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LIC IPO: सरकार एलआईसी से 10 नहीं बल्कि 25 फीसदी तक कम करेगी हिस्सेदारी!

नई दिल्ली। देश की सबसे बड़ी एलआईसी कंपनी का आईपीओ ( LIC IPO ) लाकर सरकार अपनी डूबती नैया को पार लगाने में पूरी तरह से जुट गई है। इसके लिए वो 10 नहीं बल्कि 25 फीसदी तक हिस्सेदारी बेचने को तैयार है। वहीं रिटेल इंवेस्टर्स को बोनस के साथ डिस्काउंट देने का भी प्रस्ताव है। वास्तव में डिपार्टमेंट ऑफ फाइनेंशियल सर्विसेज की ओर से एलआईसी की पूरी हिस्सेदारी बेचने का ड्राफ्ट तैयार कर लिया है। मीडिया रिपोर्ट की मानें तो इस ड्राफ्ट को सेबी, इरडा और नीति आयोग के अलावा तमाम मंत्रालयों को भी सेंड किया गया है।

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10 नहीं बल्कि 25 फीसदी कम होगी सरकार की हिस्सेदारी
वास्तव में कोरोना काल में एलआईसी को काफी बड़ा सेटबैक लगा है। कमाई के रास्ते बंद हो गए हैं। यहां तक अपने राज के खर्च को निकालना तक मुश्किल हो गया है। वहीं इस दौर में जिन कल्याणकारी योजनाओं को लागू करने की बात कही गई है उन्हें पूरा करने के लिए भी रुपयों की जरुरत है। इसलिए सरकार एलआईसी के आईपीओ के जरिए मोअी रकम जुटाने के मूड में दिखाई दे रही है। जिसके तहत सरकार एलआईसी से 10 नहीं बल्कि पूरी एक चौथाई हिस्सेदारी कम करने के बारे में सोच रही है।

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कई फेज में कम होगी हिस्सेदारी
वैसे सरकार पहले फेज में 10 फीसदी की हिस्सेदारी कम करेगी। उसके बाद कई राउंड में हिस्सेदारी को कम किया जाएगा। जानकारी के अनुसार एलआईसी की हिस्सेदारी बेचने में रिटेल इन्वेस्टर्स को प्रायरोटी दे सकती है। इसके लिए उन्हें 10 फीसदी का डिस्काउंट देने की योजना बनाई जा रही है। यह डिस्काउंट उन्हीं निवेशकों को मिलेगा जो एलआईसी के कर्मचारी हैं। रिटेल इन्वेस्टर्स और कर्मचारियों के लिए 5 फीसदी शेयर रिजर्व किए जा सकते हैं। जिसका फैसला कैबिनेट मीटिंग में लिया जाएगा। वहीं शुरुआती दिनों में बोनस शेयर की सुविधा भी दी जा सकती है।

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एक्ट में किया है बदलाव
एलआईसी से अपनी हिस्सेदारी को कम करने के लिए सरकार ने एलआईसी एक्ट, 1956 में चेंजेस भी किए हैं। इसी एक्ट के तहत एलआईसी की नींव रखी गई थी। जानकारी के अनुसार एलआईसी कंपनीज एक्ट के तहत संचालित नहीं होती है। इसे शुरू से ही एक ऑटोनोमस बॉडी की तरह ट्रीट किया गया है। कैबिनेट से मंजूरी मिलने के बाद इसे संसद में प्रस्ताव के रूप में पेश किया जाएगा।



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