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इस वजह से मोदी कैबिनेट से इस्तीफा देने पर मजबूर हुईं Harsimrat Kaur, जानें आगे की रणनीति

नई दिल्ली। लोकसभा में कृषि संबंधी बिल गुरुवार को पास होने के बाद से शिरोमणि अकाली दल सकते में है। यही वजह है कि मोदी कैबिनेट में मंत्री हरसिमरत कौर ( Harsimrat Kaur ) ने बिल पास होने के तत्काल बाद मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। उनके इस्तीफे के बाद से इस बात की चर्चा जोरों पर है कि आखिर उन्होंने इस्तीफा क्यों दिया? यह सवाल इसलिए अहम है कि अकाली दल बीजेपी की पुरानी सहयोगी पार्टियों में से एक है।

इसके बावजूद इस्तीफा देने के बाद से यह माना जा रहा रहा है कि अकाली दल को इस बिल की वजह से पंजाब में बड़ा सियासी नुकसान हो सकता है। इसके मद्देनजर अकाली दल ने हरसिमरत कौर से मंत्री पद से इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया है।

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इस्तीफे के पीछे एसएडी का तर्क

शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने लोकसभा में कृषि संबंधी तीनों विधेयकों को किसान विरोधी करार दिया है। इतना ही नहीं, अकाली दल के नेताओं का कहना है कि कृषि बिल के प्रावधानों से किसानों का नुकसान होगा। उन्होंने कहा कि पंजाब में सरकार किसी की रही हो, सभी दलों ने प्रदेश में कृषि अवसंरचनाओं के विकास पर जोर दिया। ताकि पंजाब के किसान समृद्ध हो सकें और उन्हें फसलों का उचित मुआवजा मिल सके। लेकिन इस बिल से किसानों का नुकसान होना तय माना जा रहा है।

अकाली नेताओं की सियासी मजबूरी

हकीकत यह है कि तीन माह पूर्व लॉकडाउन के दौरान मोदी सरकाकर 5 जून को कृषि संबंधी तीन अध्यादेश लेकर सामने आई थी। पंजाब और हरियाणा के किसानों ने इस अध्यादेशों का खुलकर विरोध किया था। मोदी सरकार के अध्यादेश के खिलाफ वहां के किसान इसके विरोध में सड़कों पर उतर आए थे। पंजाब के किसानों ने अध्यादेश को खुद के हितों के खिलाफ बताया था।

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अमरिंदर सिंह का किसान कार्ड

दूसरी तरफ मोदी सरकार पहले ही संकेत दे चुकी थी कि मॉनसून सत्र में इन अध्यादेशों को द फार्मर्स प्रोड्यूस ट्रेड एंड कॉमर्स (प्रमोशन एंड फेसिलिटेशन) बिल 2020, द फार्मर्स ( एम्पॉवरमेंट एंड प्रोटेक्शन ) एग्रीमेंट ऑफ प्राइज एश्योरेंस एंड फार्म सर्विसेस बिल 2020 और द एसेंशियल कमोडिटीज (अमेंडमेंट) बिल 2020 के जरिए संसद से पास करवा कर कानूनी रूप देगी।

अध्यादेश के खिलाफ विधानसभा में प्रस्ताव

मोदी सरकार के इस रुख और पंजाब के किसानों की नाराजागी को देखते हुए वहां के सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह केंद्र की नीतियों के खिलाफ किसानों के हितों को नुकसान न होने देने का आश्वासन दिया। इतना ही नहीं अमरिंदर सिंह की सरकार ने अध्यादेशों के खिलाफ 28 अगस्त को विधानसभा से प्रस्ताव पारित किसानों के साफ संकेत दिया है कि वो भी केंद्र सरकार के इस पहले के खिलाफ। ऐसा कर अमरिंदर सिंह ने बीजेपी से ज्यादा शिरोमणि अकाली दल को नुकसान पहुंचाया।

पंजाब के किसानों का टूटा भरोसा

अमरिंदर सिंह के इस सियासी चाल के बाद से पंजाब के किसान अकाली दल से नाराज चल रहे थे। जबकि अकाली नेताओं का पंजाब के किसानों के बीच मजबूत जनाधार है। दूसरी तरफ कांग्रेस के साथ विपक्षी पार्टियां तृणमूल कांग्रेस, बसपा, एनसीपी और माकपा भी इन बिलों का विरोध कर रही है।

जनाधार बचाने की कोशिश

ऐसे में अकाली नेताओं को किसानों की नाराजगी का डर सता रहा है। वैसे भी पंजाब में तीनों बिलों का किसान और उसके संगठन मुखर विरोध कर रहे हैं। इसलिए किसानों की राजनीति करने वाला अकाली दल उनकी नाराजगी मोल नहीं लेना चाहता और हरसिमरत कौर ने इस्तीफे के जरिए यह जताने की कोशिश की है कि उनकी पार्टी इस मुद्दे पर किसानों के साथ है।



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