Breaking News

Kozhikode plane crash को लेकर DGCA पर उठे सवाल, विशेषज्ञों ने कहा- भारत में विमान सुरक्षा पतन की ओर

नई दिल्ली। एयर इंडिया एक्सप्रेस की उड़ान IX1344 की दुर्घटना ने फिर से नागर विमानन निदेशालय DGCA को संदेह के घेरे में ला दिया है। विशेषज्ञों का मानना है कि विभाग इस तरह की दुर्घटनाओं को लेकर मूल समस्याओं पर ध्यान नहीं दे रहा है। गौरतलब है कि शुक्रवार देर शाम दुबई से आ रहा एयर इंडिया का विमान केरल के कोझिकोड एयरपोर्ट पर हादसे का शिकार हो गया। विमान में 190 यात्री सवार थे। इस हादसे में 18 लोगों की मौत हो गई।

लंदन के रॉयल एरोनॉटिकल सोसाइटी के फेलो अमित सिंह का कहना है कि , "दुर्भाग्यपूर्ण दुर्घटना के साथ भारत में विमानन सुरक्षा वास्तव में पतन की ओर है।" अपने विमानन ब्लॉग एवोबंटर में घटना के बारे में लिखते हुए, सिंह ने कहा कि दुर्घटना त्रुटिपूर्ण जांच का एक उदहारण है। 22 मई 2010 के बाद जब एयर इंडिया एक्सप्रेस बी 737 मैंगलोर में दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। तो जांच के बाद कई सिफारिशें सामने आईं थीं। दुर्भाग्य से, एक साल बाद सब कुछ भुला दिया गया।

मंगलौर में 2010 की दुर्घटना, जिसमें कोझिकोड की तरह विमान लैंडिंग के दौरान एक चट्टान से टकरा गया था। इस हादसे में करीब 166 यात्रियों की मौत हो गई थी। सिंह ने बताया कि इस हादसे के बादर 41 पायलटों को उनके कार्यों के लिए निलंबित कर दिया गया था। यहां जिस रनवे पर हादसा हुआ था उसे दस दिन पूर्व ही विमानों के लिए खोला गया था। इस हादसे में आठ यात्री आर्श्चयजनक रूप से बच गए थे। इसी जांच को लेकर कोई गंभीरता नहीं दिखाई गई थी। बल्कि फौरी तौर पर कार्रवाई की गई थी।

इस हादसे में शामिल अत्याधुनिक बोइंग 737-800 विमान को 15 जनवरी 2008 को एयर इंडिया के बेड़े में शामिल किया गया था। इस विमान को साइबेरिया के कैप्टन ज्लाटको ग्लूसिया उड़ा रहे थे। उनके पास दस हजार घंटे की उड़ान का अनुभव था। इस विमान हादसे में अधिकतर यात्रियों के शव बुरी तरह से जले हुए पाए गए थे। विमान भी जलकर खाक हो गया।

सिंह के अनुसार अभी तक मूल कारणों पर ध्यान नहीं दिया गया है। उन्होंने कहा कि नीति निर्माताओं को जोखिम विश्लेषण और सुरक्षा प्रबंधन प्रणालियों की कोई समझ नहीं है। जांच दोषपूर्ण है और वास्तविक दोषियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जाती है। उनका कहना है कि इस तरह के हादसे को समझने के लिए कोई मानवीय कारक विशेषज्ञ नहीं हैं, जो ये जान सके कि कोई दुर्घटना के घटित होने के बाद उसकी समस्याओं केो कैसे नजरअंदाज किया गया।



from Patrika : India's Leading Hindi News Portal
Read The Rest:patrika...

No comments