से, राजेंद्र सिंह दिनारा से, उषा विद्यार्थी पालीगंज से, श्वेता सिंह संदेश से, झाझा से रविंद्र यादव, जहानाबाद से इंदू कश्यप, जमुई से अजय प्रताप, अमरपुर से मृणाल शेखर, शेखपुरा से राजेंद्र गुप्ता और अनिल कुमार बिक्रम से पार्टी प्रत्याशी के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं।

 इसके अलावा मखदुमपुर सुरक्षित सीट से रानी कुमारी, घोसी से आरएसएस पृष्ठभूमि वाले राकेश कुमार सिंह, इमागंज सुरक्षित से कुमारी शोभा सिन्हा, तोरजौली सुरक्षित से अर्जुन राम, नवादा से शशि भूषण कुमार, गोविंदपुर से रंजीत यादव एलजेपी के टिकट पर चुनावी मैदान में हैं। 2015 में रंजीत की पत्नी बीजेपी के टिकट पर चुनावी मैदान में थीं। वहीं शाहपुर से शोभा देवी, जगदीशपुर से पूर्व विधायक भाई दिनेश, वजीरगंज से राजीव कुमार जाप से चुनाव लड़ रहे हैं। जबकि अजय प्रताप आरएलएसपी से चुनाव मैदान में हैं। बीजेपी के अनिल कुमार, बड़हरा से पूर्व विधायक आशा देवी और बीजेपी के प्रसिद्ध गायक भरत शर्मा ने निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं।

आने वाले दिनों में बीजेपी के बागियों में बांकीपुर से सुषमा साहू, मनेर से पूर्व विधायक श्रीकांत निराला, बनियापुर से तारकेश्वर सिंह पार्टी प्रत्याशी के खिलाफ चुनाव लड़ने का संकेत दे चुके है।

 बता दें कि 2015 में बीजेपी 157 सीट की तुलना में इस बार भाजपा 110 सीटों पर ही चुनाव लड़ रही है। इसके अलावा कुछ नेताओं का टिकट पार्टी ने काटा भी है। यही वजह है कि बीजेपी में कई सीटों पर एक से अधिक दावेदार हैं। इस कारण बागियों की संख्या भी बीजेपी में सबसे ज्यादा है।

 RJD के बागी भी कम नहीं

एनडीए की तरह महागठबंधन में भी आरजेडी ( RJD ) से बगावत करने वाले पार्टी का सियासी समीकरण बिगाड़ने में जुटे हैं। आरजेडी के बागी या तो जेडीयू, जाप या दूसरे दलों में प्रत्याशी बन गए हैं। आरजेडी छ़ोड़ जेडीयू में शामिल होने वाले विधायक जयवर्धन यादव, चंद्रिका राय, प्रेमा चौधरी, महेश्वर यादव, फराज फातमी, अशोक कुमार के अलावा विधान पार्षद संजय प्रसाद, पूर्व विधायक विजेंदर यादव अब पार्टी के खिलाफ चुनावी ताल ठोंक रहे हैं। गरखा के मौजूदा विधायक मुनेश्वर चौधरी, सतेंद्र पासवान फुलवारी शरीफ से, सोना पासवान अब बनमनखी से जाप प्रत्याशी के रूप में तो ठाकुर धर्मेंद्र सिंह आरएलएसपी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। इसके साथ ही कांग्रेस को भी कुछ सीटों पर अपनों से ही भीतरघात की आशंका है।



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